श्रद्धा व भक्ति का अलौकिक संगम है सिद्धबली मंदिर, कोटद्वार
+ भगवान हनुमान यहाँ गुरु गोरखनाथ के आग्रह पर प्रहरी के रूप में करते हैं वास
+ गुरु गोरखनाथ को भी इस दिव्य स्थान पर प्राप्त हुई थी अनेक सिद्धियां
+ मन्दिर की पौराणिक/ आध्यात्मिक महत्ता को देखते हुए भारतीय डाक विभाग ने वर्ष 2008 में इस पर जारी किया था डाक टिकट
कोटद्वार ( पौड़ी गढ़वाल ) ।
कोटद्वार नगर से 2 किमी. दूर कल – कल ध्वनि में बहती पवित्र खोह नदी के तट पर एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित भगवान सिद्ध बलि का पावन दरबार श्रद्धा व भक्ति का एक अलौकिक संगम है।
भगवान हनुमान को समर्पित इस प्राचीन सिद्ध बलि मन्दिर के आस-पास का प्राकृतिक सौन्दर्य अद्भुत व मनोरम है और पृष्ठ भाग में फैली हरी-भरी पहाड़ियां भक्तों , श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है ।
पौराणिक कथाओं और जनश्रुतियों के अनुसार इस प्राचीन पौराणिक सिद्ध स्थल पर भगवान हनुमान, सिद्ध सन्त गुरु गोरखनाथ के आग्रह एवं अनुरोध पर हर पल एक मजबूत प्रहरी के रूप में यहाँ वास करते हैं और अपने भक्तों का हर प्रकार से कल्याण करते हैं।
पौराणिक प्रसंग के अनुसार एक बार गुरु गोरखनाथ अपने गुरु मछेन्द्रनाथ को बचाने के लिए भ्रमण करते हुए इस स्थान से गुजर रहे थे तो हनुमान जी ने अपना रूप बदल कर उनका रास्ता रोक दिया । इस पर हनुमान जी और भगवान शंकर के अवतार माने जाने वाले परम सिद्ध गुरु गोरखनाथ के बीच भीषण युद्ध हो गया । युद्ध में कोई भी किसी को पराजित नहीं कर पाया । बाद में हनुमान जी अपने वास्ताविक स्वरूप में प्रकट हो गए और गुरु गोरखनाथ जी को सम्मान पूर्वक नमन करते हुए बोले- हनुमान के लिए क्या आदेश है ? इस पर परम सिद्ध गुरु गोरखनाथ जी ने सम्मानपूर्वक आग्रह करते हुए कहा कि वह एक प्रहरी के रूप में इस महान सिद्ध भूमि पर वास करें और प्राणियों का कल्याण करें। मान्यता है कि हनुमान जी ने इस आग्रह को सहर्ष स्वीकार कर लिया और इस क्षेत्र में प्रहरी के रूप में वास करने लगे । तभी से इस पवित्र स्थल का नाम सिद्ध बलि पड़ा ।
माना जाता है कि महान योगी व सिद्ध सन्त गुरु गोरखनाथ जी को इसी स्थान पर अनेकानेक दिव्य सिद्धियां प्राप्त हुई थी, इसीलिए श्रद्धालु भक्त एवं शिष्य गण, सिद्ध बाबा के रूप में उनका पूजन – वंदन कर आशीर्वाद लेते है ।
कहा जाता है भगवान हनुमान को समर्पित इस पौराणिक मन्दिर में निर्मल मन एवं समर्पण भाव से पहुंचने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है ।
सिद्ध बलि हनुमान मन्दिर की पौराणिक महत्ता एवं आध्यात्मिक स्वीकार्यता को देखते हुए भारत सरकार के डाक विभाग द्वारा इस मन्दिर पर वर्ष 2008 में एक डाक टिकट जारी किया गया था, तभी से यह दिव्य दरबार देश – दुनियां के श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के लिए आकर्षण के रूप में सामने आया और धीरे-धीरे तीर्थाटन व धार्मिक पर्यटन के महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप जाना जाने लगा ।
यहां मन्दिर परिसर में भगवान शिव का स्फटिक शिवलिंग, माँ जगदंबा की प्रतिमा और शनि महाराज का मन्दिर भी स्थापित है
यहाँ मन्दिर के पुजारी तथा सेवकों का कहना है कि मनोकामना पूर्ण होने पर श्रद्धालु यहाँ आकर विशाल भण्डारे का आयोजन करते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों की उपस्थिति रहती है।
जन मान्यता के अनुसार पूर्व काल में इस स्थान पर अनेकानेक संतों तथा ऋषियों ने कठोर तपस्या कर श्री राम भक्त भगवान हनुमान का आहवान किया था । तभी से भगवान हनुमान इस पवित्र भूमि पर विचरण करते रहते थे।
आमतौर पर सनातन संस्कृति के सभी धार्मिक अवसरों पर यहाँ बड़ी संख्या में भक्तजन पहुंच कर हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, लेकिन हनुमान जयन्ती के पावन अवसर पर यहाँ की दिव्यता व भव्यता देखते ही बनती है।
छोटी पहाड़ी पर स्थित इस मन्दिर तक पहुंचने के लिए कुछ सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, मन्दिर पहुंचते ही यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य एवं शान्त वातावरण के बीच आगन्तुकों को दिव्य अनुभूति होने लगती है। वास्तव में आध्यात्मिक शक्ति व आत्मिक शान्ति प्राप्त करने के लिए सिद्धबलि मन्दिर दरबार अपने आप में सुन्दर स्थल है ।
लेटैस्ट न्यूज़ अपडेट पाने हेतु -
👉 वॉट्स्ऐप पर हमारे समाचार ग्रुप से जुड़ें