जाख पुरान में छायी श्रीमद् देवी भागवत कथा की धूम
देवी के पावन चरित्रों का श्रवण परम कल्याणकारी है : व्यास पंकज उप्रेती
जनपद पिथौरागढ़ के जाख पुरान गाँव में चल रही श्रीमद् देवी भागवत कथा के आयोजन से समूचे क्षेत्र का वातावरण आध्यात्म की उमंग से भक्ति के रंग में रंग गया है
यहाँ चल रही आठवे दिन की कथा में श्रद्धालुओं का आपार समूह कथा श्रवण को उमड़ा रहा भक्त जनों को श्रीमद् देवी भागवत कथा की महिमां बताते हुए
उत्तराखण्ड के प्रसिद्व कथावाचक व्यास पंकज उप्रेती ने ने कहा कि इस कलिकाल में श्रीमद् देवी भागवत कथा का श्रवण करना और कराना बहुत फलकारी होता है उन्होनें देवी की महिमां पर विशेष रुप से प्रकाश डाला तथा देवि के विभिन्न स्वरूप की महत्ता व महिमा के साथ साथ अनेक अवतारों का वर्णन किया
उन्होंने कहा कि भगवान को चढ़ने वाला दव्य शुद्ध व मन्त्र ब्राह्मण दोनों सात्विक होना चाहिए और कथा सदैव शान्त भाव से मौन रहकर सुननी चाहिए और देवी माँ से अपने, देश व समाज के कल्याण की कामना करनी चाहिये। जीवन में सदैव संयम, अनुशासन, पवित्रता का पालन करना चाहिये
श्री उप्रेती ने कहा कि बड़े पुण्य कर्मों से मानव जीवन प्राप्त होता है अत: इसका अधिक से अधिक सद्पयोग करना चाहिये व पुण्य कार्य करके जीवन को सफल बनाना चाहिये। उन्होनें कहा माता, पिता और संतों की सेवा करने और आशीर्वाद लेने से आयु में वृद्धि होती है और सुख समृद्धि आती है
श्री उप्रेती ने कहा देवी के पावन चरित्रों से बढ़कर कुछ भी नही है।श्रीमद्देवी भागवत नामक पुराण से बढ़कर कोई पुराण नहीं है। भागवत कथा पढऩे व सुनने से कोई भी पदार्थ दुर्लभ नहीं रह सकता है। इनकी कृपा से सभी कष्टों का निवारण शीघ्र हो जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि जो मनुष्य परम अमृत स्वरुप इस कथा को पूर्ण मनोयोग से पढ़ता व सुनता है। संसार में भगवती की कृपा से उसके सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं
आस्तिकता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होने कहा आस्तिकता का अर्थ होता है- देवी-देवता में विश्वास रखना। मनुष्य को हमेशा ही देवी-देवताओं का स्मरण करते रहना चाहिए। नास्तिक व्यक्ति पशु के समान होता है। ऐसे व्यक्ति के लिए अच्छा-बुरा कुछ नहीं होता। जीवन में सफलता हासिल करने के लिए आस्तिकता की भावना होना बहुत ही जरूरी होता है।
उन्होंने कहा मनुष्य को अपने जीवन में हमेशा ही दान कर्म करते रहना चाहिए श्रद्धा के साथ भगवान की पूजा करनी चाहिए
उन्होने कहा शास्त्रों में दिए गए सिद्धांतों से सीख के साथ-साथ पुण्य भी प्राप्त होता है। इसलिए, शास्त्रों और पुराणों का अध्यन और श्रवण करना चाहिए।
उन्होने कहा अच्छी सोच रखने वाला मनुष्य जीवन में हमेशा ही सफलता पाता है। बुरी सोच रखने वाला मनुष्य कभी उन्नति नहीं कर पाता। मनुष्य की बुद्धि उसके स्वभाव को दर्शाती है। सदबुद्धि वाला मनुष्य धर्म का पालन करने वाला होता है और उसकी बुद्धि कभी गलत कामों की ओर नहीं जाती। अतः हमेशा सदबुद्धि का पालन करना चाहिए।
उन्होंने कहा पुराणों और शास्त्रों के अनुसार, जीवन में कई समस्याओं का हल केवल देवी माँ के मन्त्रों के जपने से ही दूर किया जा सकता है।
इस अवसर पर महात्मा योगी निरंजन नाथ जी महात्मा हवा नाथ जी पंकज गिरी जी पुरोहित आनन्द बल्लभ भट्ट पूर्व दर्जा राज्य मन्त्री ललित पंत माँ भद्रकाली मंदिर के आचार्य योगेश पंत सारथी गोविन्द सिंह महरा हरीश चन्द्र पाण्डे आचार्य प्रकाश चन्द्र उप्रेती राहुल भट्ट वासुदेव गिरी समेत अनेकों भक्त मौजूद रहे
कथा के मुख्य आयोजक वासुदेव गिरी ने बताया उनके स्वर्गीय पिता दिल गिरी जी व अन्य पित्र जनों के आशीर्वाद व भक्तो के सहयोग से यहाँ कथा का आयोजन हो रहा है साथ ही नव निर्मित भव्य महाकाली . में आज मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा भी की जा रही है उन्होंने बताया मंदिर को भव्य स्वरूप प्रदान करने में प्रख्यात शिल्पकार दानी राम सुरजीत मिस्त्री एवं हरीश पेंटर का बेहतर सहयोग रहा है
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