श्री धाम वृंदावन क्षेत्र से जुड़े प्रसिद्ध कथा वाचक श्री ब्रजराज जोशी 10 सितंबर से लाल कुआं में करेंगे श्रीमद् भागवत कथा का वचन

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लालकुआँ/ लालकुआँ नगर के प्रसिद्व शक्ति स्थल माॅाँ अवंतिका मंदर में 10 सितम्बर से श्रीमद्भागवत कथा का आयोंजन होनें जा रहा है। कथा को लेकर इन दिनों जोरदार तैयारियां चल रही है क्षेत्र की सुख समृद्धि व मंगल कामना को लेकर भगवान श्री हरि व पितृों को समर्पित कथा आयोजन को लेकर क्षेंत्र में जबरदस्त उत्साह है। कथा का पारायण 18 सितम्बर को विशाल भण्डारे से होगा।

यह जानकारी देते हुए प्रार्थ प्रवाह परमार्थ सेवा ट्रस्ट से जुड़े भक्तों ने बताया प्रसिद्ध कथा वाचक एवं गीता भाष्यकार ब्रज राज जोशी की सुधामयी वाणी से यहाँ सुन्दर कथा का वाचन किया जाऐगा लोक मंगल की कामना से आयोजित इस कथा को लेकर क्षेत्र में विशेष उत्साह है

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आयोजन से जुड़े श्रद्धालुओं ने बताया दस सितम्बर को प्रातः नगर में भव्य कलश यात्रा निकाली जाऐगी प्रतिदिन 3 बजे से 6 बजे तक कथा का वाचन किया जाऐगा इस दौरान प्रातः 7 बजे से 10 बजे तक पितृ अनुष्ठान जाप आदि कार्यक्रम भी आयोजित होगें नित्यकथा प्रवचन के पश्चात् भजन संध्या का आयाेजन भी होगा। तथा 18 सितम्बर को यज्ञ पूर्णाहुति के पश्चात् महा भंडारे का आयोजन होगा।

इधर श्री धाम वृंदावन से जुड़े प्रसिद्ध कथा व्यास ब्रज राज जोशी जी कहतें है। हर पल नाम सुमिरन व भक्ति करना ही जीवन का मूल उद्देश्य होना चाहिए। सांसारिक कार्य करने के बाद पश्चाताप हो सकता है, परन्तु ईश्वरीय भक्ति, साधना, ध्यान, परोपकार के पश्चात् पश्चाताप का कोई स्थान नही वरन् आनन्द ही आनन्द है। आत्म संतोष की अनुभूति भागवत कथा के श्रवण से प्राप्त होती है।

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वे बताते है,अमृत से मीठा अगर कुछ है तो वह श्री कृष्ण का नाम है,सत्यता के मार्ग पर चलकर परमात्मा प्राप्त होंते है, मन-बुद्धि, इन्द्रियों की वासना को यदि समाप्त करना चाहते हो तो हृदय में परमात्मा की भक्ति की ज्योति को जलाना पड़ेगा।

भागवत की महिमां पर प्रकाश डालते हुए वे कहतें है।श्रीमद्भागवत वेद रूपी वृक्षों से निकला एक अद्भूत पका हुआ फल है। शुकदेव जी महाराज जी के श्रीमुख के स्पर्श होने से यह पुराण परम मधुर हो गया है। इस फल में न तो छिलका है, न गुठलियाँ हैं और न ही बीज हैं। अर्थात इसमें कुछ भी त्यागने योग्य नहीं हैं सब जीवन में ग्रहण करने योग्य है।यही भागवत की परम विशेषता है। इस अलौकिक रस का पान करने से जीवन धन्य-धन्य कृत कृत हो जाता है इसलिये अधिक से अधिक श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण निरंतर करते रहना चाहिये

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