सन्तान प्राप्ति के लिए दशरथ जी ने यहाँ किया था शिवजी का पूजन

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अयोध्या/
श्री रामचन्द्र जी की जन्मभूमि अयोध्या धाम की पावन धरा पर स्थित क्षीरेश्वर महादेव की महिमां अपरम्पार है,कल्याण के देवता महादेव जी का यह मन्दिर युगों- युगों से परम पूज्यनीय है। भोलेनाथ जी के इस दरबार के दर्शन समस्त मनोरथों का प्रदाता गया है। कहा जाता है कि क्षीरेश्वर महादेव के दरबार में जो भी प्राणी भक्ति भाव से आकर जो कुछ महादेव से मांगता है उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। भक्तों का कहना है क्षीरेश्वर महादेव जी के दरबार में आना ही बहुत है कहने की जरूरत नहीं है, भोलेनाथ अपने आप भक्तों की अभिलाषा पूर्ण कर देते हैं। इनका स्मरण सदैव महा मंगल को प्रदान करता है। वर्ष भर यहाँ श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। श्रावण माह में तो भक्त अपार संख्या में क्षीरेश्वर महादेव के दर्शनों को पधारते है। बाहरी क्षेत्रों से अयोध्या आनें वाले लोग महादेव के दर्शन से कृतार्थ होते है।

धनहीन धन की इच्छा से, विरक्त मनुष्य मोक्ष की इच्छा से, रोगी निरोग होनें की अभिलाषा से, सांसारिक वैभव को चाहने वाला, विभिन्न ऐश्वर्य की इच्छा सहित यहां दर्शनों को आते है। अनेकों भांति- भांति की मनोइच्छा को लेकर यहाँ आनें वाले भक्तजन बड़े ही आनन्द के साथ क्षीरेश्वर महादेव जी के दर्शन करते हैं।

क्षीरेश्वर महादेव का दरबार निःशन्तान दंपत्ति के लिए परम फलदाई माना गया है कहा जाता है कि संतान प्राप्ति की अभिलाषा क्षीरेश्वर महादेव के पूजन से अवश्य पूरी होती है महाराजा राजा दशरथ नित्य इसी स्थान पर शिवजी का पूजन करते थे इन्हें दशरथ का ईष्ट भी कहते है।इन्ही के पूजन से उन्हें संतान प्राप्ति हुई क्षीरेश्वर महादेव को माँ सरयू का पावन जल व दुग्ध अर्पित किया जाता है।

अयोध्या धाम में रेलवे स्टेशन के समीप क्षीरेश्वर नाथ मंदिर अनेको पौराणिक, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व को चिरकाल से अपनें आप में समेटे हुए है।दशरथ जी द्वारा दुग्ध स्नान कराने के कारण इसे क्षीरेश्वर महादेव कहते है।खासतौर पर पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए यहां पर शिवजी पर भक्तों द्वारा सरयू के जल व दुग्ध से अभिषेक करने की परंपरा है।

सरयू स्नान के पश्चात् सरयू का जल क्षीरेश्वर महादेव को श्री रामनाम बिल्वपत्र के साथ चढ़ाने से परमआनन्द भाव की प्राप्ति होती हैं। अयोध्या की धरा पर क्षीरेश्वर महादेव जी का मंदिर युगो- युगो से आस्था व भक्ति का संगम है।

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