*श्रद्वाजंली*
*ममता व करुणा की यह मूर्ति सदैव स्मरणीय रहेंगी
कर्म,निष्ठा,व संघर्ष का संगम थी श्रीमती प्रेमा देवी पंत
92 वर्ष की उम्र में नश्वर संसार को आज किया दिव्य लोक को प्रस्थान
लालकुआं/
लालकुआं।आध्यात्मिक जगत की महान् विराट विभूति ,लोक मंगलकारी कर्मो का सृजन करके निष्काम कर्म की प्रेरणा देकर जीवन पथ को निर्मल आभा से सवांरकर करूणा की दिव्य छाया बरसाने वाली कर्म ही जिनका महान् आर्दश था ,दया ही जिनका परम धाम था ,अलौकिक सत्ता के प्रति हर पल जिनका रूझान था जो मानवीय रूप में साक्षात् करूणा की मूर्ति थी ,आत्मा की अमरता व शरीर की नश्वरता को जो भलि भांति जानती थी, देवभूमि व यहां के तीर्थ स्थलों के प्रति जिनके हदय में अपार श्रद्वा थी समय समय पर जिनका पर्दापण देवकार्यो में होता रहता था ,वो सरल हृदय ममता व करूणा की साक्षात् मूर्ति श्रीमती प्रेमा पंत जी अब इस नश्वर संसार में नही रही उनके निधन की सूचना से समूचा क्षेत्र शोक से व्याकुल हो उठा है, यहां के जनमानस में उनके प्रति गहरी श्रद्वा थी श्रीमती प्रेमा पंत जी का आत्मिक रूप से मिलना जुलना उनके विशाल हृदय की विराटता को झलकाता था सरल से भी सरल ममतामयी प्रेमा पंत जी ने अपनी जीवन साधना को निष्काम कर्मयोगी की तरह जिया वे सच्चे अर्थो में दरियादिली की जीती जागती मिशाल थी, देवभूमि के देवालयों की वे कायल थी ईश्वर से उनका अमिट लगाव था ।उनकी सादगी ,विनम्रता स्नेहशीलता आदरणीय थी।
लालकुआँ के वरिष्ठ समाज सेवी रहे स्व० श्री रघुबर दत्त की धर्म पत्नी श्रीमती प्रेमा पंत का आज प्रातः नौ बजे निधन हो गया वे अपने पिछे भरा पूरा परिवार छोड़ गयी आज 92 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया दो पुत्र एवं पुत्रियों पुत्रवधूओ नाती नातीनों के भरा पूरा परिवार छोड़कर दिव्य लोक को प्रस्थान कर चुकी स्व० श्रीमती प्रेमा पंत के बडे पुत्र नवीन पन्त शिक्षा जगत में अपनी सेवायें दे रहे है छोटे पुत्र गिरीश पंत मेडिकल स्टोर के स्वामी है
मूल रूप से पभ्या गाँव की निवासी एवं लालकुआँ वासी स्व० श्री डा० रघुवर दत्त पंत जी की धर्म पत्नी जी का जीवन सफर धार्मिक व सामाजिक कार्यो में बीता उनकी जहां ईश्वर के प्रति गहरी आस्था थी, वही वह उन्होंने अपने जीवन काल में लोगों को मानवीय मूल्य की अद्भूत शिक्षा दी समाजसेवी के क्षेत्र में भी वह सदैव समर्पित रही। पर्वतीय लोक संस्कृति के उत्थान के प्रति सदैव सजग रहने के कारण समूचे क्षेत्र में उनका बड़ा ही आदर भाव था देवभूमि से सदा ही उनका अमिट लगाव रहा था,उनका जीवन अथक सघंर्षों की गाथा रही है।जो आज के समाज के लिए महान् आर्दश है। यहां के धार्मिक स्थलो व शक्तिपीठों के प्रति उनकी अटूट आस्था थी। माँ अवंतिका व त्रिपुरा देवी के प्रति उनके हृदय में गहरी आस्था थी गरीबों के दुख दर्द में सदा ही सहायक रहने वाली ममता की यह मूर्ति सदा ही स्मरणीय रहेगी। *
लालकुआं निवासी करूणा की इस देवी ने आज शुक्रवार को इस नश्वर संसार से विदाई ले ली लेकिन उनकी पावन यादें सदा ही हमस सब का मार्ग दर्शन करते रहेगी उनकी अन्तिम यात्रा दोपहर लगभग एक बजे चित्रशिला घाट को प्रस्थान करेगी उनके निधन परतमाम राजनीतिक सामाजिक एवं आध्यात्मिक क्षेत्र के लोगों ने गहरा शोक प्रकट किया है
सादर भावपूर्ण स्मरण
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