ये है कल्याण के लोक देवता, उत्तराखण्ड के हर स्थान पर होती है पूजा

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कल्याण ही सैम देवता का धर्म है।

श्रद्धा व भक्ति का केन्द्र है चिटगल का सैम मन्दिर

शिव व शक्ति की स्थली उत्तराखण्ड में देवालयों व शक्तिपाठों का अम्बार है धार्मिक आस्थाओं को रेखांकित करते ये मन्दिर सदियों से श्रद्धा की देहरी के रूप में पूज्यनीय रहे हैं। ऐसा ही एक पूजित पावन स्थल है चिटगल का सैम मन्दिर। यहाँ सैम को शिव के अंशावतार के रूप में पूजा जाता है। झांकर के अलावा चिटगल गाँव में भी प्राचीन सैम मंन्दिर है दोनों ही स्थानों पर सैम स्वंयभू लिंग के रुप में प्रकट हुए है और भी अनेक स्थानों पर सैम ईष्ट देव के रूप में पूजित हैं और ये देवताओं के मामा कहे जाते हैं। कल्याण करना ही इनका धर्म है। कुछ भक्तजन इन्हें स्वयंभू शिव के नाम से पुकारते हैं

देवभूमि उत्तराखण्ड की आध्यामिक छटा भारतीय संस्कृति की पावनता व निर्मलता का प्रमुख केन्द्र है। हिमालय की गोद में बसा उत्तराखण्ड प्रकृति की अमूल्य धरोहर है। इस भूमि की सुन्दरता का महत्व जितना विशाल है उससे ज्यादा कहीं आध्यामिकता की अनन्त विशालता का महत्व है। यही कारण है। कि शिव व शक्ति की इस क्रीड़ा स्थली में कदम कदम पर धार्मिक गाथाओं को जोड़े अनेक शक्ति स्थल हैं इन्ही देवालयों में एक प्रमुख स्थल है चिटगल का सैम मंदिर।

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उत्तराखण्ड में सैम देवता के अनेकों मंदिर है। यंहा की देव गाथाओं व श्रद्धा की भावनाओं सैम देवता सर्वोपरि देवता हैं। अनेक स्थानों पर ये स्वयभू देवता के रुप में प्रकट हुए है। इनकी स्तुति परम फलदायी मानी जाती है।

गंगोलीहाट के चिटगल में स्थित सैम भी स्वयभू देवता के रुप में पूजित हैं। कहा जाता है कि इस देव दरबार में जो भी भक्तजन सच्चे मन से अराधना के श्रद्धा पुष्प अर्पित करता है व कल्याण का भागी बनता है। इसी कारण पवित्र पहाड़ो की गोद में स्थित जनपद पिथौरागढ़ के चिटगल सैम मन्दिर का अपना एक आलौकिक व दिव्य महत्व है। मन को निर्मल गति प्रदान करने व अपने भक्तों को पूर्ण न्याय प्रदान करना इस देवता की नियति मानी जाती है। वर्ष भर यहां श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहता हैं। बांज-बुराश व देवदार के घने वृक्षों के मध्य स्थित होने के कारण बरबस ही लोग यहां खिंचे चले आते हैं। इस स्थान पर भगवान शिव ने सैम के अंशावतार के रूप में कब अपनी लीला प्रारम्भ की इस बात का कोई स्पष्ट प्रमाण नही मिलता है। सात्विक दरबार होने के कारण सैम देव को बलि नही दी जाती है

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सांसारिक झंझटों से निराश व अन्याय से पीड़ित लोगों के लिए चिटगल सैम का दरबार वरदान स्वरुप कहा गया है। पर्यटन की दृष्टि से भी यह स्थान काफी मनमोहक व महत्वपूर्ण है ऐसा विश्वास किया जाता है। कल्याण करना ही सैम देवता का कार्य है। सैम के स्वयंभू लिंग अनेक स्थानों में मौजूद हैं जिनमें झांकर सैम के अलावा धौलादेवी, विकास खण्ड में ही तलचौना गांव से आगे 4 किमी0 बियाबान जंगल में भी सैम देवता का फुट लिंग है जिसके दर्शन को भी लोग यहां आते हैं। यहां पर मांगी गयी मनौती फलदायी होती है।

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उत्तराखण्ड की धरती में सैम का सभी देवताओं के साथ मामा का रिश्ता है, अनेक स्थानों में स्थित सैम के पिण्डी झांकर सैम का ही स्वरूप माना जाता है।
चिटगल के सैम दरबार के दर्शनों के लिए गंगोलीहाट दशाईथल व गुप्तड़ी होते हुए यहां पहुंचा जा सकता है

रिपोर्ट : रमाकान्त पन्त

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