वनाधिकार कानून में हुआ कोई भी संशोधन 75 साला या तीन पीढ़ी के रिकॉर्ड में छूट नहीं देता, ऐसी कोई भी बात करना जनता के साथ बेईमानी है: बहादुर सिंह जंगी

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लालकुआं
25 जुलाई• वनाधिकार कानून में हुआ कोई भी संशोधन 75 साला या तीन पीढ़ी के रिकॉर्ड में छूट नहीं देता, ऐसी कोई भी बात करना जनता के साथ बेईमानी है: बहादुर सिंह जंगी
• भाजपा अपनी राजनीति के लिए और कुछ एनजीओ वनाधिकार कानून के दावा फॉर्म भरने के अपने प्रोजेक्ट को बरकरार रखते के लिए जनता को भ्रमित कर रहे हैं
• वनाधिकार कानून के आधार पर राजस्व गांव बनाने वाली भाजपा की बात बेईमानी भरी हास्यास्पद कोशिश
• जनता के बीच भ्रम को दूर करने के लिए 6 अगस्त को “वनाधिकार कानून और बिंदुखत्ता राजस्व गांव का सवाल” विषय पर संगोष्ठी होगी

अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष और बिंदुखत्ता भूमि संघर्ष के प्रमुख नेता बहादुर सिंह जंगी ने बिंदुखत्ता को वनाधिकार कानून के आधार पर राजस्व गांव बनाने वाली भाजपा की बात पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए इसे बेईमानी भरी हास्यास्पद कोशिश करार दिया।

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उन्होंने कहा कि, “भाजपा विधायक और उनके द्वारा बनाई समिति द्वारा बार बार कहा जा रहा है कि वनाधिकार कानून में संशोधन हो गया है इसलिए यह बिंदुखत्ता को राजस्व गांव बनाने का रास्ता साफ कर सकता है लेकिन इस कानून में हुआ कोई भी संशोधन 75 साला या तीन पीढ़ी के रिकॉर्ड में कोई छूट नहीं देता, ऐसी कोई भी बात करना जनता के साथ बेईमानी है।”
उन्होंने बताया कि, “पूरे देश में और खासतौर पर आदिवासी बहुल झारखंड जैसे राज्यों के साथियों से व्यापक विमर्श के बाद यह और भी स्पष्ट हो गया है कि बिंदुखत्ता में वनाधिकार कानून को लेकर सत्ता पक्ष के लोग अपनी राजनीति को मजबूत करने के लिए और कुछ एनजीओ कर्मी वनाधिकर कानून के दावा फॉर्म भरने के अपने प्रोजेक्ट को बरकरार रखते के लिए जनता को गलत सलाह दे कर भ्रमित कर रहे हैं।”

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जंगी ने कहा कि, “वनाधिकार कानून के तहत दावा धारकों को वन भूमि में एक जगह या घुमंतू रूप में 13 दिसंबर 2005 से 75 वर्ष अथवा तीन पीढ़ी पूर्व के वन भूमि पर बसासत के प्रमाण सौंपने होते हैं, यानी बिन्दुखत्ता वासियों को सन् 1930 से पूर्व उस भूमि के प्रमाण अपने दावा पत्रों की पुष्टि के लिए सौंपने होंगे। इस बारे में न तो विधायक कुछ बोल रहे हैं न ही उनकी बनाई समिति इस सवाल का कोई जवाब दे रही है। जबकि वनाधिकार कानून के तहत दावा करने का अर्थ है बिन्दुखत्ता वासियों के लिए भूमि से बेदखली का रास्ता खोलना।”

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उन्होंने बताया कि, “बिंदुखत्ता की जनता के बीच भाजपा द्वारा फैलाए जा रहे वनाधिकार कानून के भ्रम को दूर करने के लिए 6 अगस्त को “वनाधिकार कानून और बिंदुखत्ता राजस्व गांव का सवाल” विषय पर संगोष्ठी की जायेगी।”

 

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