बहराइच/राप्ती नदी के पावन तट पर आज का दिन पूर्णतः आध्यात्मिकता और दिव्य ऊर्जा से ओतप्रोत रहा। सत्य साधक श्री विजेन्द्र पाण्डेय गुरुजी द्वारा माँ पीताम्बरी को समर्पित विशेष यज्ञ का आयोजन किया गया, जिसमें दूर–दराज़ से आए श्रद्धालुओं ने भाग लेकर वातावरण को भक्तिमय बना दिया। नदी के शांत तट, धूप की सौम्य किरणें और बहती राप्ती की पवन-धारा ने यज्ञ के इस दिव्य आयोजन को और भी पवित्र बना दिया।
माँ पीताम्बरी की साधना—सत्य, शक्ति और करुणा का प्रतीक
गुरुजी ने यज्ञ के आरंभ में माँ पीताम्बरी के स्वरूप, शक्ति और उनकी कृपा की महिमा का विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने बताया कि माँ पीताम्बरी साधना जीवन के अंधकार को दूर कर सत्य, ज्ञान और समर्पण का मार्ग प्रशस्त करती है।
माँ पीताम्बरी को शक्ति की वह अद्वितीय अभिव्यक्ति माना जाता है जो भक्तों के जीवन में —
दुखों का निवारण,
संकटों का शमन,
और समृद्धि का संचार करती है।
आज के यज्ञ में यही भाव प्रमुख रूप से देखने को मिला।
पवित्र मंत्रोच्चारण से गुंजायमान हुआ नदी तट
यज्ञ के दौरान वैदिक ऋचाओं, बीज मंत्रों और स्तुतियों ने पूरे तट को एक आध्यात्मिक चेतना से भर दिया। प्रवाहित धूप, आहुतियों का सुगंधित धुआँ और नदी के जल का स्वर — तीनों ने मिलकर ऐसा दिव्य वातावरण उत्पन्न किया कि श्रद्धालु भाव-विभोर हो उठे।
यज्ञ में देवी के 108 नामों के साथ विशेष पीताम्बरी बीज मंत्र का उच्चारण किया गया।
सभी के सुख–समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना
यज्ञ पूर्णाहुति के दौरान सत्य साधक विजेन्द्र पाण्डेय गुरुजी ने उपस्थित जनमानस तथा समूचे क्षेत्र की सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य, शांति और संकटों से रक्षा की मंगल-अभिलाषा व्यक्त की।
उन्होंने कहा—
“माँ पीताम्बरी का आशीर्वाद उन सभी पर बना रहे जो सत्य, श्रद्धा और सेवा भाव से जीवन का मार्ग प्रशस्त करते हैं।”
स्थानीय श्रद्धालुओं की बड़ी उपस्थिति
राप्ती नदी तट पर आयोजित इस दिव्य यज्ञ में बड़ी संख्या में ग्रामीण, श्रद्धालु, महिलाएँ और युवाओं ने भाग लिया। कई लोगों ने इसे जीवन का दुर्लभ आध्यात्मिक अनुभव बताया। उपस्थित भक्तों का मानना था कि आज के इस आयोजन ने क्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा भर दी है और माँ पीताम्बरी का आशीष सबके जीवन में नई उजास लेकर आएगा।
समापन में हुआ प्रसाद वितरण
यज्ञ की पूर्णाहुति के बाद गुरुजी ने सभी श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया और उन्हें धर्म, सत्य तथा सदाचार के मार्ग पर चलने का संदेश दिया।
राप्ती नदी के पावन तट पर संपन्न यह दिव्य यज्ञ न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि संपूर्ण क्षेत्र के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा, शांति और समृद्धि का संचार करने वाला प्रेरणास्पद क्षण भी सिद्ध हुआ।
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