हल्द्वानी/कमलुवागांजा स्थित प्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्रपाल भैरव मंदिर में भव्य कलश यात्रा के साथ श्रीमद् भागवत कथा का शुक्रवार को शुभारम्भ हो गया है यहाँ प्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य पण्डित रविशंकर पंत कथा का वाचन कर रहे है प्रातः काल निकली भव्य कलश यात्रा में सैकड़ों मातृ शक्तियों सहित अनेकों भक्तों ने भाग लिया माँ भद्रकाली मंदिर के आचार्य योगेश पंत ने भी कलश यात्रा में भाग लेकर यजमान परिवार को शुभकामनाएं दी यहाँ अपनी सुधामय वाणी की धार से कथा का वाचन करते हुए पण्डित आचार्य रविशंकर पंत ने कहा जीवन में कभी भी श्रीमद् भागवत कथा आयोजन श्रवण का अवसर मिले तो ग्रहण करें।उन्होंने श्रीमद भागवत कथा का वृतांत और महत्व बताया’ उन्होंनें भक्तों के अपार जन समूह श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कराते हुए कहा भागवत कथा सुनने से जीवन को मुक्ति मिलती है। और आनन्द का संचार होता है।उन्होनें कहा भागवत जीवन का सार है जो हमें जीवन जीने की सरल व अलौकिक राह प्रदान करता है। जीवन का ज्ञान श्रीमद्भागवत कथा से ही प्रकट होता है। उन्होंने मन को बंधन और मुक्ति दोनों का कारण बताया। और कहा कि मन को वश में करके इसे परमात्मा से जोड़ना ही जीवन का सार है।भागवत कथा का श्रवण,मनन,व पालन समस्त दु:खों का अंत है जो जीवन को मर्यादित रहने की प्रेरणा देता है। अपनी मधुर वाणी की धार से भक्तों पर अमृत वर्षा करते हुए उन्होंने आगे कहा मनुष्य काम, क्रोध, मद व लोभ के वशीभूत होकर प्रभु से दूर होता चला जाता है और यही ब्यथा जीवन भर उसका पीछा नहीं छोड़ती है जबकि अगर जीवन की व्यथा को दूर करना हो तो भागवत कथा का श्रवण कर प्रभु के चरणों में अनुराग करना चाहिए। यही जीवन की सार्थकता है
उन्होंने कहा कि मानव जीवन का प्रमुख उद्वेश्य परमात्मा को प्राप्त करना है। शरीर पाकर अगर आवागमन के बंधन से मुक्त नही हुए तो जीवन बेकार है।प्रभु ने लाखों पापियों का उद्धार किया। बस प्रेम से उन्हें याद करने की जरूरत है लेकिन मानव ऐसे दयालु प्रभु को छोड़कर सांसारिक झंझावातों का सामना कर रहा है। यही उसके दु:खों का मूल कारण है कथावाचक व्यास आचार्य पंत ने कहा कि कथा की सार्थकता तब सिद्व होती है जब हम इसे अपने जीवन में व्यवहार में धारण कर निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन ,कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी
जिसके श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए अथक प्रयास करने पडते हैं। कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है
इस अवसर पर आयोजक मोहन चन्द्र जोशी आशीष जोशी निधि जोशी शाश्वत जोशी ऐश्वर्या जोशी ने सभी आगन्तुक व भक्तजनों का आभार जताया शुक्रवार 18 अक्टूबर से आरम्भ कथा का विराम 24 अक्टूबर गुरुवार को हवन यज्ञ व विशाल भण्डारे के साथ होगा प्रतिदिन कथा प्रवचन दोपहर एक बजे से सांय पाँच बजे तक होगा तत् पश्चात् भजन कीर्तन आदि कार्यक्रम आयोजित होगें
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