दुर्लभ स्टोरी : हिमालय के बगला क्षेंत्र में खुले आसमान के नीचे स्थित शिवलिंग को पूजा जाता है इस नाम से, यहाँ से प्रकट होती गंगा के समान पूजनीय यह नदी

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महादेवी माँ बगलाक्षेंत्र की पावन भूमि हिमालय भूभाग का महत्व पुराणों में बड़े ही सुन्दर शब्दों में वर्णित है यहाँ की परम कल्याकारी निर्मल नदी भिल्लंगणा नदी माँ गंगा के समान परम पूज्यनीय है नदी के उद्गम स्थल पर खुले आकाश के नीचे भगवान शिव सुन्दर पिण्डी के रूप में भक्तों के कल्याणार्थ विराजमान है

महादेवी माँ बगलाक्षेंत्र की पावन भूमि हिमालय भूभाग का महत्व पुराणों में बड़े ही सुन्दर शब्दों में वर्णित है यहाँ की परम कल्याकारी निर्मल नदी भिल्लंगणा नदी माँ गंगा के समान परम पूज्यनीय है नदी के उद्गम स्थल पर खुले आकाश के नीचे भगवान शिव सुन्दर पिण्डी के रूप में भक्तों के कल्याणार्थ विराजमान है जिन्हें खतलिंग व भिल्लेश्वर महादेव के नाम से पुकारा जाता है

इस दुर्लभ क्षेंत्र की महिमां का वर्णन स्कंद पुराण के केदारखण्ड में विस्तार से वर्णित है

केदार मण्डल के बंगला क्षेत्र में स्थित महादेव के इस गुप्त शिवलिंग के दर्शन बड़े ही पुण्य के प्रताप से होते है

केदारमण्डल के बंगलाक्षेत्र में स्थित भिल्लेश्वर महादेव की स्थली पौराणिक काल की विराट आध्यात्मिक गाथा को अपने आप में समेटे हुए है माँ बंगलामुखी के सानिध्य में स्थित भिल्लेश्वर महादेव की महिमां का वर्णन कहा गया है

स्वयं महादेव ने माता पार्वती से कहा है भिल्ल क्षेत्र मैं तुम्हारे साथ भिल्ल के रूप में लीला कर चुका हूँ यह क्षेत्र एक अत्यन्त सुन्दर पर्वत है इसी पर्वत से निकलने वाली रमणीक गंगा भिल्लांगणा नाम से प्रसिद्ध एवं महापापों का नाश करनेवाली नदी है । इस क्षेत्र की महान् महिमां का वर्णन करते हुए आगे महादेव ने महादेवी से कहा है भिल्लेश्वर नाम से जो मुझे पूजता है वह धन्य है दर्शन और स्मरण से महापाप की कोटि में रहने वाला मनुष्य भी शुद्ध हो जाता है। मेरी प्रिये! वहाँ भिल्लरूपी महादेव काले कम्बल का वस्त्र धारण करके मध्य रात्रि में नाना भिल्लगणों के साथ रहते है वहाँ भिल्लों, भीलों के बजाये हुए बाजों के शब्द सुनायी पड़ते हैं। भम्भ- भम्भ शब्दों का नाद होता रहता है और इसी प्रकार नगाड़ों के शब्द सतत होते रहते हैं । उसके आँगन में अनेक रूपधारी भिल्ल विचरण करते हैं।

भिल्लेश्वर महादेव के सानिध्य में भिल्लांगण में उत्पन हुई भिल्लांगणा नदी में जो स्नान करता है, वह शिव का ही शरीर धारण करता है । यह अत्यन्त गोपनीय पीठ है जिसे पुराणों में भी छिपाया गया है। जो वहाँ आहार-विहार त्यागकर दस रात जप करता है, उसे मन्त्र सिद्धि की प्राप्ति हो जाती है भिल्लेश्वर क्षेत्र में भक्तिपूर्वक कामेश्वरी देवी का पूजन करके मनुष्य दस अश्वमेध यज्ञों का फल प्राप्त करता है। कामेश्वरी देवी के दक्षिण भाग में बहुत बड़ा शिवलिंग है जिसके दर्शन से ही मनुष्य शिव भक्त हो जाता है। उसके ऊपर आधे कोस में सुरसुता नाम की नदी है जहाँ पहले, प्रिये। देवि मैंने पवित्र भस्म धारण किया था। उस भस्म को धारण करने के लिए इन्द्र आदि देवता उस नदी के किनारे आये थे और उस (नदी) को कन्या मान लिया था। उसमें स्नान करके मनुष्य वाजपेय यज्ञ का फल लाभ करता है उसके दक्षिण भाग में मातलिका नामक शिला है। उसका स्पर्श करने से इन्द्रपुरी में वास मिलता है भिल्लांगण महाक्षेत्र है। उसका स्मरण करने से पापों का क्षय होता है। वह क्षेत्र पाँच योजन चौड़ा और चार योजन लम्बा है वह समस्त पापों का हरण करनेवाला पवित्र तीर्थ है। उसका दर्शन करने से शिवसायुज्य मोक्ष प्राप्त होता है। जो मनुष्य इस क्षेत्र की प्रदक्षिणा करता है, मानों उसने सातों द्वीपवाली पृथ्वी की प्रदक्षिणा कर ली। यहाँ जो कर्म किया जाता है, उसका अनन्तगुणा फल मिलता है इसलिए सब प्रकार के प्रयत्न से इस तीर्थ में पाप से बचना चाहिए। अपनी उन्नति चाहनेवाले को यहाँ पुण्य ही करना चाहिए इस प्रदेश में नाना प्रकार की मणियाँ तथा सोने की खानें मिलती हैं, उससे उत्तम दूसरा कौन प्रदेश भूतल पर हो सकता है यहाँ अनेक शिवलिंग तथा सैकड़ों नदी की धाराएँ हैं, जो पवित्र एवं पुण्यप्रद हैं। विस्तार से इनका वर्णन कौन कर सकता है
इस तरह से स्कंद पुराण के केदारखण्ड के 44 वें अध्याय में माँ बंगलाक्षेत्र में स्थित भिल्लेश्वर महादेव जी की महिमां की अद्भूत गाथा स्वंय महादेव ने महादेवी से गायी है

भिल्लेश्वर व भिल्लगणा नदी के सानिध्य में हिमालय का माँ बगलाक्षेत्र देवी का अद्भूत नगर है

दस महाविद्याओं में से एक माँ बंगलामुखी का भूभाग पवित्र पहाड़ों की गोद में स्थित एक ऐसा मनोहारी स्थल है जहाँ पहुंचकर आत्मा दिव्य लोक का अनुभव करती है भारतभूमि में माँ के अनेकों प्राचीन स्थल है इन तमाम स्थलों में हिमालय के आँचल में स्थित माँ बंगलामुखी क्षेत्र का महत्व सर्वाधिक है पौराणिकता के आधार पर इसके महत्व की प्राथमिकता पुराणों में वर्णित है स्कंद पुराण के केदारखण्ड महात्म्य मे बंगला क्षेत्र की बडी विराट महिमां वर्णित की गयी है केदार खण्ड के 45 वें अध्याय मे स्वंय भगवान शिव माता पार्वती को इस क्षेत्र की महिमां का रहस्योद्घाटन करते हुए कहते हैं यह एक सुन्दर क्षेत्र है यह चार योजन लम्बा और दो योजन चौड़ा है
भिल्गणा नदी के समीप इस पावन स्थल के बारे में भगवान शिव माता पार्वती से कहते है देवी यह पावन स्थल परम गोपनिय है तुम्हारे कल्याणकारी प्रेम के वशीभूत होकर मै तुम्हें हिमालय के इस दुर्लभ तीर्थ की महिमां बताता हूँ भिल्लगणा के दक्षिण भाग में उत्तम बगलाक्षेत्र है। यह क्षेत्र अनेक तीथों से युक्त तथा भगवान शिव के नाना पिण्डी के स्वरुपों से शोभित है, जिसके दर्शन मात्र से मनुष्य देवी के नगर में वास करता है शिवजी आगे माता पार्वती को बतलाते है महादेवी बगला, सभी तन्त्रो में प्रसिद्ध है।शत्रुओं का स्तम्भन करनेवाली बगला ब्रह्मास्त्र विद्या के रूप में प्रसिद्ध है इनके स्मरण मात्र से शत्रु भी पंगु हो जाता है, *बगला तु महादेवी सर्वतन्त्रेषु विश्रुता ब्रह्मास्त्रविद्या विख्याता यस्या स्मरणमात्रेण शत्रुः पङ्गुर्भवेद्धवम् । तत्स्थानं तु मया प्रोक्तं सर्वकामफलप्रदम्*
बगला क्षेत्र सभी कामनाओं का फल देने वाला है बगला क्षेत्र की अलौकिक महिमां का बखान करते हुए स्कंदपुराण के केदारखंड में भगवान शिव ने कहा है यहाँ सात रात निराहार रहकर बंगला देवी का मंत्र जप करने से अत्यन्त दुर्लभ आकाशचारिणी सिद्धि की प्राप्ती होती है सभी यज्ञों में जो पुण्य प्राप्त होता है और सभी तीथों में जो फल प्राप्त होता है, वह फल बगला देवी के दर्शन से ही मिल जाता है
पुराणों के अनुसार यहाँ देवी के दक्षिण भाग में पुण्यप्रमोदिनी धारा है। उसके उत्तरी तट पर भगवान विष्णु की चार भुजावाली मूर्ति है जिसका दर्शन करने से मनुष्य कृतकृत्य हो जाता है, उसने क्या नहीं कर लिया (अर्थात् सारा पुण्य कर्म कर लिया) यहाँ के बारे में महादेव जी महादेवी को एक गुप्त रहस्य बताते हुए कहते है बंगला क्षेत्र के दक्षिण दिशा में ‘तीन सिर’ (त्रिशिरानामक) वाली देवी का वास हैं उसके पास महासिंह नित्य बार-बार गरजता हुआ रहता है। साथ ही माँ बंगला के सानिध्य में काले शरीर और काले वस्त्रवाले तथा भयंकर स्वरुप वाली अनेक नारियाँ अदृश्य होकर यहां विचरण करती रहती है भाँति- भाँति के यहाँ बाजे बजते हैं और इनकार के शब्द होते हैं पापी मनुष्य यहाँ ठहर नहीं सकता है किन्तु जो व्यक्ति धैर्यवान, संयुक्त जप करनेवाला, शिवपरायण तथा परनिन्दा और परस्त्री से विमुख है, उसे यहाँ रहते हुए लेश मात्र भी भय नहीं होता है।वह निर्भयता से शीघ्र ही सिद्धि प्राप्त कर लेता है इस क्षेत्र में स्नान की भी बहुत बड़ी महिमा गई गई है साथ ही माना जाता है कि यहां की पर्वतमालाओं में भगवान कुबेर की अपार सम्पति का दबा होना भी बताया जाता है पुराण में वर्णन है यहाँ के वाम भाग में समस्त कामनाओं का फल देनेवाली तामवणी नाम की सर्वश्रेष्ठ नदी है स्कंद पुराण में लिखा है की बंगला क्षेत्र के तीर्थों की इतनी बड़ी महिमा है कि विस्तार से तो सौ वर्षों में भी वर्णन नहीं किया जा सकता है स्वयं महादेव जी की वाणी है

माँ बगलामुखी के आस्थावान भक्त स्वामी श्री रामकृष्ण महाराज ने बतायाभि ल्लंगणा नदी के उद्गम स्थल पर यह स्थान खतलिंग महादेव के नाम से भी जाना जाता है उन्होंने बताया कि यहां भक्तजन बड़े ही पुण्य भाग से पहुंचते हैं श्री महाराज ने बताया कि इस क्षेत्र में भिल्लेश्वर महादेव अनेकों रूप में विराजमान है

श्री महाराज ने बताया यह स्थान टिहरी जनपद का सबसे सुंदर स्थान है माँ बगलामुखी के क्षेत्र बगलाधार घनसाली घुत्तू से यहां की दूरी लगभग 70 किलोमीटर के आसपास है उन्होंने बताया कि बीते मई माह के प्रथम सप्ताह में श्री नागराज नागिला देवता के नेतृत्व में भक्तों के एक दल ने यहां पहुंचकर महादेव के दर्शन किए तथा क्षेत्र की सुख समृद्धि व मंगल कामना को लेकर महादेव की पूजा-अर्चना की

@ रमाकान्त पन्त

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