ममता व करुणा की यह मूर्ति सदैव स्मरणीय रहेंगी, स्व० राधा देवी के पीपलपानी संस्कार में सैकड़ो नम आखों ने दी श्रद्धांजली

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लालकुआँ निवासी आध्यामिक विचारधारा की धनी स्व० श्रीमती राधा देवी के पीपलपानी संस्कार में सैकड़ों नम आखों ने श्रद्धांजली अर्पित करते हुए दिवंगत आत्मा की शान्ति हेतु प्रार्थना की
स्व० श्रीमती राधा देवी का बीते 23 मार्च को निधन हो गया था आज 3 अप्रैल को उनके पीपलपानी संस्कार में नगर एवं क्षेत्र के तमाम लोगों ने उनके आवास पर पहुंचकर श्रद्धांजली अर्पित की

आध्यात्मिक जगत की महान् विराट विभूति ,लोक मंगलकारी कर्मो का सृजन करके निष्काम कर्म की प्रेरणा देकर जीवन पथ को निर्मल आभा से सवांरकर करूणा की दिव्य छाया बरसाने वाली, कर्म ही जिनका महान् आर्दश था ,दया ही जिनका परम धाम था ,अलौकिक सत्ता के प्रति हर पल जिनका रूझान था जो मानवीय रूप में साक्षात् करूणा की मूर्ति थी ,आत्मा की अमरता व शरीर की नश्वरता को जो भलि भांति जानती थी, देवभूमि व यहां के तीर्थ स्थलों के प्रति जिनके हदय में अपार श्रद्वा थी समय समय पर जिनका पर्दापण देवकार्यो में होता रहता था ,वो सरल हृदय ममता व करूणा की साक्षात् मूर्ति श्रीमती राधा देवी जी अब इस नश्वर संसार में नही रही लेकिन उनसे जुड़ी यादें सदैव स्मरणीय रहेगी , यहां के जनमानस में उनके प्रति गहरी श्रद्वा थी श्रीमती राधा देवी जी का आत्मिक रूप से मिलना जुलना उनके विशाल हृदय की विराटता को झलकाता था सरल से भी सरल ममतामयी राधा देवी जी ने अपनी जीवन साधना को निष्काम कर्मयोगी की तरह जिया वे सच्चे अर्थो में दरियादिली की जीती जागती मिशाल थी,

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देवभूमि के देवालयों की वे कायल थी ईश्वर से उनका अमिट लगाव था ।उनकी सादगी ,विनम्रता स्नेहशीलता आदरणीय थी। कुल मिलाकर मूल रूप से देवभूमि के आंचल में स्थित ताड़ीखेत की निवासिनी स्व० राधा देवी के पति स्व० नन्दा बल्लभ पपने जी भी सांस्कृतिक विरासत के प्रेमी थे बीते समय में समय – समय पर इनके आवास पर अनेकों धार्मिक कार्यक्रम संचालित होते रहे है अखण्ड रामायण हो चाहे देवी जागरण हो या भजन कीर्तनों की गूंज हो सारे नगर में आध्यात्म का संचार इस घर से होता रहा है
दिनेश पपने गिरिजा शंकर पपने कमल पपनें रवि पपने की माताजी श्रीमती राधा देवी जी का जीवन सफर धार्मिक व सामाजिक कार्यो में बीता उनकी जहां ईश्वर के प्रति गहरी आस्था थी, लोक मंगल के कार्यो के प्रति सदैव सजग रहा करती थी उनका
जीवन अथक सघंर्षों की गाथा रही है।जो आज के समाज के लिए महान् आर्दश है। यहां के धार्मिक स्थलो व शक्तिपीठों के प्रति उनकी अटूट आस्था थी। खासतौर से फलाहारी आश्रम लालकुआँ में महादेव जी के चरणों में उनकी अटूट आस्था थी वर्षो पूर्व समाधिस्थ हो चुकी माई प्रयागपुरी की ये परम आस्थावान भक्त थी
गरीबों के दुख दर्द में सदा ही सहायक रहने वाली ममता की यह मूर्ति सदा ही स्मरणीय रहेगी। उनकी पावन यादें सदा ही हम सबका मार्ग दर्शन करते रहेगी चार पुत्र पाँच पुत्रियों सहित नाती नातिनों का भरा पूरा परिवार छोड़कर दिव्य लोक को प्रस्थान कर चुकी 76 वर्षीय राधा देवी सदैव पूज्यनीय रहेंगी

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उनके पीपलपानी संस्कार में आज सैकड़ों नम आखों ने उन्हें श्रद्धांजली अर्पित करते हुए उन्हें याद किया

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