पाताल लोक में है विश्वकर्मा जी का जलकुण्ड़, देखिये दुर्लभ वीडियो

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समस्त लोकों का निर्माण करने वाले इस चराचर जगत के कण कण में विराजमान,सर्वेश्वर नाम से पूजित व वंदित,भगवान विश्वकर्मा अनन्त ब्रह्माण्ड के रचियता व मूल आधार कहे गये है,जगत का कोई भी कार्य आपकी कृपा दृष्टि के बिना पूर्ण नही हो सकता है। समस्त लोर्कों के सृजनहार नारायण स्वरूप भगवान श्री विश्वकर्मा की अलौकिक कृपा से ही पाताल सहित समस्त लोर्कों की महिमा अवर्णनीय है,पाताल लोक का औलोंकिक वर्णन इनकी लीला की निराली व अद्भूत गाथा है।इस गाथा का अनुपम वर्णन करते हुए सूतजी ऋषियों के समूह से कहते है,अंतरिक्ष अनन्त लोकों का भण्डार है।ध्रुव मण्डल से चार करोड़ कोस ऊपर की ओर महर्लोक है।महलोक से आठ करोड़ कोस की दूरी पर जनलोक तथा जनलोक से पच्चीस करोड़ कोस के अन्तर पर तपलोक तथा तपलोक से भी अड़तालीस करोड़ कोस ऊपर सत्यलोक,सत्यलोक से चार करोड़ कोस का मार्ग पार करने पर श्री विश्वकर्मा स्वरुप भगवान विष्णु का बैकुण्ठ लोक आता है।जिसे श्री बिष्णु भक्त गोलोक भी कहते है।इसके अतिरिक्त सूर्य मण्डल से पृथ्वी तक भी अनेक विचित्र प्रदेशों का बर्णन पुराणों में आता है, जिनमें राहु दैत्य का निवास स्थान सूर्य से चालीस हजार कोस नीचे है।इस लोक के नीचे सिद्वजनों सहित गधंर्व आदि वास करते है।इससे नीचे अंतरिक्ष में भूत ,प्रेत,पिशाच आदि का वासस्थान कहा गया है।

 

 

इसी प्रकार पृथ्वी के नीचे सात पाताल लोर्कों का वर्णन है,जिन्हें अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल, रसातल एंव पाताल कहा जाता है।इन लोकों में दैत्य, दानव,व नागों का वास है, इन लोकों में सुतल वास राजा बलि का लोक है।पातालों के नीचे प्रमुख पाताल में भगवान शेषनाग जी का वास है, जिनके फन पर समस्त पृथ्वी का भार है,जीव अपने कर्मों के अनुसार देह त्याग के पश्चात् इन लोर्को में आता है,और पापमय कर्म करने वाले प्राणी इन लोकों से बाहर विभिन्न प्रकार के नरकों मे पड़ते है।

पाताल भुवनेश्वर के आस्थावान भक्त नीलम भंडारी ने बताया स्कंद पुराण के मानसखण्ड में भी पाताल लोक की विराट माहिमां का वर्णन मिलता है,भगवान विश्वकर्मा द्वारा बंदनीय पाताल भुवनेश्वर की अलौकिक महिमां का वर्णन आज भी रहस्यों की अद्भूत लीला है, इसी गुफा में भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्मित दिव्य जल कुण्ड व उनका एक हाथ आज भी अद्भूत आध्यात्मिक रहस्य है/// रमाकान्त पन्त///

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