हिमालय क्षेत्र में स्थित माँ बगलामुखी का मंदिर सदियों से परम आस्था और भक्ति का केंद्र है यहां देवी का पूजन प्राचीन काल से होता आया है बद्री केदार के मध्य में केदार खंड में वर्णित यह दरबार समूचे विश्व में अपना विशिष्ट स्थान रखता है किन्तु प्रचार प्रसार के अभाव में यह स्थान गुमनामी के साये में गुम है तीर्थाटन एवं पर्यटन का दावा करने वाली सरकार की जमीनी हकीकत इस क्षेंत्र की उपेक्षा में साफ झलकती है इस क्षेत्र में माँ की आराधना करनें वाले माँ के भक्त सहज साधक श्री रामकृष्ण महाराज का कहना है देवी के इस दरबार में प्राणी के सभी मनोरथ पूर्ण होते है
श्री रामकृष्ण महाराज ने बताया देवभूमि उत्तराखण्ड की धरती पर स्थित बगलाक्षेत्र युगों-युगों से परम पूज्यनीय है दस महाविद्याओं में से एक माँ बंगलामुखी का भूभाग पवित्र पहाड़ों की गोद में स्थित एक ऐसा मनोहारी स्थल है
जहाँ पहुंचकर आत्मा दिव्य लोक का अनुभव करती है भारतभूमि में माँ के अनेकों प्राचीन स्थल है इन तमाम स्थलों में हिमालय के आँचल में स्थित माँ बंगलामुखी क्षेत्र का महत्व सर्वाधिक है पौराणिकता के आधार पर इसके महत्व की प्राथमिकता पुराणों में सुन्दर शब्दों में वर्णित है
स्कंद पुराण के केदारखण्ड महात्म्य मे बंगला क्षेत्र की बडी विराट महिमां वर्णित की गयी है केदार खण्ड के 45 वें अध्याय मे स्वंय भगवान शिव माता पार्वती को इस क्षेत्र की महिमां का रहस्योद्घाटन करते हुए कहते हैं यह एक सुन्दर क्षेत्र है यह चार योजन लमबा और दो योजन चौडा है भिल्गणा नदी के समीप इस पावन स्थल के बारे में भगवान शिव माता पार्वती से कहते है देवी यह पावन स्थल परम गोपनीय है
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