संस्कृति के सरक्षणं व विकास की शानदार पहचान दर्शाता है लालकुआं का उत्तरायणी मेला: दीवान बिष्ट, लालकुआँ में मची उत्तरायणी की धूम

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संस्कृति के सरक्षणं व विकास की शानदार पहचान दर्शाता है लालकुआं का उत्तरायणी मेला: दीवान बिष्ट
लालकुआँ में मची उत्तरायणी की धूम लालकुआं।/लोक संस्कृति पर आधारित भव्य कार्यक्रमों के साथ लालकुआं में तीन दिवसीय उत्तरायणी मेला धूमधाम के साथ आयोजित हो रहा है यहाँ मेले की शुरुआत तेरह जनवरी से हो गयी है
उत्तरायणी मेले के कार्यक्रमों को लेकर क्षेत्रं में जबरदस्त उत्साह है।उत्तरायणी मेला समिति के अध्यक्ष दीवान सिंह बिष्ट दानी ने कहा कि पर्वतीय संस्कृति के संरक्षण,सर्वधन,व विकास के लिए उत्तरायणी मेला समिति लालकुआँ पूरी तरह प्रतिबद्व है हर बार की भांति इस बार भी मेले को और भव्यता प्रदान करनें हेतु संस्कृतिक वैभवता को समेटे कार्यक्रमों की धूम मची हुई है ।उन्होनें बताया उत्तरायणी मेले के बहाने सांस्कृतिक बैभव, सांस्कृतिक मूल्यों तथा सांस्कृतिक सरोकार पर एक बार पुनः सोचने, बिचारने, आत्म चिन्तन करने का भव्य अवसर हम सभी को प्राप्त हुआ है। ऐसे अवसरों पर तमाम मेलों के माध्यम से संस्कृति को सवारना हम सब का परम दायित्व है,संस्कृति के विकास में लालकुआं का उत्तरायणी मेला एक दशक से भी अधिक समय से अपनी अहम् भूभिका निभाते आ रहा है। इधर मेला समिति से जुड़े वरिष्ठ समाज सेवी पूरन सिंह रजवार का कहना है। संस्कृति की रक्षा व सेवा के लिए मेले हमारे जीवन की भव्य बिरासत है।इन्हें जितना भव्य रुप दिया जाऐगा ।ये उतने ही निखरेगें।ऐतिहासिक मेलों की भव्यता में लालकुआँ का उत्तरायणी मेला समूचे राज्य में प्रसिद्ध है।श्री रजवार ने कहा धीरे- धीरे जिस तरह सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति में पाश्चात्य संस्कृति का संक्रमण हुआ, उसके दुष्प्रभावों से पर्वतीय संस्कृति भी अछूती न रह पायी। लेकिन अपनी संस्कृति के प्रति जो सजगता लालकुआं के उत्तरायणी मेले में दिखती है।वह सर्वत्र प्रशंसनीय है।

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