गुप्त नवरात्रियों की शुभकामनाएं: उत्तराखंड की धरती पर यहां विराजमान है माँ जयंती

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देवभूमि उत्तराखण्ड की धरती पर शिवालयों एवं शक्तिपीठों की लंबी श्रृंखलाएं मौजूद है दूर चोटियों पर स्थित तमाम मन्दिर पौराणिक काल से महान् आस्थाओं के केन्द्र है इन्हीं आस्थाओं में एक है जंयती माता का मन्दिर माँ जयंती का जिक्र दुर्गा सप्तशती में विशेष रूप से आता है देवी की स्तुतियों में यह माँ प्रथम रूप से पूजनीय है जयंती मंगला काली भद्रकाली मंत्र बड़ा ही पावन निर्मल कहा गया है जहां भद्रकाली व काली के अनेक मंदिरों का जिक्र आता है वही जयंती माता के गिने-चुने मंदिर ही सुननें में आते हैं इन्हीं में एक है पिथौरागढ़ का जयंती माता का मंदिर पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ध्वज मंदिर एक ऐसा अलौकिक अद्भुत स्थल है जहां पहुंचकर मनुष्य की समस्त व्याधियां यूं शान्त हो जाती है जैसे अग्नि की लौ पाते ही तिनका भस्म हो जाता है

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मंदिर प्रांगण से कुछ ही नीचे अद्भुत गुफा में विराजमान बाबा खण्डनाथ जी के दर्शन से लोग धन्य हो उठते हैं यहाँ पर गणेश जी की भी एक अद्भूत गुफा है माता जयंती को सर्मर्पित इस देवी के दरबार में दूर दूर से भक्तों की आवाजाही लगी रहती है समय-समय पर अनेक धार्मिक कार्यक्रम यहां आयोजित होते रहते हैं

यह मंदिर पिथौरागढ़ की सबसे ऊंची चोटियों में एक है यहां से चारों तरफ का वातावरण बड़ा ही मनमोहक वह अद्भुत सौंदर्य को समेटे हुए हैं स्कंद पुराण के मानस खंड में इस क्षेत्र का बड़ा ही सुंदर उल्लेख मिलता है

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