सत्य साधक से मिलने देवी के प्रसिद्ध उपासक आलोक मिश्रा पहुंचें दतिया, मुलाकात को बताया यादगार

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दतिया/ मध्य प्रदेश/ मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शक्ति स्थल दतिया के हनुमान गढ़ी धाम में 36 दिवसीय साधना में सलग्न सत्य साधक श्री विजेन्द्र पाण्डे गुरुजी से मुलाकात हेतु देवी के प्रसिद्ध उपासक आलोक कुमार मिश्रा देवरिया से हनुमान गढ़ी पहुंचे
इस अवसर पर सत्य साधक श्री पाण्डे जी ने उन्हें प्रसिद्ध न्यायधीश रहे स्व० श्री उमाशंकर पाण्डेय जी की मधुर स्मृति में लिखी गयी पुस्तक जय माँ बगलामुखी भेंट की पुस्तक को प्रसाद स्वरूप ग्रहण कर श्री मिश्रा ने आध्यात्म के इस प्रचार – प्रसार को सराहनीय बताया
श्री मिश्रा ने कहा कि सत्य साधक गुरुजी से मुलाकात होना अपनें आप में सौभाग्य का विषय है उन्होने कहा विजया दशमी के अवसर पर हुई यह भेंट आध्यात्मिक यादों की अनुपम भेंट है उन्होंने कहा जिस प्रकार जगत कल्याण के लिए सत्य साधक जी साधनारत है वह एक महान् कार्य है शिव स्वरूप गुरुजी का पावन उद्देश्य परम पूज्यनीय है
उल्लेखनीय है कि श्री मिश्रा देवी के परम उपासक है लोक कल्याण के कार्यों में सलंग्न रहना ही उनके जीवन का उद्देश्य है उनका कहना है कि मानवता से बड़ा कोई धर्म नहीं है

श्री मिश्रा ने कहा कि इस कलिकाल में कथा का श्रवण करना साधना करना और कराना बहुत फलकारी होता है उन्होंनें कहा पर्व को उत्सव के रूप में मनाना चाहिये और देवी माँ से अपने, देश व समाज के कल्याण की कामना करनी चाहिये। इन दिनों में संयम, अनुशासन, पवित्रता का पालन करना चाहिये और देवी मां से प्रार्थना करनी चाहिये कि वे आगे भी जीवन में इनका पालन करने की शक्ति दे।

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उन्होंने आगे कहा कि बड़े पुण्य कर्मों से मानव जीवन प्राप्त होता है अत: इसका अधिक से अधिक सद्पयोग करना चाहिये व पुण्य कार्य करके जीवन को सफल बनाना चाहिये। उन्होनें कहा माता, पिता और संतों की सेवा करने और आशीर्वाद लेने से आयु में वृद्धि होती है और सुख समृद्धि आती है
श्री मिश्रा ने कहा देवी के पावन चरित्रों से बढ़कर कुछ भी नही है।उन्होंने आगे कहा कि जो मनुष्य परम अमृत स्वरुप देवी चरित्रों को सुनता है। संसार में भगवती की कृपा से उसके सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं
मनुष्य को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसका वर्णन कई ग्रंथों और शास्त्रों में पाया जाता है। इन बातों को समझ कर, उनका पालन करने पर जीवन को सुखद बनाया जा सकता है। आस्तिकता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होने कहा आस्तिकता का अर्थ होता है- देवी-देवता में विश्वास रखना। मनुष्य को हमेशा ही देवी-देवताओं का स्मरण करते रहना चाहिए। नास्तिक व्यक्ति पशु के समान होता है। ऐसे व्यक्ति के लिए अच्छा-बुरा कुछ नहीं होता। जीवन में सफलता हासिल करने के लिए आस्तिकता की भावना होना बहुत ही जरूरी होता है।
यज्ञ व दान का महत्व समझाते हुए उन्होने कहा दान करने से पुण्य मिलता है। दान करने पर ग्रहों के दोषों का भी नाश होता है। कई बार मनुष्य को उसकी ग्रह दशाओं की वजह से कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। दान देकर या अन्य पुण्य कर्म करके ग्रह दोषों का निवारण किया जा सकता है। मनुष्य को अपने जीवन में हमेशा ही दान कर्म करते रहना चाहिए सुखी जीवन और हमेशा भगवान की कृपा अपने परिवार पर बनाए रखने के लिए पूरी श्रद्धा के साथ भगवान की पूजा करनी चाहिए
उन्होने कहा शास्त्रों में दिए गए सिद्धांतों से सीख के साथ-साथ पुण्य भी प्राप्त होता है। इसलिए, शास्त्रों और पुराणों का अध्यन और श्रवण करना चाहिए।
उन्होने कहा अच्छी सोच रखने वाला मनुष्य जीवन में हमेशा ही सफलता पाता है। बुरी सोच रखने वाला मनुष्य कभी उन्नति नहीं कर पाता। मनुष्य की बुद्धि उसके स्वभाव को दर्शाती है। सदबुद्धि वाला मनुष्य धर्म का पालन करने वाला होता है और उसकी बुद्धि कभी गलत कामों की ओर नहीं जाती। अतः हमेशा सदबुद्धि का पालन करना चाहिए।
उन्होंने कहा पुराणों और शास्त्रों के अनुसार, जीवन में कई समस्याओं का हल केवल भगवान का नाम जपने से ही दूर किया जा सकता है। जो मनुष्य पूरी श्रद्धा से भगवान का नाम जपता हो, उस पर भगवान की कृपा हमेशा बनी रहती है। भगवान का भजन-कीर्तन करने से मन को शांति मिलती है और पुण्य की भी प्राप्ति होती है

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