नलखेड़ा का प्राचीन माँ बगलामुखी मन्दिर जहाँ भक्तों की होती है हर अभिलाषा पूरी

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नलखेड़ा में स्थित माँ बंगलामुखी देवी का दरबार पौराणिक काल से परम आस्था और भक्ति का संगम है माँ बगलामुखी देवी के इस दरबार में जो भी प्राणी अपने आराधना के श्रद्धा पुष्प निर्मल भाव के साथ अर्पित करता है उसके समस्त रोग, शोक, दुःख, दरिद्र एवं महाभयानक विपत्तियों का हरण हो जाता है

यह बातें नलखेड़ा से उत्तराखण्ड़ भ्रमण पर आये माँ के सेवक कुन्दन सोनी यज्ञाचार्य पण्डित दिलीप शर्मा पण्डित मनोज शर्मा ने एक भेंट के दौरान कही माँ के भक्त जनों ने बताया नलखेड़ा का प्राचीन माँ बगलामुखी का मंदिर पौराणिक काल से परम आस्था के साथ पूजनीय है मान्यता है कि यहां पर माँ बगलामुखी का पूजन करके पाण्डवों ने महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्त की माँ के भक्त बताते है भक्तों के लिए करुणा व ममता बरसानें वाली नलखेड़ा स्थित विश्व प्रसिद्ध माँ बगलामुखी मंदिर का स्मरण भी बेहद फलदायी है माता का यह प्राचीन माना जाता है और विश्व के सभी बगलामुखी मंदिरों में इसकी विराट आध्यात्मिक महत्ता सर्वाधिक है

तीन मुख वाली माँ बगलामुखी देवी को सर्व स्वरूपा देवी के रूप में भी पूजा जाता है मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले के नलखेड़ा में लखुंदर नदी के तट पर स्थित माॅ परम कल्याणी स्वरूपा के रूप में भी पूजनीय है
माँ के भक्तों ने बताया पांड़वों ने यहां महाभारत के युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए माँ की पूजा अर्चना की थी।
यहाँ पर माँ स्वयंभू रूप से विराजमान है
माना जाता है कि योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण के आदेश पर पाण्डवों की ओर से युधिष्ठिर ने यहाँ माँ की पूजा अर्चना की व मन्दिर का निर्माण किया

माँ के मन्दिर की परिधी में माता बगलामुखी के अतिरिक्त माता महालक्ष्मी, श्री कृष्ण, हनुमान जी , भैरव बाबा तथा माँ सरस्वती भी विराजमान हैं।
यह मन्दिर बेहद प्राचीन मंदिर है दूर दराज क्षेत्रों से लोग यहाँ अपनी मनौती लेकर पधारते है

देवी के इस दरबार में किए जाने वाले अनुष्ठानों का बहुत ही विशेष महत्व है यही कारण है कि भारत भूमि के तमाम क्षेत्रों से लोग यहां पहुंचकर अनुष्ठान करवाते हैं खासतौर से राजनेताओं का यहाँ अनुष्ठान करवानें के लिए आना-जाना लगा रहता है क्योंकि यह राज सत्ता की देवी भी मानी जाती है
श्मशान क्षेत्र में स्थित होने के कारण यहाँ त्रांतिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व है माँ बगलामुखी तंत्र की भी देवी हैं, इसी कारण नलखेड़ा की भूमि पर तांत्रिक अनुष्ठानों का महत्व काफी प्रचलित है।
इस मंदिर परिसर में बिल्वपत्र, चंपा, सफेद आँकड़ा, आँवला, नीम एवं पीपल के वृक्ष एक साथ स्थित होकर शोभायमान हैं।

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