राज्य मन्त्री अजीत सिंह ने किये हाट काली व पाताल भुवनेश्वर के दर्शन, बोले अद्भूत है इन तीर्थो की महिमां

ख़बर शेयर करें

 

गंगोलीहाट/ किसान आयोग के उपाध्यक्ष राज्य मन्त्री चौधरी अजीत सिंह ने उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध पावन स्थल हाट कालिका मंदिर व पाताल भुवनेश्वर के दर्शन करके राष्ट्र की सुख समृद्धि के लिए पूजा अर्चना की जनपद पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट क्षेंत्र में स्थित प्रसिद्ध महाकाली मन्दिर व पाताल भुवनेश्वर की गुफा को उन्होंने अद्भूत व अलौकिक शक्ति स्थल बताते हुए कहा कि इन क्षेत्रों के दर्शन करके वे स्वयं को धन्य महसूस कर रहे है

उन्होंने कहा उत्तराखण्ड में सतत विकास की गति को अविरल बनाये रखने की दिशा में माननीय मुख्य मन्त्री पुष्कर सिंह धामी सरकार की पर्यटन एवं तीर्थाटन नीति राज्य के लिए वास्तव में वरदान साबित हो रही है। सरकार की परिवर्तनकारी पहल के सुखद परिणाम अब धरातल पर देखे जा सकते हैं ।
श्री चौधरी ने कहा शिव व शक्ति की पावन भूमि देवभूमि उत्तराखण्ड के पग – पग पर तीर्थ स्थलो की अद्भूत श्रृखंलाएं मौजूद है सुन्दर पर्वत मालाओं के मध्य प्राचीन काल से पूजनीय देवालयों के प्रति भक्त जनों में आपार श्रद्धा है इन्ही श्रद्धा स्थलों में हाट काली व पाताल भुवनेश्वर क्षेत्र वास्तव में अदभूत है

यह भी पढ़ें 👉  चिल्ड्रन्स एकेडमी में समर कैंप का शुभारंभ – बच्चों की प्रतिभा को मिल रही नई उड़ान

यहाँ यह बताते चलें कि महाविद्याओंकी जननी हाटकाली की महिमा अपरंपार है शैल पर्वत की इसी घाटी पर देवताओं ने माँ काली की स्तुति करके उन्हें प्रसन्न किया कहा जाता है कि जिसने शैल पर्वत वासिनी कालिका का पूजन या दर्शन कर लिया उसका जीवन धन्य हो गया यही जयंती मंगला यही काली व यही भद्रकाली सहित सर्व रूप में सर्व स्वरुपा के नाम से जगत में विख्यात है दस महाविद्या में माता का प्रथम स्थान है इन्हें महाविद्या ओं की जननी भी कहा जाता है
जनपद पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट की सौन्दर्य से परिपूर्ण छटाओं के बीच यहां से लगभग 1 किमी दूरी पर स्थित अत्यन्त ही प्राचीन माँ भगवती महाकाली का अद्भुत मंदिर है, जो धार्मिक दृष्टि और पौराणिक दृष्टि काफी महत्वपूर्ण है व आगन्तुकों का मन मोहने में पूर्णतया सक्षम है। स्कंदपुराण के मानस खंड में यहां स्थित देवी का विस्तार से वर्णन मिलता है

यह भी पढ़ें 👉  समाज सेवी पंकज सिंह ने किया कन्हैया भट्ट के लिए मदद का आवाहन

उत्तराखण्ड के लोगोंकी आस्था का केन्द्र महाकाली मंदिर अनेक रहस्यमयी कथाओं को अपने आप में समेटे हुए है। कहा जाता है कि जो भी भक्तजन श्रद्वापूर्वक महाकाली के चरणों में आराधना के श्रद्वापुष्प अर्पित करता है उसके रोग, शोक, दरिद्रता व महान विपदाओं का हरण हो जाता है व उसे अतुल ऐश्वर्य और सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। भक्तों के अनुसार यहां श्रद्वा एवं विनयता से की गई पूजा का विशेष महत्व है। इसलिये वर्ष भर यहां बड़ी संख्या में श्रद्वालओं का आवागमन लगा रहता है।

इसी तरह गंगोलीहाट से लगभग ग्यारह किलोमीटर की दूरी पर पाताल भुवनेश्वर की गुफा भी युगों युगों के इतिहास को अपने आप में समेटे हुए है
अयोध्या के राजा त्रतुपर्ण सौभाग्यशाली राजा हुए, जिन्हें पाताल भुवनेश्वर के भीतर केदारमण्डल के दर्शन हुए। शेषनाग जी की कृपा से केदारमण्डल के पाताल भुवनेश्वर में दर्शन कर राजा ऋतुपर्ण कृतार्थ हुए थे।

यह भी पढ़ें 👉  व्यंग्य :नमक मिर्च के तड़के वाली अभिव्यक्ति

पाताल भुवनेश्वर महात्म्य में केदारमण्डल का जिक्र बड़े ही श्रद्वा भाव से आता है। पाताल भुवनेश्वर महिमा का जिक्र पुराणों में भूतल के सबसे पवित्र क्षेत्र के रूप में आता है। भुवनेश्वर का पूजन कर अश्वमेघ से हजार गुना फल प्राप्त होता है। भारतवर्ष के खण्डों में जो अनेक शिवलिंग हैं वे सब पाताल भुवनेश्वर के समीप विद्यमान हैं। यहां के दर्शन ‘केदार’ से सहस्रगुणित और वैद्यनाथ से भी कोटिगुणित फल प्राप्त होता है।
‘सहस्रगुणितं पुण्य केदारन्मुनिसत्तमाः।’
वैद्यनाथ कोटिगुन कैलाससदृशं फलम्।।
(स्कंद पुराण मानसखण्ड अध्याय 103
भूमण्डल के इस सर्वप्रधान क्षेत्र में बद्री व केदार दोनों के ही दर्शन होते हैं। भगवान शिव की लीला अवर्णनीय है उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है।

Ad