सावन माह के इन दिनों में भगवान शिव के मंदिरों में भक्तों की भीड़ से धूम मची हुई है देश के सभी शिवालय आध्यात्म के रंग में रंगे हुए है शिवलिंगों पर जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की लंबी कतारें प्रातः काल से ही देखी जा सकती है चाहे गांव के शिवालय हो शहर के शिवालय हो या वीरान वनों के शिवालय हर शिव मंदिर में आध्यात्मिकता का अनूठा संगम सावन के इन दिनों में देखने को मिल रहा है जिन स्थानों पर स्थित शिवलिंग भक्तों की पहुंच से दूर है वहां प्रकृति स्वयं महादेव का जलाभिषेक कर रही है
पौराणिक आस्था के केन्द्र शिव मन्दिरों की श्रृंखलाओं में देवरिया जिले के सोहगरा में स्थित शिव मन्दिर प्राचीन काल से परम आस्था के साथ पूजनीय है हंसनाथ के नाम से स्थित महादेव की यह भूमि बड़ी ही मनभावन है हंसनाथ महादेव के रूप में पूजित इस दरबार में वैसै तो वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है परन्तु सावन माह के इन दिनों में यहाँ की अद्भूत छटा बरबस ही भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है
सोहगरा धाम के नाम से प्रसिद्ध हंसनाथ जी के दरबार के बारे में यह मान्यता प्रचलित है कि यहाँ पर मांगी गयी मनौती सदैव पूर्ण होती है कल्याण के दाता हंसनाथ जी सदैव अपने भक्तों पर कृपालु रहते है प्राचीन काल में यह स्थान स्वर्णहरा नाम से प्रसिद्ध था कहा जाता है कि महान् शिव भक्त वाणासुर ने महादेव की हंसनाथ के रूप में पूजा करके अलौकिक सिद्धियां प्राप्त की तथा माता पार्वती व शिवजी के पुत्र होनें का गौरव प्राप्त किया
महाप्रतापी शिव भक्त बाणासुर के संबंध में अनेक कथाएं पुराणों में प्रसिद्ध है उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में स्थित जनपद चंपावत में भी बाणासुर का किला प्राचीन काल से प्रसिद्ध है महान् शिव भक्त बाणासुर की शिव भक्ति का प्रतीक ही भाटपाररानी तहसील में स्थित सोहगरा का यह शिवालय है
इस मंदिर के संदर्भ में अनेकों लोक कथाएं जनमानस में प्रचलित है यह स्वयंभू शिवलिंग है जिसकी ऊँचाई बड़ी ही आकर्षक है शिव लिंग की गहराई के बारे में कहा जाता है कि इसकी गहराई का कोई अता पता नहीं है अंग्रेजों ने भी इस शिव लिंग की गहराई जानने की चेष्टा की लेकिन असफल रहे
कुल मिलाकर हंसनाथ महादेव के नाम से प्रसिद्ध भगवान शिवजी की यह पावन स्थली आस्था व भक्ति का संगम है पटना गोपालगंज आजमगढ़ गोरखपुर देवरिया सहित देश के अनेक हिस्सों से भक्तजन यहां दर्शनों को आते है यहाँ दर्शन को पहुचे प्रसिद्ध भजन गायक प्रमोद मिश्रा व समीपस्त गाँव परासी चकलाल के प्रेम प्रकाश दूबे ने कहा यहाँ के दर्शन का सौभाग्य महादेव की परम कृपा का फल है जो भी यहाँ पहुंचकर महादेव की वंदना करता है उसके सभी मनोरथ पूरे होते है
बारहाल इस स्थान के पास छोटी गंडक नदी है जिस पर एक पुल बना है जो उत्तर प्रदेश व बिहार का बार्डर है
बाबा हंस नाथ मंदिर में स्थापित विशाल शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि यहां पूजा अर्चना और जलाभिषेक करने से समस्त मनोरथ पूर्ण होते है पुत्र हीन पुत्र की इच्छा से धन हीन धन की इच्छा से व संसार से विरक्त प्राणी मुक्ति की इच्छा से महादेव हंसनाथ का पूजन करते है खासतौर से अच्छे पति की कामना को लेकर कुंवारी युवतिया यहाँ काफी संख्या में आती है इस विशाल शिवलिंग का दर्शन ही महामंगल का प्रदाता माना गया है यह भी मान्यता है कि वाणासुर की पुत्री उषा ने हंसनाथ की पूजा से अपना जीवन धन्य किया था
लोक गाथाओं के अनुसार काशी नरेश राजा हंस ध्वज ने संतान प्राप्ति के लिए यहां आकर मनौती मांगी थी और उनकी अभिलाषा महादेव हंसनाथ ने पूरी की तत् पश्चात् राजा हंसनाथ ने इस स्थान पर विशाल मंदिर का निर्माण कराया और महादेव हंसनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुए अनेकानेक अद्भत कथाओं अपने आवरण में समेटे बाबा हंसनाथ आप सभी का मंगल करें
रिपोर्ट: रमाकान्त पन्त



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