उत्तराखण्ड का एक मात्र आद्य शक्ति माँ अम्बिका देवी का दरबार आज भी सड़क मार्ग से वंचित

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गगोलीहाट तहसील के कोठेरा गाँव में स्थापित है माँ का यह पावन दरबार
वर्षों से सड़क मार्ग की मांग करते आ रहे हैं क्षेत्रवासी, नहीं हुई कोई सुनवाई

स्थानीय विधायक से लेकर क्षेत्रीय सांसद व विभागीय अधिकारी तक,सिर्फ आश्वासन देकर ग्रामीणों को करते आए हैं गुमराह

तीर्थाटन के साथ ही पर्यटन विकास की असीम संभावनाएं मौजूद हैं समूचे क्षेत्र में

अब मानसखण्ड मन्दिर माला योजना के तहत माँ अम्बिका दरबार के विकास की मांग करने लगे हैं क्षेत्रवासी

गंगोलीहाट ( पिथौरागढ़ ),
जनपद के गंगोलीहाट तहसील अन्तर्गत कोठेरा ( टोलिया ) गाँव में आठवीं सदी का निर्मित आद्य शक्ति माँ अम्बिका देवी का पावन दरबार, उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के 24 सालों बाद भी एक अदद सड़क मार्ग से वंचित है।

क्षेत्रवासियों की आस्था व श्रद्धा का यह पावन दरबार जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों व सरकारों की लगातार अनदेखी के चलते आज तक गुमनामी का दंश झेल रहा है। आजादी से बाद से ही माँ अम्बिका के इस दरबार तक पहुंचने के लिए सड़क की मांग उठती रही है। अलग राज्य बनने के बाद क्षेत्रवासियों में जरूर एक नई उम्मीद जगी थी, परन्तु 24 वर्षो से लगातार माँग करते आ रहे क्षेत्रवासी आज तक निराश हैं।

बताया जाता है कि कोठेरा गाँव में स्थित आदिशक्ति माँ अम्बिका देवी का यह मन्दिर आठवीं शताब्दी में आदि जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया था। स्कन्द पुराण के मानसखण्ड में प्रसंग आता है कि आठवीं सदी में आदि जगद्गुरु शंकराचार्य महाकाली दरबार गंगोलीहाट पधारे थे और लम्बी साधना के पश्चात उनका महाकाली से दुर्लभ साक्षात्कार हुआ था । उसी काल में जगदगुरु को प्राचीन शक्ति स्थल माँ अम्बिका दरबार पहुंचने का श्वेत रूप में जगद्जननी ने आदेश दिया यहाँ पहुंचकर उन्होने माँ अम्बिका के दर्शन किये।
क्षेत्र में प्रचलित किंवदंतियों की मानें तो महाकाली दरबार गगोलीहाट ( हाटकालिका ) की तरह माँ अम्बिका दरबार परम पूजनीय है यहाँ शान्त स्वरूप में देवी की पूजा होती है

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समुचित प्रचार-प्रसार के अलावा सरकारों की अनदेखी व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते धर्म व आध्यात्म का यह पौराणिक केन्द्र माँ अम्बिका दरबार लगातार गुमनाम बना रहा और आज भी इस ओर झांकने की जरूरत नहीं समझी जा रही है।
बताते चलें कि वर्ष 2004 में स्थानीय लोगों की मांग पर गंगोलीहाट के तत्कालीन विधायक नारायण राम दास व सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा सड़क मार्ग को लेकर गहन विमर्श किया गया था । तब कोठेरा ( टोलिया ) से सिमल्ट – देवराड़ी होकर माँ अम्बिका दरबार को जोड़ते हुए सिन्टोलिया, रणकोट, उकाला और फिर महाकाली दरबार गंगोलीहाट तक सड़क मार्ग बनाए जाने पर सहमति बनी थी।

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इसके लिए बाकायदा अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग बेरीनाग के ही परामर्श पर उन को प्रस्ताव भी भेजा गया था । परन्तु कोई कार्यवाही नहीं की गयी । विभागीय अधिकारियों की उदासीनता व विधायक-सांसद जैसे जनप्रतिनिधियों की अनदेखी का परिणाम आज भी क्षेत्रवासी भुगत रहे हैं।
इस बाबत कोठेरा गाँव के एक सेवानिवृत्त अधिशासी अभियंता बताते हैं कि तीर्थाटन व पर्यटन की दृष्टि से अत्यधिक समृद्ध क्षेत्र होने के बावजूद अन्य विकास तो छोड़िये एक अदद सड़क मार्ग का निर्माण न हो पाना अत्यधिक दुर्भाग्यपूर्ण है। श्री हरीश कोठारी कहते हैं कि एक तरफ तो राज्य सरकार ” मुख्य मंत्री ग्राम सड़क योजना ” के तहत प्रत्येक गाँव को सड़क मार्ग से जोड़े जाने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर कोठेरा- टोलिया क्षेत्र के अनेक गावों की लगातार अनदेखी की जाती है।
पिछले दिनों सेवा निवृत्त अधिशासी अभियंता हरीश कोठारी द्वारा समस्त क्षेत्रवासियों की ओर से क्षेत्रीय विधायक को एक बार फिर से पत्र भेजकर सड़क निर्माण कराने की माँग की है। पत्र की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अलावा सचिव- पर्यटन विभाग, सचिव लोक निर्माण विभाग, जिलाधिकारी पिथौरागढ़, उप जिलाधिकारी गंगोलीहाट तथा अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग बेरीनाग को प्रेषित की गयी है।
पत्र में श्री कोठारी ने आदि शक्ति माँ अम्बिका दरबार की पौराणिकता, आध्यात्मिक महत्ता एवं पर्यटन की दृष्टि से दरबार की व क्षेत्र की उपयोगिता का जिक्र करते हुए माँग की है कि मानस खण्ड मन्दिर माला योजना के तहत जिस प्रकार राज्य सरकार द्वारा कुमाऊं क्षेत्र के प्राचीन देवस्थलों और शक्ति पीठों को संवारा जा रहा है, उसी प्रकार आध्यात्मिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण माँ अम्बिका दरबार जैसे तमाम अन्य गुमनाम शक्ति स्थलों को भी इस योजना का हिस्सा बना कर उनका सम्पूर्ण सौन्दर्यीकरण किया जाना चाहिए। श्री कोठारी का कहना है कि कोठेरा गाँव स्थित माँ अम्बिका दरबार को यदि सड़क मार्ग से जोड़ दिया जाए तो समूचे क्षेत्र का विकास होगा और स्वरोजगार की अनेकानेक सम्भावनाएं धरातल पर उतरेंगी खासतौर से तीर्थाटन की दृष्टि से माँ अम्बिका दरबार भी हाट कालिका महाकाली दरबार की तरह तीर्थाटन व पर्यटन विकास का एक प्रमुख केन्द्र बन सकता है।
बहरहाल सड़क मार्ग निर्माण को लेकर कोठेरा क्षेत्र के तमाम प्रामीण लगातार संघर्ष करते आ रहे हैं । अब देखने वाली बात यह होगी कि राज्य सरकार व सम्बन्धित विभाग इस दिशा में कब तक नींद से जाग पायेंगे ।

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