श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों को मिला राज्य कर्मी का दर्जा ,42 साल बाद आया ऐतिहासिक फैसला, 70 से 90 हजार होगा वेतन

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+ 42 साल बाद आया ऐतिहासिक फैसला, 70 से 90 हजार होगा वेतन
+ राज्य कर्मियों की भाँति मिलेंगी सभी सरकारी सुविधाओं का लाभ
+ नियुक्ति को लेकर तय होंगे चार श्रेणियों में ग्रेड और मैट्रिक्स
+ मन्दिर के विकास और व्यवस्था की अब नई रूपरेखा होगी तैयार

वाराणसी ( उत्तर प्रदेश ) ।
लम्बे संघर्ष व प्रतीक्षा के बाद अन्ततः श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों को अब राज्य कर्मचारी का दर्जा मिल गया है ।
40 वर्षों के लम्बे संघर्ष के बाद यह ऐतिहासिक फैसला आया है। फलस्वरूप मन्दिर के पुजारियों को अब प्रतिमाह 70 हजार से 90 हजार रुपए वेतन के रूप में मिलेगा । इसी के राज्य पुजरियों को राज्य कर्मचारियों की तरह ही सभी सरकारी सुविधाओं का लाभ भी मिल सकेगा । इससे पूर्व यहाँ के पुजारियो को मात्र 30 हजार रुपए बतौर मानदेय दिया जाता था।
गुरुवार को हुई श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर न्यास परिषद की 108 वीं बैठक में इस ऐतिहासिक कर्मचारी सेवा नियमावली को स्वीकृति प्रदान कर दी गयी ।
वाराणसी के मण्डलायुक्त एस राजलिंगम की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कर्मचारी सेवा नियमावली समेत दो दर्जन महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई । बैठक में मन्दिर के विकास और व्यवस्थाओं को लेकर नई रूपरेखा तैयार की गई, जो जल्द ही धरातल पर दिखाई देगी ।
मण्डलायुक्त एस राजलिंगम ने कहा है कि नई नियमावली लागू होने के साथ ही मन्दिर के पुजारियों और कर्मचारियों के जीवन स्तर में बड़ा बदलाव आयेगा । उन्होंने कहा है कि अभी तक पुजारियों को लगभग 30 हजार रुपए मासिक मिलते थे, जो अब बढ़कर 70 से 90 हजार रुपए हो जाएंगे ।
मण्डलायुक्त ने कहा है कि वेतन के साथ – साथ अब पुजारियों व कर्मचारियों को राज्य कर्मियों की तरह प्रमोशन, अवकाश, भत्ते व अन्य सभी सुविधाओं का लाभ प्राप्त हो सकेगा । उन्होंने कहा है कि नियुक्तियों को लेकर चार श्रेणियों में ग्रेड और मैट्रिक्स तय किये जाएंगे ।
बताते चलें कि वर्ष 1983 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर का अधिग्रहण किया था, लेकिन पुजारियों व कर्मियों के लिए कोई स्थाई सेवा नियमावली नहीं बनाई गई। वर्तमान योगी सरकार द्वारा इस दिशा में गम्भीरतापूर्वक कार्य करते हुए अन्ततः 42 वर्षो बाद पुजारियों व कर्मियों को न्याय मिल सका ।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद की 108 वीं बैठक में कुल मिलाकर जिन बड़े फैसलों पर मोहर लगी, उनमें–
विशालाक्षी माता मन्दिर तक अब नया भव्य कॉरिडोर बनेगा, ताकि श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकेंगी । इसी के साथ प्रस्तावित कॉरिडोर निर्माण के लिए भवन खरीदे जाने पर भी बैठक में सहमति बन गई।
श्री काशी विश्वनाथ धाम में एक अत्याधुनिक डिजिटल संग्रहालय स्थापित किया जाएगा, जहाँ श्रद्धालुओं को मन्दिर के इतिहास व सास्कृतिक वैभव से परिचित होने का सौभाग्य प्राप्त होगा ।
मिर्जापुर स्थित मन्दिर न्यास की भूमि पर वैदिक शिक्षा व संस्कार प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना के लिए वह भूमि राज्य सरकार को दी जाएगी ।
भारतवर्ष के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों को आपस में जोड़ने के लिए ” संगम तीर्थ जल आदान-प्रदान योजना ” को भी मंजूरी दी गई है।
धाम की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए पहले से स्थापित कंट्रोल रूम और सीसी टीवी कैमरों को बेहतर तकनीक से अपग्रेड किया जाएगा । इसी के साथ दण्डी सन्यासियों को नियमित प्रसाद – भोजन के साथ ही 101 रुपए की दक्षिणा प्रदान की जाएगी ।
उत्तराखण्ड स्थितजागेश्वर धाम के प्रधान पुजारी एवं महामण्ड लेश्वर श्री श्री 1008 कैलाशानन्द महाराज और कमस्यार घाटी ( बागेश्वर ) स्थित माँ भद्रकाली धाम के संरक्षक आचार्य योगेश पन्त ने श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर परिषद के उक्त निर्णय का स्वागत किया है और श्री काशी विश्वनाथ धाम से जुड़े सभी पुजारियों, सन्तों व कर्मियों को बधाई प्रेषित की है।