जानिए कैसै चलती है पितृ लोक की सरकार और कौन है पितरों के राजा और भी तमाम मन के अनसुलझे सवालों का जबाब प० त्रिभुवन उप्रेती से

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अनेक मित्रजनों द्वारा आज अनेक प्रश्न श्राद्ध के सम्बन्ध में पूछे गये है। जिनका उत्तर निम्नलिखित रूप से है। 1-क्या पितृ लोक में भी प्रशासनिक व्यवस्था होती है,,

उत्तर — जी हां पितृ लोक की व्यवस्था के लिए पितृ लोक में भी सरकार का गठन होता है पितरों के राजा का नाम अर्यमा नामक पितृ है।। पाप और पुण्य के लिए चित्रगुप्त नामक पितृ सूचना एवंअच्छे बुरे कर्म की फोटो गुप्त रुप से लेते हैं।। शनि महाराज न्यायधीश का कार्य करते हैं। जो शुभ अशुभ के अनुसार दंड निर्धारित करते हैं।। यमराज को उच्च पद प्राप्त है जो कर्म के प्रारूप पर हस्ताक्षर करते हैं।।

प्रश्न 2– क्या किसी कारण पार्वण श्राद्ध छूट जाय तो उसको कब करना चाहिए –

उत्तर-किसी कारणवश अगर महालया श्राद्ध नहीं कर सकें तो अमावस्या तिथि या कार्तिक कृष्ण पक्ष अष्टमी व नवमी तिथि या पौष कृष्ण पक्ष अष्टमी व नवमी को श्राद्ध जरूर कर लेना चाहिए लेकिन श्राद्ध नहीं छोड़ना चाहिए।

प्रश्न संख्या 3—क्या सूतक व नातक में श्राद्ध हो सकता है—

उत्तर- जी नहीं नातक सूतक में श्राद्ध करना पाप है अतः नातक की स्थिति में नामकरण संस्कार से पहले उसी दिन पहले श्राद्ध तब जाकर नामकरण होगा, लेकिन सूतक में पीपल पानी के बाद छूटा हुआ श्राद्ध करना चाहिए।। पत्नी के रजस्वला होने पर तिथि को ही श्राद्ध होगा किसी भी स्थिति में, लेकिन भोजन प्रबंधन का कार्य खुद कर्ता को बनाना चाहिए तिथि श्राद्ध छुटने पर यह केवल तीर्थ से उठाया जाता है।

प्रश्न संख्या 4—क्या अलंग रहने वाले भाई मांता पिता का अलग अलग श्राद्ध कर सकते है—

उत्तर- जी हां जितने पुत्र हैं वह स्वविवेक एवं भक्ति पूर्वक श्राद्ध कर सकते हैं।

प्रश्न संख्या 5—श्राद्ध के दिनों में मरने वालों का श्राद्ध विधान क्या है

उत्तर –पार्वण श्राद्ध में मरने वाले व्यक्ति का एकापार्वण श्राद्ध होता है जिसमें एक ही दिन एकोदिष्ट एवं पार्वण श्राद्ध साथ साथ होता है।। इसमें तीन पिण्ड बनाने का विधान है।

प्रश्न संख्या 6— अगर बेटा बाहर हो तो श्राद्ध कौन कर सकता है—

उत्तर – अगर बेटा बाहर हो तो ऐसी स्थिति में भाई, चाचा, भतीजे, स्वयं ब्राह्मण, आदि को श्राद्ध करने का अधिकार है। अन्यथा की स्थिति में भोजन बनाकर गौग्रास वह ब्राह्मण भोजन कराने से भी पूर्ण श्राद्ध पितरों को प्राप्त होता है।

प्रश्न संख्या 7—क्या जिसने माँ बाप की सेवा नहीं की अथवा किसी कारणवश अपमानित किया हो क्या वह श्राद्ध के योग्य है—–

उत्तर- जी हां ऐसे व्यक्ति को प्रायश्चित तौर पर हमेशा श्राद्ध करना चाहिए ऐसे तुल्य बेटे के जो संपत्ति के लालच व रूपए पैसे के लालच में उन्हीं की कमाई से सेवा का भाव दिखाता हो।

प्रश्न संख्या 8—-क्या श्राद्ध के दिन व्रत पड़ जाय तो श्राद्ध भोजन का क्या होगा——

उत्तर–श्राद्ध एक महान व पूज्य निष्ठा का दिन है श्राद्ध में पितृ प्रसाद ग्रहण करना अनिवार्य होता है प्रसाद का परित्याग नहीं करना चाहिए श्राद्ध के दिन व्रत नहीं करना चाहिए चाहे एकादशी तिथि का ही व्रत क्यों न हो।।

सधन्यवाद आपका पंडित त्रिभुवन उप्रेती ज्योतिष कार्यालय नया बाजार हल्दूचौड हल्द्वानी नैनीताल उत्तराखंड 9410143469,,

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