पण्डित किशोर जोशी की मधुर वाणी से भाव विभोर हुए श्रद्धालु
बागेश्वर/ कमस्यार घाटी में स्थित माँ भद्रकाली के पावन दरबार में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ का हवन, यज्ञ व भण्ड़ारे के साथ समापन हुआ। कथा पारायण के अवसर पर क्षेंत्र के व दूर दराज से आये सैकड़ों भक्तों ने भण्डारे का प्रसाद ग्रहण किया
कथा के सफल आयोजन के लिए यजमान परिवार ने सभी सहयोगियों का आभार जताया
प्रसिद्व कथावाचक पण्डित किशोर जोशी ने कहा आध्यात्मिक विचार धारा से ही दुनियां विनाश से बच सकती है। उन्होंने कहा हरि अनंत हरि कथा अनन्ता लोक कल्याणकारी ,परमार्थिक कार्यों की कभी समाप्ति नही होती पर मयार्दा के हिसाब से समय पर पूर्णता होना निश्चित है। हर वस्तु . की प्राप्ति के साथ वियोग का संयोग भी निश्चत है। इसलिए हर पल नाम सुमिरन व भक्ति करना ही जीवन का मूल उद्देश्य होना चाहिए।
उन्होंनें कहा सांसारिक कार्य करने के बाद पश्चाताप हो सकता है, परन्तु ईश्वरीय कार्य अर्थात् भक्ति, साधना, ध्यान, परोपकार के पश्चात् पश्चाताप का कोई स्थान नही वरन् आनन्द ही आनन्द है। आत्म संतोष की अनुभूति भागवत कथा के श्रवण से प्राप्त होती है इसलिए इसे सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ कहा गया है
प्रसिद्ध कथा वाचक पण्डित किशोर जोशी ने भागवत कथा के अन्तिम दिवस पर श्रद्वालुओं के आपार जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि अमृत से मीठा अगर कुछ है तो वह श्री कृष्ण का नाम है,सत्यता के मार्ग पर चलकर परमात्मा प्राप्त होंते है, मन-बुद्धि, इन्द्रियों की वासना को यदि समाप्त करना चाहते हो तो हृदय में परमात्मा की भक्ति की ज्योति को जलाना पड़ेगा।
श्री जोशी ने कथा के विराम दिवस पर सूकदेव जी द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्री मद्भागवत कथा को पूर्णता प्रदान करते हुए कथा में विभिन्न प्रसंगो का सुन्दर शब्दों में वर्णन किया।
भक्त सुदामा की भक्ति एंव सखा धर्म का महत्व एवं श्री कृष्ण का द्वारिका मे परम स्नेही के साथ मिलन, श्री कृष्ण का स्वधाम गमन एवं अंत मे राजा परिक्षित को मोक्ष प्राप्ति के प्रसंगो को बहुत ही सुन्दर ढ़ग से मधुर वाणी के साथ सुनाया कथा के दौरान श्री कृष्ण के भक्तिमयी भजनों की प्रस्तुति के साथ जय माँ भद्रकाली की गूंज से भक्तजनों में कथा के प्रति विशेष उत्साह देखा गया व्यास जी के मुखार बिन्दु से सुन्दर भजनों को सुनकर भक्त गण झूम उठे तथा दोनों हाथ ऊपर उठा कर श्री कृष्ण भजनों पर झुमते हुए कथा एवं भजनों का आनन्द लिया।
श्री किशोर जोशी ने आगे कहा कि श्रीमद्भागवत महान् ज्ञान यज्ञ है। यह मानवीय जीवन को भक्तिमय बना देता है। भगवान् कृष्णकी अद्भूत लीलाओं का वर्णन इसमें समाहित है। भव-सागर से पार पाने के लिये श्रीमद्भागवत कथा एक सुन्दर महासेतु है। श्रीमद्भागवत कथा सुनने से जीवन धन्य-धन्य हो जाता है ब्यास जी ने अपने पुत्र शुकदेव जी को श्रीमद्भागवत पढ़ायी, तब शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को जिन्हें सात दिन में मरने का श्राप मिला था उन्हें सात दिनों तक श्रीमद्भागवत की कथा सुनायी। जिससे राजा परीक्षित को सात दिन में मोक्ष की प्राप्ति हुई ।
कथा वाचक व्यास श्री जोशी ने भागवत की महिमां पर प्रकाश डालते हुए कहा।श्रीमद्भागवत वेद रूपी वृक्षों से निकला एक अद्भूत पका हुआ फल है। शुकदेव जी महाराज जी के श्रीमुख के स्पर्श होने से यह पुराण परम मधुर हो गया है। इस फल में न तो छिलका है, न गुठलियाँ हैं और न ही बीज हैं। अर्थात इसमें कुछ भी त्यागने योग्य नहीं हैं सब जीवन में ग्रहण करने योग्य है। यही भागवत की परम विशेषता है।
इस अलौकिक रस का पान करने से जीवन धन्य-धन्य कृत कृत हो जाता है इसलिये अधिक से अधिक श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण निरंतर करते रहना चाहिये। जितनी ज्यादा कथा सुनेंगे उतना ही जीवन सुधरेगा व परम उद्वार होगा।
उन्होंने माँ के दरबार में आयोजित भागवत कथा में सेवा जैसै महान् कार्य का दायित्व सभांलनें वाले सभी स्नेहियों का धन्यवाद अदा किया।तथा ब्यास पीठ से सभी के मंगलकामना के साथ सभी भक्तों को आशीर्वाद दिया।
इस अवसर पर यजमान श्री ललित जोशी श्रीमती ज्योति जोशी प्रथमेश जोशी यश जोशी के अलावा मंदिर कमेटी के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह भण्डारी सचिव पंकज डसीला कोषाध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह रावत धीरज पन्त पूरन चन्द्र पन्त किशन चन्द्र पन्त महेश राठौर भगत जी मनोज जोशी गोपाल दत्त जोशी चन्द्रशेखर जोशी गोपाल राठौर प्रताप सिंह राठौर नन्दा बल्लभ जोशी विनोद जोशी सन्तोष जोशी प्रदीप जोशी पूरन चन्द्र जोशी धीरज पन्त कुन्दन सिंह भण्डारी चंचल सिंह भण्डारी महेश चन्द्र मिश्रासहित अनेकों मौजूद रहे



लेटैस्ट न्यूज़ अपडेट पाने हेतु -
👉 वॉट्स्ऐप पर हमारे समाचार ग्रुप से जुड़ें