श्री राम कथा में सीता स्वयंवर का बहुत ही सुंदर वर्णन

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जय जय गिरिबरराज किसोरी जय महेश मुख चंद्र चकोरी
श्री राम कथा में सीता स्वयंवर का बहुत ही सुंदर वर्णन
किच्छा यहां सुनहरी स्थित सिद्धेश्वर महादेव धर्मशाला मंदिरं में संगीतमय नौ दिवसीय श्रीराम कथा में आज सीता स्वयंवर लक्ष्मण परशुराम संवाद तथा माता जानकी को मिथिला वासियों द्वारा दी गई विदाई का बहुत ही सुंदर एवं मार्मिक वर्णन सुनाया गया कथावाचक अवधेश मिश्र किंकर ने अपनी अमृतवाणी से उपस्थित श्रोताओं को निहाल करते हुए कहा कि अहिल्या के उद्धार के बाद गुरु विश्वामित्र राजा जनक के निमंत्रण पर जनकपुरी पहुंचते हैं उनके साथ राम और लक्ष्मण भी रहते हैं कथावाचक ने मिथिला नगरी की सुंदरता का बहुत ही सुंदर वर्णन करते हुए कहा कि मिथिला नगरी में सर्वत्र खुशियां ही खुशियां हैं आनंद ही आनंद है और जहां स्वयं महालक्ष्मी ने जगत जननी सीता के रूप में जन्म लिया हो वहां धन-धान्य सुख ऐश्वर्य की कमी कैसे हो सकती है उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम और शेषावतार लक्ष्मण की सुंदरता भी ऐसी थी मानव तीनों लोकों की सुंदरता उन में समा गई हो मिथिला नगर का हर व्यक्ति उनकी सुंदरता को देखते हुए भाव विभोर हो रहा था उधर राजा जनक द्वारा सीता स्वयंवर में कड़ी शर्त रख दी गई जिसके तहत उनकी बेटी सीता का ब्याह उसी के साथ होगा जो भगवान भोलेनाथ के धनुष को भंग करने की सामर्थ्य रखता है इधर सखियों के साथ सीता का भी पुष्प वाटिका में जाना होता है और पुष्प लेकर के माता गौरी की पूजा करने जाती है इस बीच राम और सीता परस्पर एक दूसरे को देखकर मोहित हो जाते हैं क्योंकि यह राम रूप में भगवान विष्णु और जगत जननी जानकी के रूप में साक्षात लक्ष्मी की लीला है सीता के मन में प्रभु राम के प्रति अथाह प्रीति हो जाती है प्रीत जितनी गहरी होती है आशंकाओं की लहरें भी उतनी ही गहरी हो जाती हैं तब सीता मन ही मन राम को अपना पति मान संकल्प ले लेती हैं लेकिन उन्हें इस बात को भी लेकर संशय है कि उनके पिता द्वारा बड़े बड़े राजाओं को आमंत्रित किया है यदि कोई अन्य धनुष भंग कर देगा तो उनकी फिर मनोकामना कैसे पूरी होगी तब माता सीता मां गौरी के मंदिर पहुंचती है और माता गौरी की स्तुति करती हैं जय जय गिरिवर राज किशोरी जय महेश मुख चंद्र चकोरी सीता की पूजा से माता गौरी प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद देती हैं और कहती हैं सुन सिय सत्य असीस हमारी पूजहि मन कामना तुम्हारी इस दौरान कार्यक्रम के मुख्य आयोजक सदगुरुदेव श्री सतपाल महाराज जी के परम शिष्य युवा संत महात्मा सत्यबोधानंद जी ने भी श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि माता जानकी जो साक्षात महालक्ष्मी का रूप है और माता गौरी जो हिमालय पुत्री के रूप में साक्षात जगदंबा है उन माता पार्वती की कृपा से माता सीता को मनचाहा वर प्राप्त हुआ उन्होंने कहा कि जगत जननी जगदंबा की सच्चे मन से आराधना करने वाले को कभी निराशा नहीं मिलती है और उसे अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है आज की कथा में भगवान श्री राम द्वारा गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से धनुष भंजन करना माता जानकी का वरण करना और जमदग्नि पुत्र परशुराम तथा लक्ष्मण के बीच वाद विवाद का भी बहुत ही मनोहारी वर्णन किया गया महात्मा सत्यबोधा नंद जी ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने महान पराक्रमी महान बलशाली और समस्त धर्म शास्त्रों में निपुण होने के बाद भी कभी भी गुरु की आज्ञा की अवहेलना नहीं की वह सच्चे अर्थों में वास्तविक गुरु भक्त थे इस दौरान राजा जनक और माता सुनैना द्वारा प्रभु राम और सीता को विदा किए जाने का भी बहुत ही भावपूर्ण वर्णन किया गया कथा में आज मुख्य रूप से महात्मा प्रचारिका बाई महात्मा हेमंती बाई महात्मा आलोकानंद भुवन चंद्र भट्ट पुष्पा भट्ट मनीषा गुप्ता श्वेता शर्मा भगवानदास वर्मा आशीष निशा गोविंदी मदन गोपाल ग्यारसी लाल गिरधारी लाल प्रहलाद खुराना मधुर अग्रवाल स्वामीनाथ कन्हैया सिंह समेत अनेकों राम भक्त मौजूद रहे आज सुबह ब्रह्म बेला में तेरह लोगों ने सदगुरुदेव श्री सतपाल महाराज जी के श्री चरणों की वंदना कर ज्ञान दीक्षा प्राप्त की

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