*भव्य कलश यात्रा के साथ कृष्णापुरी पिथौरागढ़ में श्री शिव महापुराण कथा का शुभारम्भ*

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*🌹भगवान शिव कल्याण के देवता: पण्डित किशोर जोशी*
*🌹 पिथौरागढ़ शहर के कृष्णापुरी में भव्य कलश यात्रा के बाद श्री शिवमहापुराण कथा का शुभारम्भ हो गया है। कथा शुभारम्भ से पूर्व भव्य कलश यात्रा निकाली गई भव्य यात्रा शिव मन्दिर पिथौरागढ से होते हुए शहर के विभिन्न मार्गों से निकली यात्रा में ‘सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया इस दौरान समूचे क्षेत्र का वातावरण शिवमय हो गया ।*

🌹कथा के प्रथम दिन प्रसिद्व कथावाचक पण्डित किशोर चन्द्र जोशी ने श्नद्वालुओं के अपार जन समूह पर श्री शिव कथा की अपनी सुधामयी वाणी की धार से अमृतवर्षा करते हुए श्री शिव महापुराण सुनने का महात्म्य व पुराण का परिचय बतलाते हुए कहा जो भी मनुष्य श्रद्वा के साथ श्री शिव महापुराण कथा का श्रवण करता है, उसके जन्म जन्मान्तर के पापों का हरण हो जाता है, वह जन्म मरण के बन्धन से मुक्त होकर अन्त में भगवान शिव के परम लोक को प्राप्त होता है उन्होने कहा शिव का अर्थ होता है कल्याण ,वे सदैव अपने भक्तों का कल्याण करते हैं श्री शिव महा पुराण भगवान शिव के लीलाओं और उनके महात्मय से भरा पड़ा है। इसमें ज्ञान का अतुलनीय भंडार है भगवान शिव थोड़े समय में ही थोड़ी सी भक्ति से अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन्हें मनवांछित फल प्रदान करते हैं। इस महापुराण के चौबीस हजार श्लोक शिव भक्ति का संचार करती है।उन्होनें कहा श्री शिव महापुराण में परात्पर ब्रह्म शिव के कल्याणकारी स्वरूप का विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन है। जिसका उन्होने विस्तार के साथ वर्णन किया उन्होनें कहा कि श्री शिव महापुराण परम कल्याण को देनें वाला है। इस पुराण की महिमा का बखान स्वंय स्कंद पुराण ने किया है उन्होनें कहा शिवजी स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता है, विश्व चेतना हैं और ब्रह्माण्डीय अस्तित्व के आधार हैं। सभी पुराणों में शिव पुराण को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होने का दर्जा प्राप्त है। जैसे क्षेत्रों में काशी वैसे ही पुराणों में शिव पुराण की कोई उपमा नहीं है।*

*इस अवसर पर मुख्य यजमान श्रीमती एवं श्री पूरन चन्द्र पन्त श्रीमती एवं श्री राजेन्द्र पन्त श्रीमती एवं श्री दीप चन्द्र पन्त के अलावा पण्डित तारा दत्त पन्त गोपाल कृष्ण पन्त बंसत बल्लभ चक्रधर पंत देवेन्द्र जोशी विनोद पाठक अंकित जोशी शेखर चन्द्र जोशी राजेन्द्र पन्त देवी दत्त गोविन्द बल्लभ देवकी पाटनी हंसी उपाध्याय हेमा पंत गीता पंत लीला पंत सहित अनेकों मौजूद रहे*

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