लालकुआँ के प्रसिद्ध फोटोग्राफर नैन सिंह कन्याल को मातृ शोक, पीपलपानी संस्कार 12 जून को,ममता व करुणा की यह मूर्ति सदैव स्मरणीय रहेंगी ,आध्यात्मिक विचार धारा की धनी थी स्व० सरस्वती कन्याल

ख़बर शेयर करें

 

खटीमा/ लालकुआँ/ लालकुआँ के प्रसिद्ध फोटोग्राफर नैन सिह कन्याल की माताजी श्रीमती सरस्वती देवी कन्याल का विगत दिनों खटीमा के दिया गाँव में निधन हो गया था जिनका पीपलपानी संस्कार 12 जून को है
मूल रूप से जनपद पिथौरागढ़ के डीडीहाट तहसील के अन्तर्गत खेतार कन्याल गाँव की निवासिनी स्व० श्रीमती सरस्वती कन्याल वर्तमान में अपने पुत्र भोपाल सिंह कन्याल के साथ खटीमा के दिया गाँव में रहती थी जहाँ बीते दिनों उनका निधन हो गया आध्यात्मिक जगत की महान् विराट विभूति सरस्वती कन्याल अब इस नश्वर संसार में नहीं रही वे कुछ समय से बीमार थी व अपनें पुत्र के साथ खटीमां के दिया गाँव आवास पर रह रही थी वे 92 वर्ष की थी वे अपने पिछे पाँच पुत्रों व चार पुत्रियों नाती पोतों का भरा – पूरा परिवार छोड़ गयी उनके पुत्र विशन सिंह , नरेन्द्र सिंह, प्रताप सिंह, नैन सिंह, भूपाल सिंह सहित सभी परिजनों का स्व० सरस्वती देवी के प्रति अपार स्नेह था

लोक मंगलकारी कर्मो का सृजन करके निष्काम कर्म की प्रेरणा देकर जीवन पथ को निर्मल आभा से सवांरकर करूणा की दिव्य छाया बरसाने वाली स्व० सरस्वती देवी की उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध लोक देवता मलयनाथ जी के प्रति अगाध श्रद्धा थी

यह भी पढ़ें 👉  जाख पुरान में छायी श्रीमद् देवी भागवत कथा की धूम, देवी के पावन चरित्रों का श्रवण परम कल्याणकारी है : व्यास पंकज उप्रेती

कर्म ही उनका महान् आर्दश था ,दया ही उनका परम धाम था ,अलौकिक सत्ता के प्रति हर पल उनका रूझान था जो मानवीय रूप में साक्षात् करूणा की मूर्ति थी ,आत्मा की अमरता व शरीर की नश्वरता को जो भलि – भांति जानती थी, देवभूमि व यहां की पावन संस्कृति के प्रति जिनके हदय में अपार श्रद्वा थी समय समय पर उनका पर्दापण देवकार्यो में होता रहता था ,वो सरल हृदय ममता व करूणा की साक्षात् मूर्ति स्व० श्रीमती सरस्वती देवी सदैव स्मरणीय रहेगी
तमाम आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के जनमानस में उनके प्रति गहरी श्रद्वा थी उनका आत्मिक रूप से मिलना जुलना उनके विशाल हृदय की विराटता को झलकाता था सरल से भी सरल ममतामयी स्व० सरस्वती देवी जी ने अपनी जीवन साधना को निष्काम कर्मयोगी की तरह जिया वे सच्चे अर्थो में दरियादिली की जीती जागती मिशाल थी, उनकी सादगी ,विनम्रता स्नेहशीलता आदरणीय थी। ,उनका जीवन मानवीय मूल्यों के रक्षा हेतु अथक सघंर्षों की गाथा रही है।जो आज के समाज के लिए महान् आर्दश है। गरीबों के दुख दर्द में सदा ही सहायक रहने वाली ममता की यह मूर्ति सदा ही स्मरणीय रहेगी उनकी पावन यादें सदा ही हम सब का मार्ग दर्शन करते रहेगी

यह भी पढ़ें 👉  जाख पुरान में छायी श्रीमद् देवी भागवत कथा की धूम, देवी के पावन चरित्रों का श्रवण परम कल्याणकारी है : व्यास पंकज उप्रेती

उनके निधन पर लालकुआँ हल्दूचौड़ नारायणपुरम क्षेत्र के लोगों ने भी गहरा शोक व्यक्त करते हुए दिवगंत आत्मा की शान्ति हेतु प्रार्थना की है इस क्षेंत्र से भी उनका बड़ा ही आत्मिक स्नेह था /// रमाकान्त पन्त के साथ गोपाल बोरा भोला दत्त कफल्टिया दिया गाँव से लौटकर