अद्भूत नजारा :पाताल में पितृ पूजन पर पहुँची भार्गवी नदी पितरों ने किया स्नान देखे अद्भूत वीडियो

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पितृ अमावस्या के पर्व पर आज धरती के नीचे पाताल लोक में ब्रह्म कपाली पर पितरों के देवता अर्यमा व पितरों का पूजन करके क्षेत्र की सुख समृद्धि एवं मंगल की कामना की गयी यहाँ पाताल लोक में पूजा के महत्व पर प्रकाश डाल रहे है नीलम भण्डारी
पहाड़ों में हुई भयंकर वर्षा के चलते पाताल के निकट बहने वाली भार्गवी नदी का जलस्तर भी आज काफी बढ़ गया था इस जल ने सीधे पाताल में पहुंचकर ब्रह्म कपाली का अभिषेक व भगवान शंकर का अभिषेक कर के पितरों को तृप्त किया ऐसा अलौकिक दृश्य पाताल में पहली बार देखा गया

 

 

पाताल लोक में पित्रों के पूजन का विशेष महत्व है पुराणों में इस संदर्भ में विराट वर्णन मिलता है जिसका संक्षिप्त सार इस प्रकार है

*भुवनेश्वर की कथा के श्रवण से होता है पितरों का उद्वार*
कीर्तिशाली राजा ऋतुपर्ण का चरित्र सुनने व पाताल भुवनेश्वर की महिमा का बखान करने वाले व्यक्ति के इक्कीस कुलों का उद्वार होने के साथ-साथ उसके जन्म जन्मान्तर के पापों का भी नाश होता है। मानस खण्ड के पाताल भुवनेश्वर महात्म्य के अंतर्गत 33वें श्लोक में यह बात स्पष्ट है
जन्मान्तरकृतात्पापात् विमुख्य मुनिसत्तमाः।
स याति शिवलोकं वै कुलत्रयसमन्तिवतः।।
साथ ही 34वें श्लोक में यह बात और स्पष्ट होती है-
पातालभुवनेशस्य सन्निधौ याति यो नरः। समुद्धृत्य महाभागाः कुलमेकोत्तरं शतम्।।

अर्थात पाताल भुवनेश्वर के समीप जाने वाला व्यक्ति एक सौ*
एक कुलों का उद्वार कर शिव सायुज्य प्राप्त करता है । *स्वयं
राजा ऋतुपर्ण ने शेषनाग जी के कथनानुसार पितृ तर्पण का
पाताल भुवनेश्वर में पिंडदान किया। उनके 101 कुलों
का उद्वार हुआ। पितृ तर्पण करने के पश्चात प्रसन्न पित्रों की
कृपा से उन्हें पाताल भुवनेश्वर में कामधेनु के दर्शन हुए। यह बात स्कन्द पुराण के मानस खण्ड के 274वें व
275वें श्लोक में स्पष्ट है-

पितृन् सन्तर्पयामास श्रुत्वा तस्य गिरंमहत्तर्पयित्वासराजर्षिर्देवर्षिपितृमानवान्।।पिण्डदानेन सन्तर्प्य कुलमेकोत्तर शतम्। शेषेणदर्शिता तत्र कामधेनुं ददर्श ह।।इस तरह से पाताल भुवनेश्वर का महात्म्य लोक एवं परलोक दोनों ही दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ है। जो मनुष्य पाताल भुवनेश्वर के निमित्त अपने आराधना के श्रद्वा पुष्प अर्पित करता है, उनके पितृ प्रसन्न होकर उसे आशीष देते हैं। साथ ही भुवनेश्वर की कृपा से पितरों का भी उद्वार होता है।
भगवान भुवनेश्वर की कृपा से सभी प्राणियों के जीवन में मंगल हो, संसार में धर्म की रक्षा हो,इसी कामना के साथ,

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