परम पूज्यनीय है,वट वृक्ष

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हमारे धर्म शास्त्रों ने भी वृक्षों की महिमा व वृक्षारोपण के महत्व को बेहद सुंदर तरीके से समझाया है गीता में भगवान श्री कृष्ण ने वृक्षों के महत्व को समझाते हुए कहा कि मैं वृक्षों में पीपल हूं मत्स्य पुराण में भी वृक्षों की विराट महिमा कही गई है। किस वृक्ष को लगाने से कौन सा फल प्राप्त होता है इस विषय में भी पुराणों ने विस्तार के साथ चर्चा की है।

वृक्षों की महिमा का अद्भुत बखान करते हुए कहा गया है कि दस कुओं के बराबर एक बावड़ी, दस बावड़ियों के बराबर एक तालाब, दस तालाबों के बराबर एक पुत्र, और दस पुत्रों के बराबर एक वृक्ष होता है।* *कहीं-कहीं तो एक वृक्ष सौ पुत्रों के समान कहा गया है
स्कंद पुराण भविष्य पुराण में विभिन्न वृक्षों को लगाने और उनका पोषण करने के बारे में सुंदर वर्णन करते हुए लिखा गया है जो व्यक्ति छायादार फूल और फल देने वाले वृक्षों का रोपण करता है यात्रा पथ व विभिन्न देवालयों के मार्ग में तथा देव मंदिरो में वृक्षों को लगाता है, वह अपने पितरों को दिव्य लोक में परम वैभव प्रदान कराता है और पितृ जनों को बड़े-बड़े पापों से तारता है ।और रोपणकर्ता इस मनुष्यलोक जीवन का आनंद प्राप्त करते हुए मुक्ति का भागी बनता है विभिन्न पुराणों के अनुसार वृक्ष लगाना अत्यंत पुण्यदायक व शुभदायक है। सनातन धर्म में में वृक्षों को देव स्वरूप मानकर इनकी पूजा-अर्चना की जाती है।

  • हमारे देश के महान ऋषि मुनियों ने विराट वृक्षों के नीचे ही बैठकर आत्मिक शांति ज्ञान को प्राप्त कर संसार को वृक्षों की महिमा का अलौकिक का संदेश दिया पुराणों में केवल पीपल के वृक्ष और वटवृक्ष का ही गुणगान नहीं किया है बल्कि अनेकानेक वृक्षों को लगाने और पूजा-अर्चना करने से मिलने वाले अमुल्य वरदानों की भी चर्चा की है। जैसे- अशोक का पेड़ लगाने से शोक नहीं होता, माता सीता का वास लंका में अशोक के वृक्ष के नीचे ही था इसलिए वे शोक रहित रही थी।  इसी भांति पाकड़ का वृक्ष ज्ञान का प्रदाता कहा गया है बिल्व वृक्ष की महिमा श्री शिव महापुराण में गाई गई है यह वृक्ष वृक्ष दीर्घ आयु के साथ-साथ धन वैभव संपत्ति कीर्ति प्रदान करता है। जामुन का वृक्ष धनाढ्य जीवन प्रदान करता है । तेंदू का वृक्ष कुलवृद्धि मैं सहायक कहा गया है अनार का वृक्ष स्त्री-सुख प्राप्त कराता है। बकुल पाप नाशक, वटवृक्ष मोदप्रद, आम्र वक्ष अभीष्ट कामनाप्रद और गुवारी (सुपारी) वृक्ष सिद्धिप्रद है। वल्लल, मधुक (महुआ) तथा अर्जुन-वृक्ष सब प्रकार के अन्न प्रदान करता है। कदंब वृक्ष से अचल लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इसी तरह इमली इमली शमी-वृक्ष केशर स्वेत वट रुद्राक्ष शीशम, अर्जुन, जयंती , बेल, तथा पलाश सहित विभिन्न प्रकार के वृक्षो के रोपण की महिमा पुराण व अन्य धार्मिक ग्रंथ भरे पड़े हैं।
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वृक्षों में वट-वृक्ष का अपना विशेष महत्व है। पुराणों में उल्लेखित हैं कि इसमें देवताओं का वास होता है। इस वृक्ष की पूजा-अर्चना करने से सति सावित्री ने अपने मृत पति को यमराज के फंदे से छुड़ा लाया था। पर्वतीय क्षेत्रों में वट वृक्ष की पूजा बहुत ही विशेष तौर तरीकों से की जाती है इस वृक्ष की महिमा को लेकर यहां वट सावित्री का त्यौहार बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। हिमालय विभाग में यह वृक्ष देव वृक्ष के नाम से पुकारा जाता है*

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तुलसीकृत रामायण एवं वाल्मीकि रामायण में वृक्षों की महिमा का बेहद अलौकिक व सुंदर वर्णन स्थान स्थान पर आया है । कुल मिलाकर मानव जीवन में वृक्षों की महिमा अपरंपार है वृक्ष ही इस धरा पर जीवन का परम आधार है

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