गुप्त नवरात्रियों के इन दिनों माई पीताम्बरी के पावन मन्त्रों की सुगंध से महक उठी निर्मल राप्ती नदी

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* श्रावस्ती/ गुप्त नवरात्रियों के इन दिनों में सत्य साधक श्री विजेन्द्र पाण्डेय गुरुजी राप्ती नदी के पावन तट पर साधना में लीन है यहाँ उनके द्वारा प्रतिदिन की साधना के पश्चात् अर्ध रात्री में लोक मंगल की कामना को लेकर हवन यज्ञ भी आयोजित किया जा रहा है
* यहाँ यह बताते चले राप्ती नदी एक पावन नदी है इस नदी का प्राचीन नाम इरावती नदी रहा यह नदी धर्म व आध्यात्म का महासंगम मानी जाती है। बहराइच, गोंडा, बस्ती और गोरखपुर ज़िलों में बहती हुई बरहज के निकट यह लगभग 640 किमी० लम्बी पावन नदी घाघरा नदी से मिल जाती है भगवान बुद्ध से भी इस नदी की कहानी जुड़ी हुई है सत्य साधक बिजेन्द्र पाण्डेय गुरु जी द्वारा गुप्त नवरत्रियों के नौ दिन की साधना पूर्ण होनें के पश्चात छह फरवरी को विराट यज्ञ आयोजित किया जाएगा लोक कल्याण के लिए यहाँ इन दिनों भी हवन यज्ञ किया जा रहा है

सत्य साधक श्री विजेन्द्र पाण्डे गुरुजी ने बताया माई पीताम्बरी स्तम्भन की देवी हैं। सारे ब्रह्माण्ड की शक्ति मिल कर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती मंगलयुक्त चतुर्दशी की अर्धरात्रि में इसका प्रादुर्भाव हुआ माई को ब्रह्मास्त्र के नाम से भी जाना जाता है माई पीतांबरी से की गयी कोई पुकार कभी अनसुनी नहीं होती राजा हो या रंक, मां के नेत्र सभी पर एक समान कृपा बरसाते हैं उन्होंने बताया भगवती पीताम्बरी की उपासना करने वाले साधक के सभी कार्य बिना व्यक्त किये पूर्ण हो जाते हैं और जीवन की हर बाधा को वो हंसते हंसते पार कर जाता है

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उन्होंने कहा बड़ी से बड़ी समस्याओं से त्वरित मुक्ति पाने तथा जीवन में सुख, समृद्धि, यश – वैभव, सम्मान व परम शान्ति प्राप्त करने हेतु कलिकाल में माँ पीताम्बरी देवी ( बगलामुखी ) का अखण्ड धवन- यज्ञ सबसे सहज,उत्तम और आसान मार्ग है। माँ गंगा की आराधना के बीच परिचर्चा के दौरान
अपने उद्‌बोधन में सत्य साधक ” गुरुजी ” ने कहा कि मानव जीवन में यदि समस्याएं हैं तो उन समस्याओं के समाधान भी अवश्य हैं। हर अलग समस्या के निराकरण हेतु जन साधारण स्वभाव वष अलग – अलग विधि- विधान का सहारा लेता है। श्री गुरुजी ने कहा कि इस प्रकार से समस्या ग्रस्त लोगों के समय व श्रम की बर्बादी होती है और परिणामस्वरूप समस्याएं उत्तरोत्तर विकट होती चली जाती हैं। उन्होंने कहा कि कलयुग में दश महाविद्याओं में आठवीं प्रमुख महाविद्या पीताम्बरी ( बगलामुखी ) देवी हैं, जिन्हें मूलतः तंत्र की देवी माना गया है। इस अवसर पर उन्होंनें राप्ती नदी के महत्व पर भी प्रकाश डालते हुए कहा लोक कल्याण की दृष्टि से माई पितांबरी को समर्पित हवन, यज्ञ का अभियान निरंतर जारी है। बीते माह प्रयागराज में हवन यज्ञ आयोजित कराने के पश्चात भक्तों के कल्याण के लिए बलरामपुर के निकट राप्ती नदी के तट पर विगत दिवस पुनः लोकमंगल के लिए माँ का विराट यज्ञ आयोजित किया गया, गुप्त नवरात्रियों में तो यहां इन दिनों रोज यज्ञ आयोजित हो रहे है

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