होली की रात्रि को लोक कल्याण के लिए इस नदी के तट पर हुआ माँ बगलामुखी का यज्ञ

ख़बर शेयर करें

 

 

होली की रात्रि को लोक कल्याण के लिए इस नदी के तट पर हुआ माँ बगलामुखी का यज्ञ

होली की रात्रि पर राप्ती नदी के तट पर सत्य साधक श्री विजेन्द्र पाण्डे गुरुजी ने 8 घण्टे तक लगातार माँ बगलामुखी का यज्ञ किया यह यज्ञ उन्होंने अपनें शिष्यों के कल्याण के लिए किया
सत्य साधक श्री विजेन्द्र पाण्डे गुरुजी ने बताया कि होली दीपावली व शिवरात्रि की रात्रि को किये जानें वाला हवन परम कल्याणकारी होता है

उन्होंने बताया रात्रि हवन का प्रभाव कभी खाली नही जाता रात्रि हवन गोपनीय दुर्लभ हवन है होली की रात्रि का महूर्त सिद्ध मूहूर्त होता है, इसके लिए नक्षत्र इत्यादि देखने की आवश्यकता नही रहती, नवरात्रि, दीपावली तथा होली साधनाओं के लिए सिद्ध महूर्त है, इस अवसर पर सत्य साधक श्री विजेंद्र पांडे गुरुजी ने कहा
भगवती पीताम्बरा इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को चलाने वाली शक्ति है। नवग्रहों को भगवती के द्वारा ही विभिन्न कार्य सौपे गये है जिनका वो पालन करते हैं। नवग्रह स्वयं भगवती की सेवा में सदैव उपस्थित रहते हैं। जब साधक भगवती की उपासना करता है तो उसे नवग्रहों की विशेष कृपा प्राप्त होती है। उन्होनें कहा जगदम्बा अपने प्रिय भक्तों को परम साहस प्रदान करती है
उन्होंने बताया होली के दिन पवित्र भाव से नदियों में स्नान-दान के बाद रात्रि काल के समय में माँ पीताम्बरी का हवन करनें से समस्त मनोरथ पूर्ण होते है और माई पीताम्बरी की विशेष कृपा प्राप्त होती है
यहां यह बताते चलें कि राप्ती नदी का आध्यात्मिक महत्व बड़ा ही अद्भुत और निराला है प्रसिद्ध साधु-संतों की यह प्राचीन साधना स्थली रही है इसी नदी के तट पर अनेक महान संतों ने अपने आराधना के श्रद्धा पुष्प अर्पित करके विभिन्न देवी-देवताओं से अलौकिक सिद्धियां प्राप्त की इस नदी का प्राचीन नाम इरावती नदी कहा जाता है
धर्म व संस्कृति जगत में यह नदी धर्म व आध्यात्म का महासंगम मानी जाती है। बहराइच, गोंडा, बस्ती और गोरखपुर ज़िलों में बहती हुई बरहज के निकट यह लगभग 640 किमी० लम्बी है जो पावन नदी घाघरा नदी से मिल जाती है इस नदी की गाथा भगवान बुद्ध से भी जुड़ी हुई है पतित को पावन करने वाली निर्मल राप्ती नदी का वर्णन अनेक स्थानों पर आता है कहा जाता है कि इस नदी के तट पर माँ भगवती की आराधना करने से मनुष्य के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं इतना ही नहीं कहा तो यहां तक गया है कि इस नदी के पावन तट पर हवन व यज्ञ करने से मनुष्य अपने जन्म जन्मांतर पापों से छुटकारा पा जाता है
होली के अवसर पर इस नदी के तट पर सत्य साधक जी ने हवन यज्ञ कर देश व प्रदेश एवं मानवता की सुख समृद्धि व मंगल कामना के साथ अपनें शिष्यों के कल्याणार्थ यह यज्ञ किया

Ad
Ad Ad Ad Ad
Ad