परम फलदायी है, माँ अवंतिका का स्मरण: डा० आर० के० सेतिया

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लालकुआँ/ वरिष्ठ समाजसेवी आध्यात्मिक विचारधारा के धनी माँ अवंतिका मन्दिर के आस्थावान भक्त डा० आर० के० सेतिया ने कहा कि यह देवी नगर एवं क्षेत्र की रक्षा करने वाली देवी है। इनकी छत्रछाया ही हम लोगों का सुरक्षा कवच है।
श्री सेतिया ने कहा उनके ऊपर माँ अवंतिका की विशेष कृपा है, उन्होंने कहा कि इस देवी की महिमाँ का वर्णन शब्दों में कदापि नहीं किया जा सकता है। जब भी कोई उलझन होती है ,तो वे माँ का स्मरण करते हैं तथा उन्हें हर समस्या का निदान माँ के स्मरण से प्राप्त होता है। उन्होंने कहा माँ के चरणों में ही सच्चा सुख है। उल्लेखनीय है, कि माँ अवन्तिका देवी करुणामयी, दयामयी तथा ममता का अथाह सागर कही गयी है, अपने भक्तों से स्नेह रखना तथा उनका सर्वत्र मंगल करना माँ का परम स्वभाव है, शास्त्रकारों का कथन है कि विषम परिस्थितियों के बीच जो भक्त सम्पूर्ण श्रद्वा विश्वास व समर्पण की भावना से अपने आराधना के श्रद्वा पुष्प माँ के चरणों में अर्पित करता है, वह कल्याण का भागी बनता है, इसलिए माता अवन्तिका की अराधना, उपासना, वदंना मनुष्य के लिए कल्याणकारी बतलायी गयी है, इसी शक्ति तत्व में माता के सभी रुप समाहित है, माँ सृष्टि के कल्याण के लिए अनेकानेक लीलाओं का सतत् सृजन करती है।
ये स्वयंभू देवी है, इसलिए भू देवी के रुप में भी इनकी पूजा की जाती है भगवान शिव जी की परम शक्ति के रूप में भी इन्हें पूजा जाता है*
अवंतिका देवी को सिन्दूर, व चोला एव आभूषण चढ़ाया जाता है
इनके दरबार में घी से दीपक जलाया जाता है
कुंवारी युवतियां अच्छे पति की कामना से अंवतिका देवी का पूजन करती है।
रुक्मिणी ने भगवान श्री कृष्ण को पति के रुप में पाने के लिए इनकी ही आराधना की
अंवितका देवी के पूजन के पश्चात् श्री कृष्ण व रुक्मिणी का पूजन अखण्ड सौभाग्यदायक माना जाता है*।
अंवितका देवी पापों का नाश करने वाली तथा भुक्ति और मुक्ति प्रदायनी है
भक्त प्रहलाद भी माता अवन्तिका की कृपा पाकर कृतार्थ हुए थे वामन पुराण में इसका जिक्र है
भगवान श्री कृष्ण, श्री बलराम व श्री सुदामा को मां अवन्तिका का विशेष आशीर्वाद था।
अंवतीखण्ड में विस्तार से देवी के महात्म्य का वर्णन आता है, तथा कहा जाता है।
शरीर रुपी पाप तभी तक गर्जना करते है, जब तक मां अवन्तिका का स्मरण नही किया जाता है
अत्री ऋषि ने इनकी घोर तपस्या से महाऋषि का स्थान प्राप्त किया।
मंगल देव की उत्पति भी मां अवन्तिका की कृपा से ही हुई इनके पूजन से मंगल का दोष मिट जाता है
माता अवन्तिका के पूजन के साथ महाकाल की पूजा का विधान है
अवन्तिका माता के अन्य नमः- विषाला देवी, प्रतिकल्पा देवी, मां कुमुदवती, मंदनी, स्वर्णषृगा,नंदनी अमरावती सहित असंख्य नाम है

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