भक्त सुदामा के सुन्दर चीरत्र को सुनकर भाव विभोर हुए श्रद्वालु समाज सेवी हेमवती नन्दन दुर्गापाल ने भी लिया श्रीमद् भागवत कथा का आनन्द देखिये वीडियो

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हल्द्वानी/ हल्द्वानी के कमलुवागांजा स्थित भैरव मन्दिर पंचवटी आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा धूमधाम के साथ विराम हुई इस अवसर पर आयोजित हवन यज्ञ व भण्डारे में सैकड़ों भक्तों ने भाग लेकर अपने जीवन को धन्य किया

 

प्रसिद्ध कथा वाचक पण्डित रवि शंकर पंत ने यहाँ आयोजित कथा के समापन विराम दिवस पर कहा हरि अनंत हरि कथा अनन्ता लोक कल्याणकारी ,परमार्थिक कार्य की कभी समाप्ति नही होती पर मयार्दा के हिसाब से समय पर पूर्णता होना निश्चित है। हर वस्तु . की प्राप्ति के साथ वियोग का संयोग भी निश्चत है। हर पल नाम सुमिरन व भक्ति करना ही जीवन का मूल उद्देश्य होना चाहिए। सांसारीक कार्य करने के बाद पश्चाताप हो सकता है, परन्तु ईश्वरीय भक्ति, साधना, ध्यान, परोपकार के पश्चात् पश्चाताप का कोई स्थान नही वरन् आनन्द ही आनन्द है। आत्म संतोष की अनुभूति भागवत कथा के श्रवण से प्राप्त होती है।

 

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प्रसिद्ध कथा वाचक श्री पंत ने भागवत कथा के अन्तिम दिवस श्रद्वालुओं के आपार जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा। कि अमृत से मीठा अगर कुछ है तो वह श्री कृष्ण का नाम है,सत्यता के मार्ग पर चलकर परमात्मा प्राप्त होंते है, मन-बुद्धि, इन्द्रियों की वासना को यदि समाप्त करना चाहते हो तो हृदय में परमात्मा की भक्ति की ज्योति को जलाना पड़ेगा।

 

उन्होंने कथा के अंतिम दिन सूकदेव द्वारा राजा परीक्षित को सुनाई गई श्री मद् भागवत कथा को पूर्णता प्रदान करते हुए कथा में विभिन्न प्रसंगो का वर्णन किया। उन्होनें अंतिम दिन की कथा मे अपने सुधामयवाणी की धार से भक्त सुदामा की भक्ति एंव सखा धर्म का महत्व एवं श्री कृष्ण का द्वारिका मे परम स्नेही के साथ मिलन, श्री कृष्ण का स्वधाम गमन एवं अंत मे राजा परिक्षित को मोक्ष प्राप्ति के प्रसंगो को बहुत ही सुन्दर ढ़ग से मधुर वाणी के साथ सुनाया कथा के दौरान संतश्री श्री कृष्ण के भक्तिमयी भजनों की प्रस्तुति से पांडाल मे उपस्थित भक्त गण झूम उठे तथा दोनों हाथ ऊपर उठा कर श्री कृष्ण भजनों पर झुमते हुए कथा एवं भजनों का आनन्द लिया।

 

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उन्होंने आगे कहा कि श्रीमद्भागवत महान् ज्ञान यज्ञ है। यह मानवीय जीवन को भक्तिमय बना देता है। भगवान् कृष्णकी अद्भूत लीलाओं का वर्णन इसमें समाहित है। भव-सागर से पार पाने के लिये श्रीमद्भागवत कथा एक सुन्दर महासेतु है। श्रीमद्भागवत कथा सुनने से जीवन धन्य-धन्य हो जाता है ब्यास जी ने अपने पुत्र शुकदेव जी को श्रीमद्भागवत पढ़ायी, तब शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को जिन्हें सात दिन में मरने का श्राप मिला, उन्हें सात दिनों तक श्रीमद्भागवत की कथा सुनायी। जिससे राजा परीक्षित को सात दिन में मोक्ष की प्राप्ति हुई ।
उन्होंनें भागवत की महिमां पर प्रकाश डालते हुए कहा।श्रीमद्भागवत वेद रूपी वृक्षों से निकला एक अद्भूत पका हुआ फल है। शुकदेव जी महाराज जी के श्रीमुख के स्पर्श होने से यह पुराण परम मधुर हो गया है। इस फल में न तो छिलका है, न गुठलियाँ हैं और न ही बीज हैं। अर्थात इसमें कुछ भी त्यागने योग्य नहीं हैं सब जीवन में ग्रहण करने योग्य है।यही भागवत की परम विशेषता है। इस अलौकिक रस का पान करने से जीवन धन्य-धन्य कृत कृत हो जाता है इसलिये अधिक से अधिक श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण निरंतर करते रहना चाहिये। जितनी ज्यादा कथा सुनेंगे उतना ही जीवन सुधरेगा व परम उद्वार होगा। इधर प्रसिद्ध समाज सेवी हेमवती नन्दन दुर्गापाल सहित तमाम समाज सेवियों ने भी कथा श्रवण कर पुण्य अर्जित किया आयोजक मोहन चन्द्र जोशी आशीष जोशी निधि जोशी शाश्वत जोशी ऐश्वर्या जोशी आदि ने सभी आगन्तुकों का आभार जताया
कार्यक्रम में पण्डित नवीन चन्द्र तिवारी पण्डित ललित पाठक पण्डितललित जोशी पण्डित नवीन तिवारी आदि ने विधिवत पूजा अर्चना सम्पन कराई

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