प्रधानमंत्री मोदी की मध्यप्रदेश यात्रा :”अहिल्या बाई और राजा भोज की नगरी धार से गूंजा राष्ट्रवाद और विकास का संदेश

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विश्वकर्मा जयंती के दिन मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक नगर धार की धरती एक बार फिर इतिहास का साक्षी बनी। इस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए न सिर्फ भारत के समृद्धशाली, ऐतिहासिक इतिहास की याद दिलाई, बल्कि आधुनिक भारत के भविष्य की भी स्पष्ट रूपरेखा प्रस्तुत की। यह भाषण एक ओर जहां राष्ट्रवाद की भावना से ओतप्रोत था, वहीं दूसरी ओर आर्थिक, सामाजिक और औद्योगिक विकास की भी मजबूत पैरवी करता नजर आया। प्रधानमंत्री के इस संबोधन ने धार की ऐतिहासिकता को नए मायनों में जीवंत कर दिया।
*पराक्रम, प्रेरणा और सांस्कृतिक चेतना की भूमि धार*

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत धार की महिमा का बखान करते हुए की। धार, जो मध्यकालीन भारत में मालवा की राजधानी रही है और महाराजा भोज जैसे महान राजा की कर्मभूमि रही है, उसे उन्होंने पराक्रम और प्रेरणा की धरती बताया। महाराजा भोज का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका शौर्य हमें राष्ट्र गौरव की रक्षा के लिए प्रेरित करता है और मानवता की सेवा का संकल्प देता है।
*आतंक पर करारा प्रहार और आत्मविश्वास की हुंकार*

प्रधानमंत्री मोदी का भाषण राष्ट्र सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ कड़ी नीति के संकल्प से भी परिपूर्ण था। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों ने हमारे देश की बहनों-बेटियों का सिंदूर उजाड़ा था, तब भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के माध्यम से उनका करारा जवाब दिया। यह नामकरण ही प्रतीकात्मक रूप से देश की संस्कृति और अस्मिता की रक्षा का प्रतीक बन गया है। उन्होंने कहा कि भारत अब किसी की परमाणु धमकी से डरने वाला नहीं रहा। यह घर में घुसकर मारने वाला भारत है। यह कथन सिर्फ शब्द नहीं हैं, यह 21वीं सदी के भारत की डिफेंस डॉक्ट्रिन का बयान है कि हम आत्मरक्षा के साथ-साथ निर्णायक कार्रवाई की नीति अपनाते हैं।

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*हैदराबाद मुक्ति आंदोलन की भी चर्चा*

प्रधानमंत्री ने 17 सितंबर की ऐतिहासिक महत्ता को रेखांकित करते हुए हैदराबाद मुक्ति आंदोलन की चर्चा की। उन्होंने कहा कि इसी दिन सरदार पटेल के नेतृत्व में हैदराबाद को भारतीय संघ में शामिल किया गया था। उन्होंने इस दिन को “हैदराबाद लिबरेशन डे” के रूप में मनाने की परंपरा शुरू कर देश की एकता की उस ऐतिहासिक घटना को अमर कर दिया है, जिसे दशकों तक भुला दिया गया था।

*विकसित भारत: चार स्तंभों पर खड़ा भविष्य*

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में विकसित भारत के उस विज़न की बात की, जिसे 140 करोड़ भारतीयों ने संकल्प के रूप में स्वीकार किया है। उन्होंने इस संकल्प को चार स्तंभों पर आधारित बताया- नारी शक्ति,युवा शक्ति,गरीब और किसान। इन चार स्तंभों के ज़रिए भारत को एक समावेशी, आत्मनिर्भर और वैश्विक नेतृत्वकर्ता राष्ट्र के रूप में देखा जा रहा है। मोदी के अनुसार, यदि इन चार वर्गों को सशक्त किया जाए तो भारत दुनिया की किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम होगा।

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*अहिल्या की धरती से स्वस्थ नारी और सशक्त राष्ट्र का नारा*

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने नारी सशक्तिकरण पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि धार से जो कार्यक्रम आरंभ हो रहा है, वह केवल इस जिले या राज्य तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश की माताओं और बहनों के लिए समर्पित है।
यह कार्यक्रम केवल एक स्वास्थ्य अभियान नहीं है, बल्कि यह सशक्त परिवार और सशक्त समाज के निर्माण की दिशा में एक ठोस कदम है। इस योजना को विशेष रूप से जनजातीय समाज की महिलाओं से जोड़ने की कोशिश की जा रही है, जो अब तक मुख्यधारा की योजनाओं से अपेक्षाकृत दूर रही हैं।
*औद्योगिक क्रांति की नई शुरुआत: टेक्सटाइल पार्क*

विश्वकर्मा जयंती के दिन प्रधानमंत्री ने देश के सबसे बड़े इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क की आधारशिला रखी। यह केवल एक औद्योगिक परियोजना नहीं है, बल्कि यह स्थानीय रोजगार, आत्मनिर्भरता और भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धा को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम है।
यह टेक्सटाइल पार्क मेक इन इंडिया और लोकल फॉर ग्लोबल के विज़न को साकार करेगा। इससे टेक्सटाइल इंडस्ट्री को नई ऊर्जा मिलेगी और करोड़ों युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
*शिक्षा और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का सपना*
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में यह भी याद दिलाया कि हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने एक शिक्षित, स्वावलंबी और आत्मगौरव से परिपूर्ण भारत का सपना देखा था। उन्होंने गुलामी की जंजीरों को तोड़ा, ताकि आने वाली पीढ़ियां तेज गति से प्रगति कर सकें।
प्रधानमंत्री का मानना है कि आज का भारत उन्हीं मूल्यों और संकल्पों से प्रेरित होकर विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में अग्रसर है।
*भारत अब निर्णायक शक्ति*

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धार में दिया गया प्रधानमंत्री मोदी का यह भाषण एक सामान्य राजनीतिक वक्तव्य नहीं था। यह एक राष्ट्रवादी चेतना, सामाजिक समावेश, आर्थिक विकास, सैन्य आत्मविश्वास, और ऐतिहासिक स्मृति के सम्मान का शक्तिशाली समागम था।
प्रधानमंत्री मोदी का यह भाषण न केवल अतीत की गौरवगाथा को सामने लाता है, बल्कि आने वाले भारत की दिशा और दशा भी तय करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत अब केवल एक विकासशील देश नहीं, बल्कि एक निर्णायक शक्ति, एक संवेदनशील समाज, और एक दृढ़ राष्ट्र के रूप में उभर रहा है।
धार से गूंजा प्रधानमंत्री मोदी का यह संदेश सिर्फ एक शहर या राज्य के लिए नहीं था,बल्कि यह पूरे भारत के लिए है और शायद इसी को कहते हैं – “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास।”

 

(पवन वर्मा-विनायक फीचर्स)

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