श्री महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय देवलचौड हल्द्वानी में उपाकर्म किया गया

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श्रावणी पूर्णिमा पर्व श्री महादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय देवलचौड हल्द्वानी में उपाकर्म किया गया ।डा चन्द्र बल्लभ बेलवाल ने प्रातः ५ बजे से पंचांग पूजन ऋषि पूजन व तर्पण कराया उसके बाद सभी ने जनेऊधारण किया । महाविद्यालय में संस्कृत दिवस कार्यक्रम भी धूमधाम से मनाया गया । छात्रों ने वैदिक मंगलाचरण किया ।

संस्कृत दिवस पर संस्कृत भारती की प्रान्ताध्यक्षा श्री जानकी त्रिपाठी को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता चन्द्र शेखर भट्ट की विशिष्ट अतिथि डा राजेन्द्र भट्ट थे मुख्य वक्ता डा चन्द्र प्रकाश उप्रेती ने कहा कि संस्कृत सबसे प्राचीन भाषा है विश्व की सभी भाषाओं में संस्कृत ही मूल है । महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ नवीन चन्द्र जोशी ने कहा कि हमारे वेद पुराण संस्कृत भाषा में ही लिखे गये हैं स्रष्टि की आदि भाषा ही संस्कृत है यह देवो की भाषा है इसीलिए संस्कृत को देववाणी कहा जाता है उन्होंने ने कहा कि वैदिक काल में बोलचाल की भाषा संस्कृत ही थी ।डा नवीन चन्द्र जोशी ने कहा कि संस्कृत भाषा में शब्दों का विशाल भण्डार है इसका गुरुतर व्याकरण है ।

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भगवान आशुतोष शिव के डमरु से चौदह सूत्र निकले जिनसे आचार्य पाणिनी जी व्याकरण शास्त्र की रचना की । कार्यक्रम में संस्कृत भारती की प्रान्ताध्यक्षा श्रीमती जानकी त्रिपाठी ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है देवभूमि में देवभाषा संस्कृत द्वितीय राज़ भाषा है । संस्कृत जन भाषा बने इस हेतु समय समय पर संस्कृत सम्भाषण शिविर आयोजित किये जाते हैं । उन्होंने ने कहा कि संस्कृत भाषा में ज्ञान विज्ञान का भण्डार है ।

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कार्यक्रम को डा राजेन्द्र प्रसाद भट्ट व डा चन्द्र बल्लभ बेलवाल व डा कृष्ण चन्द्र जोशी ने भी सम्बोधित किया । कार्यक्रम में संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार में उत्कृष्ट कार्य करने वाली श्रीमती जानकी त्रिपाठी प्रान्ताध्यक्षा संस्कृत भारती उत्तराखंड को ब्रह्मा विद्यायति सम्मान से सम्मानित किया गया ।साथ संस्कृत व संस्कृति का प्रचार करने वाले चन्द्र शेखर भट्ट को भी सम्मानित किया गया । कार्यक्रम में आचार्य राकेश पंत डा कैलाश चन्द्र सनवाल प्रमोद जोशी अनुराग जोशी विनोद पाठक जितिन बुधलाकोटी भाष्कर जोशी पान सिंह विष्ट नीरज विष्ट डा रमेशचंद्र द्विवेदी आदि उपस्थित थे ‌। संचालन डा चन्द्र प्रकाश उप्रेती ने किया ।

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