कालाढूंगी/ हिमालय के आंचल में बसे उत्तराखण्ड के कुमाऊँ भूभाग में स्थित कालाढूंगी क्षेंत्र में स्थित मोटेश्वर महादेव का मन्दिर पौराणिक काल से परम पूज्यनीय है महादेव का यह स्थल शिव भक्तों के लिए एक अलौकिक सौगात है यह भूभाग ऋषि- मुनियों की आराधना एवं तपस्या का केन्द्र रहा है मान्यता है कि जो भी भक्तजन मोटेश्वर महादेव जी के इस पावन स्थल पर पहुंचकर शिवजी की शरणागत होकर इनका पूजन करता है वह परम कल्याण का भागी बनता है
कलियुग में शिव पूजन की महत्ता बड़ी ही अद्वितीय कही गयी है पुराणों में वर्णन आता है यदि परम पद प्राप्त करने की इच्छा हो तो सब प्रकार से एक मात्र देव विरुपाक्ष मोटेश्वर का आश्रय ग्रहण करना चाहिए जो देवताओं के द्वारा वन्दित रुद्र शिव की अर्चना नही करते उनका किया हुआ दान तप यज्ञ और जीवन व्यर्थ ही होता है
*तस्मादनीश्वरानन्यान् त्यक्त्वा देवं महेश्वर मोटेश्वरम्। समाश्रयेद् विरूपाक्षं यदीच्छेत् परमं पदम्*
कलियुग के समस्त दोषों के निवारण के लिए शिव भक्ति को ही सर्वोत्तम साधन बतलाया गया है यही कारण है दूर- दूर से भक्त यहाँ दर्शन एवं शिव पूजन को पधारते है
कालाढूंगी के आरक्षित वन क्षेत्र बरहैनी . रेंज में वियावान जंगलों के मध्य स्थित मोटेश्वर महादेव की महिमां को स्थानीय भक्तजन अकथनीय अवर्णनीय बताते है इस पावन स्थल पर हिंसक वन्य जीव भी महादेव के दर्शनों को आते है शिव के साथ- साथ शक्ति का पूजन भी इस भूमि पर सदियों से होता आया है
भारत भूमि में भगवान शिव समस्त स्वरूपों में से यहां पर कुछ अलग हटकर है विशालकाय शिवलिंग बरबस ही शिव भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है और सहज में हर हर महादेव के जयकारे के साथ शिव भक्त इन्हे नमन् करते हुए वन्दना करते है . त्रिशूल धारण करने वाले देवाधिदेव महान् रुद्र को नमस्कार है . त्रयम्बक त्रिलोचन योगियों के भी गुरु महादेव मोटेश्वर जी को नित्य नमस्कार है
*कालाढूंगी- बाजपुर मोटर मार्ग से लगभग तीन किलोमीटर घने जंगल में मोटेश्वर महादेव मन्दिर क्षेत्र साधना व ध्यान की दृष्टि से अद्भूत स्थान है वर्ष भर यहाँ श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहता है शिवरात्रि को यहाँ विशाल भक्तों की विशाल भीड़ लगी रहती है घण्टों की प्रतिक्षा के बाद ही शिव भक्त शिवजी के दर्शन कर पाते है
मोटेश्वर महादेव की विशाल शिव पिण्डी की आराधना के लिए हिसंक वन्य जीव शेर हाथी आदि भी एकांत समय में पहुचते है मंदिर में स्थित शिवलिंग अनेक दिव्य आकृतियो से शुसोभित है इसके दर्शन शिव भक्तों की भक्ति को और प्रबल बनाती है
कुल मिलाकर जनपद नैनीताल का यह शिव क्षेत्र आध्यात्म की विराट आभा की झलक दर्शाता है शरणागतवत्सल सभी ओर नेत्र व सभी ओर मुख वाले सारे संसार के गुरु सर्वेश शिवजी की पराभक्ति का केन्द्र मोटेश्वर महादेव की शरण ग्रहण करने वाले कल्याण को प्राप्त होते है ऐसी मान्यता यहाँ सर्वत्र कही जाती है यहाँ आने वाले भक्तों का श्री महेश मुनि महाराज जी मार्ग दर्शन करते है
*परया भक्त्या शरण्यं शरणं शिवम्*
नमस्तेअस्तु मोटेश्वर नमस्ते परमेश्वर। नम: शिवाय देवाय नमस्ते ब्रह्ममरुपिणे।
नमोअस्तु ते महेशाय नम: शान्ताय हेतवे। पधानपुरुषैशाय योगिधपतय नम:
नम: कालाय रुद्राय महाग्रासाय शुलिने। *नम: पनाकहस्ताय त्रिमेत्राय नमो नम:
नमस्त्रिमूर्तये तुभ्य ब्रह्मणों जनकाय ते
नमो वेदरहस्ताय कालकालाय ते नमः
वेदान्तसारसाराय नमो वेदात्ममूर्तये।
*नमो बुद्धाय सुद्धाय योगिनां गुरुवे नमः प्रहीणशोकैर्विविधैरतै : परिवृताय ते
नमो ब्रह्माणदेवाय ब्रह्माधिपतय नम: त्रियम्बकाय देवाय नमस्ते परमेष्ठिने
नमो दिग्वाससे तुभ्य नमो मुंडाय दण्डिने। अनिदमलहीनाय ज्ञानगम्याय ते नम:
नमस्ताराय तीर्थाय नमो योगर्द्धिहेतहेतवे। नमो धर्माधिगम्याय योगम्यायगाय ते नम:
नमस्ते निष्प्रन्चाय निराभासाय ते नमः बह्मणे विश्वरूपाय नमस्ते परमात्मने
मोटेश्वर महादेव ! आपको नमरकार है। परमेश्वर! आपको नमरकार है । शिव को नमस्कार है । ब्रह्म रूपी देव को नमस्कार है महेश आपको नमस्कार है शान्ति के मूल हेतु आपको नमस्कार है प्रधान पुरुषेश । आपको नमस्कार है तथा योगाधिपति आपको नमस्कार है काल रुद्र तथा महाग्रास तथा शूली को नमस्कार है हाथों में पिनाक नामक धनुष धारण करने वाले आपको नमस्कार है . तीन नेत्र वाले को बार- बार नमस्कार है त्रिमूर्ति स्वरूप आपको नमस्कार है ब्रह्मा के उत्पति कर्त्ता आपके लिए नमस्कार है ब्रह्म विद्या के अधिपति और ब्रह्म विद्या प्रदान करने वाले आपको नमस्कार है . वेदों के रहस्य रूप को नमस्कार है काल के भी काल आपको नमस्कार है वेदान्त सार के भी सार को नमस्कार है वेदात्ममूर्ति को नमस्कार है शुद्ध- बुध स्वरूप को नमस्कार है योगियो के गुरु को नमस्कार है सोको से रहित विविध भूतों से घिरे हुए आपको नमस्कार है ब्रहमण्य देव को नमस्कार है ब्रह्माधिपति के लिए नमस्कार है त्रिलोचन परमेष्ठी देव को नमस्कार है दिगम्बर आपको नमस्कार है . मुण्ड की माला एवं दण्ड धारण करने वाले को नमस्कार है अनादि तथा मल रहित शुद्ध रूप ज्ञानगम्य आपको नमस्कार है तारक एवं तीर्थ रूप तथा योग विभूतियों के मूल कारण को नमस्कार है धर्म धर्माचरण के द्वारा प्राप्य योगगम्य आपको नमस्कार है निष्प्रपन्च को नमस्कार है निराभास आपको नमस्कार है विश्वरूप ब्रह्मा परमात्मा को नमस्कार है
लेटैस्ट न्यूज़ अपडेट पाने हेतु -
👉 वॉट्स्ऐप पर हमारे समाचार ग्रुप से जुड़ें