53 वर्षों से श्री रामलीला को समर्पित है बिन्दुखत्ता के इस प्रसिद्ध हारमोनियम वादक के स्वर
बिन्दुखत्ता के गांधी नगर हल्दूधार निवासी गोपाल सिंह बिष्ट (श्याम मास्टर) ने अपनी संगीत की वर्षों की विकास यात्रा में मानवीय मूल्यों को गरिमा प्रदान करने की जो कला सीखी है, वह अद्वितीय है। श्री राम लीला के मंचनों में इनके द्वारा बजाये जाने वाले स्वरों की अविरल धारा बहती आयी है। जो सभी को मन्त्र मुग्ध कर देती है दर्शन और आध्यात्मिक प्रवाह की जो सरसता इनके द्वारा बजाये जाने वाले सुर संगीतों में झलकती है वह न सिर्फ भौतिक जीवन को अलौकिक रसों से सरावोर कर देती है, वरन् जीवनधारा प्रवाह को देवत्व से तादात्म्य स्थापित करने का प्रेरक उछाल भी देती है। बचपन से ही भजन कीर्तन व मंगल गीतों में अभिरुचि रखनें वाले श्याम मास्टर इस वर्ष भी लालकुआँ की रामलीला में आज से संगीत के मधुर स्वर भरेंगे
वे आध्यात्मिक गुणों की आराधना का प्रमुख केन्द्र श्री राम को मानते है वे कहते श्री राम की लीला भक्ति की महानता का पर्व है। और हनुमानजी भक्तों के आदर्श हैं। एक ऐसे भक्त जिन्होंने असुरता को समाप्त करने के लिए स्वयं को भगवान के काम में पूरी तरह समर्पित कर दिया। अर्थात् हनुमान जी सेवा करते-करते राम के ही समान हो गये, राम उनके इतने अनन्य प्रेमी हैं कि अब तो मात्र हनुमान का नाम भर लेने से वे प्रसन्न हो जाते हैं।
लेकिन इस भक्ति की पराकाष्ठा को प्राप्त करने के लिए सद्गुणों का विकास करना होता है। और संगीत इस विकास का शानदार मार्ग है
उनका मानना है सुदृढ़ और सुविकसित व्यक्तित्व से ही भगवान का कार्य अधिक मात्रा में और अधिक अच्छा किया जा सकता है,
बारहाल सरल सादगी व श्री राम काज के प्रति समर्पण का भाव रखने वाले गोपाल सिंह बिष्ट अपने जीवन का सबसे बड़ा आदर्श अपने पिता स्व० श्री प्रताप सिंह को मानते है
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