समाजवाद के अग्रदूत महाराजा अग्रसेन की जयंती धूमधाम से मनाई गयी नगर में निकली शोभायात्रा

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लालकुआँ / लालकुआं में अग्रसेन जयंती के अवसर पर भव्य शोभा यात्रा और झांकी निकाली गई जिसमें सैकड़ों की संख्या में भक्त जनों ने भाग लेकर अपने आराधना के श्रद्धा पुष्प अग्रसेन महाराज को समर्पित किये
इस अवसर पर घनश्याम दास गोयल जगदीश अग्रवाल दिनेश कुमार बंसल गणेशी लाल रमेश मिश्रा सचिन अग्रवाल पियूष अग्रवाल मोहन अग्रवाल गोपी गर्ग हनुमान प्रसाद सतीश अग्रवाल अशोक अग्रवाल विकेश गोयल विवेक गुप्ता  गणेशी लाल महावीर प्रसाद सोनू अग्रवाल ओम प्रकाश महेश गर्ग राहुल मित्तल अमित अग्रवाल शंकर अग्रवालनगर पंचायत अध्यक्ष लाल चन्द्र सिंह धन सिंह बिष्ट दीवान सिंह बिष्ट सहित बड़ी संख्या में मातृ शक्तियां मौजूद रही

यहाँ यह बताते चले महाराजा अग्रसेन जी का जन्म अश्विन शुक्ल प्रतिपदा को हुआ, जिसे अग्रसेन जयंती के रूप में समूचे भारत वर्ष में मनाया जाता है। महाराजा अग्रसेन का जन्म लगभग पांच हजार वर्ष पूर्व प्रताप नगर के राजा वल्लभ के यहां सूर्यवंशी क्षत्रिय कुल में हुआ था जो परम प्रतापी व महान् धर्म परायण थे । वर्तमान में यह स्थान राजस्थान व हरियाणा राज्य के बीच सरस्वती नदी के किनारे का माना जाता है राजा वल्लभ के अग्रसेन और शूरसेन नामक दो पुत्र हुए। अग्रसेन महाराज वल्लभ के ज्येष्ठ धर्मात्मा पुत्र थे। महाराजा अग्रसेन के जन्म के समय गर्ग ऋषि ने इनके महा प्रतापी व पूजनीय होने की भविष्य वाणी की थी और कहा था इनका नाम चिरकाल तक अमर रहेगा

महाराज अग्रसेन ने नाग लोक के राजा कुमद के यहां आयोजित स्वयंवर में राजकुमारी माधवी का वरण कर विवाह किया था इस स्वयंवर में देव लोक से राजा इंद्र भी राजकुमारी माधवी से विवाह की इच्छा को लेकर उपस्थित थे, परन्तु माधवी द्वारा श्री अग्रसेन का वरण करने से इंद्र कुपित होकर स्वयंवर स्थल से चले गए। इस विवाह से नाग एवं आर्य कुल के नये रिश्ते सामनें आये थे
कुपित इंद्र ने अपने अनुचरों से प्रताप नगर में वर्षा नहीं करने का आदेश दिया जिससे भयंकर अकाल पड़ा। चारों तरफ त्राहि त्राहि मच गई। तब अग्रसेन और शूरसेन ने अपने दिव्य शस्त्रों का संधान कर इन्द्र से युद्ध कर प्रतापनगर को विपत्ति से बचाया। लेकिन यह समस्या का स्थायी समाधान नहीं था। तब अग्रसेन ने भगवान शंकर एवं माता पार्वती की आराधना से महा शक्तिया प्राप्त कर अपने राज्य का अग्रोहा से विस्तार किया ।
ऐसा भी प्रसंग मिलता है देवराज इन्द्र की शक्तियों से मुकाबला करने के लिए इन्होने राजकुमारी सुन्दरावती के स्वयंवर में भी हिस्सा लेकर उनका वरण किया दो-दो नाग वंशों से संबंध स्थापित करने के बाद महाराजा वल्लभ के राज्य में अपार सुख समृद्धि व शक्ति की बृद्धि हुई।
महाराजा अग्रसेन को समाजवाद का अग्रदूत कहा जाता है। अपने क्षेत्र में सच्चे समाजवाद की स्थापना हेतु उन्होंने अनेकों नियम बनाये
ऐसी मान्यता है कि महाराजा अग्रसेन अग्रवाल जाति के पितामह थे। धार्मिक मान्यतानुसार इनका जन्म मर्यादा पुरुषोतम भगवान श्रीराम की चौंतीसवीं पीढ़ी में सूर्यवंशी क्षत्रिय कुल के महाराजा वल्लभ सेन के घर में द्वापर के अन्तिम चरण और कलियुग के प्रारम्भ में आज से लगभग 5005 वर्ष पूर्व हुआ था। महाराजा अग्रसेन समाजवाद के प्रर्वतक, युग पुरुष, राम राज्य के समर्थक एवं महादानी थे। महाराजा अग्रसेन उन महान् विभूतियों में से थे जो सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय: की निर्मल भावनाओं के साथ सदा स्मरणीय व पूजनीय रहेगें

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