श्री राम नाम जीवन का सार है : मामा दास

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बाराबंकी/हर पल नाम सुमिरन व भक्ति करना ही जीवन का मूल उद्देश्य होना चाहिए। सांसारिक कार्य करने के बाद पश्चाताप हो सकता है, परन्तु श्री राम की भक्ति, साधना, ध्यान, परोपकार के पश्चात् पश्चाताप का कोई स्थान नही वरन् आनन्द ही आनन्द है। आत्म संतोष की अनुभूति श्री राम कथा के श्रवण से प्राप्त होती है।

उक्त उद्गार हनुमान गढ़ी अयोध्या के प्रसिद्ध भक्त बाबा मामा दास जी ने यहां आयोजित नौ दिवसीय श्री राम यज्ञ के भंडारे के पश्चात प्रकट किये भक्तिमयी एवं आध्यात्मिक भक्ति रस के वातावरण मे श्री मामा दास जी ने कहा कि अमृत से मीठा अगर कुछ है तो वह श्री राम का नाम है,सत्यता के मार्ग पर चलकर परमात्मा प्राप्त होंते है, मन-बुद्धि, इन्द्रियों की वासना को यदि समाप्त करना चाहते हो तो हृदय में श्री राम की भक्ति की ज्योति को जलाना पड़ेगा।

उन्होनें कहां की यह समस्त संसार राममय है राम ही हमारे जीवन का आधार है राम के बिना जीवन का कोई अर्थ नहीं है इस दौरान श्री राम के भक्तिमयी भजनों की प्रस्तुति से पांडाल मे उपस्थित भक्त गण झूम उठे तथा दोनों हाथ ऊपर उठा कर श्री राम भजनों पर झुमते हुए कथा एवं भजनों का आनन्द लिया। आगे उन्होनें कहा कि श्रीरामकथा महान् ज्ञान यज्ञ है। यह मानवीय जीवन को भक्तिमय बना देता है।
भगवान् श्री राम की अद्भूत लीलाओं का वर्णन इसमें समाहित है। भव-सागर से पार पाने के लिये श्री राम कथा एक सुन्दर महासेतु है। इस कथा को सुनने से जीवन धन्य-धन्य हो जाता है इसलिये अधिक से अधिक श्री राम कथा का श्रवण निरंतर करते रहना चाहिये। जितनी ज्यादा कथा सुनेंगे उतना ही जीवन सुधरेगा व परम उद्वार होगा
इस अवसर पर उनके साथ हनुमानगढ़ी अयोध्या के अनेकों भक्त मौजूद रहे

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