जानिये किस महाऋषि के जन्म दिवस को मनाया जाता है गुरु पूर्णिमां के रूप में

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व्यास पूर्णिमा यानि गुरु पूर्णिमा पर्व
गुरु पूर्णिमा पर्व गुरुओं के प्रति कृतज्ञता व समर्पण भाव का पर्व है । शास्त्रों के अनुसार द्वापरयुग में भगवान श्री हरि विष्णु ने वेदों का विभाग करने के लिए माता सत्यवती के गर्भ से कृष्ण द्वैपायन व्यास के रुप में अवतार लेकर अठारह पुराणों की रचना की । उन्होंने ने वेदों को चार भागों में ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद और अथर्ववेद में विभक्त किया । कलियुग में वेदों का ज्ञान सरलता से प्राप्त हो सके इस हेतु पुराणों व उपनिषदों की रचना की । भगवान व्यास जी के जन्मदिन को गुरु पूर्णिमा पर्व के रुप में मनाया जाता है । गुरु का स्थान त्रिदेवों से भी बढा है ।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुर्गुरुर्देवो महेश्वर: ।
गुरुर्साक्षात्परमं ब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।।

इस मंत्र से गुरु की महिमा स्वयं प्रकट होती है । संसार में अक्षर बोध कराने वाले भी गुरु हैं जो शिक्षा गुरु की श्रेणी में आते हैं । इसके साथ ही दीक्षा गुरु जो हमें ब्रह्मा जीव के विषय का ज्ञान कराते हैं जो हमें परमात्मा तक पहुंचने का मार्ग बताते हैं वो गुरु हैं । भगवान दत्तात्रेय जी ने तो अपने जीवन में चौबीस गुरु बनाते उनके अनुसार जो जीवन में कल्याण का मार्ग बताये वही गुरु हैं ।गुरु का अर्थ है जो अन्धकार से प्रकाश की ओर ले जाये वही गुरु हैं ।१३जुलाई बुधवार को व्यास पूर्णिमा यानि गुरु पूर्णिमा है उसी व्रत की पूर्णिमा भी है ।
पूजन विधि प्रातः काल उठकर स्नान आदि नित्य कर्म के बाद अपने अपने गुरुओं का विधिवत पूजन करें गुरुओं के आदर्शो को जीवन में अपनाना ही उनके प्रति सच्ची पूजा है ।साथ ही घर में प्रथम गुरु प्रथम देवता माता पिता की पूजा उनका सम्मान ही पहली पूजा है । गुरुओं का भी धर्म है कि वे संसार निस्वार्थ भाव से सही ज्ञान व मार्गदर्शन करें ।भारत गुरुओं संत तपस्वियों का देश है अतः गुरु पूर्णिमा पर्व पर सभी पूर्वाचार्यों ऋषियों को शत शत नमन।
डा नवीन चन्द्र जोशी प्राचार्य श्रीमहादेव गिरि संस्कृत महाविद्यालय देवलचौड हल्द्वानी नैनीताल

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