राप्ती नदी के तट पर हुआ माँ बगलामुखी महायज्ञ

ख़बर शेयर करें

 

माँ बगलामुखी जयंती के पावन अवसर पर राप्ती नदी के पावन तट पर माँ के मंत्रों की गूंज से समूचे क्षेत्र का वातावरण आध्यात्मिकता के रंग में रंग गया माँ पीताम्बरी के पावन मन्त्रों की सुगंध से महक उठी निर्मल राप्ती नदी

यहां यह बताते चलें कि राप्ती नदी का आध्यात्मिक महत्व बड़ा ही अद्भुत और निराला है प्रसिद्ध साधु-संतों की यह प्राचीन साधना स्थली रही है इसी नदी के तट पर अनेक महान संतों ने अपने आराधना के श्रद्धा पुष्प अर्पित करके विभिन्न देवी-देवताओं से अलौकिक सिद्धियां प्राप्त की इस नदी का प्राचीन नाम इरावती नदी कहा जाता है
धर्म व संस्कृति जगत में यह नदी धर्म व आध्यात्म का महासंगम मानी जाती है। बहराइच, गोंडा, बस्ती और गोरखपुर ज़िलों में बहती हुई बरहज के निकट यह लगभग 640 किमी० लम्बी है जो पावन नदी घाघरा नदी से मिल जाती है इस नदी की गाथा भगवान बुद्ध से भी जुड़ी हुई है पतित को पावन करने वाली निर्मल राप्ती नदी का वर्णन अनेक स्थानों पर आता है कहा जाता है कि इस नदी के तट पर माँ भगवती की आराधना करने से मनुष्य के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं इतना ही नहीं कहा तो यहां तक गया है कि इस नदी के पावन तट पर हवन व यज्ञ करने से मनुष्य अपने जन्म जन्मांतर पापों से छुटकारा पा जाता है
माँ बगलामुखी जयंती के पावन अवसर पर इस नदी के तट पर उत्तराखंड में स्थित प्रसिद्ध स्थल बंगला क्षेत्र के संत श्री रामकृष्ण महाराज की अगुवाई में साधकों ने हवन यज्ञ कर देश व प्रदेश एवं मानवता की सुख समृद्धि व मंगल की कामना की
सत्य साधक बिजेन्द्र पाण्डेय गुरु जी के निर्देशन में हुए विराट यज्ञ में माँ बगलामुखी के अनेक भक्तों ने भाग लेकर पुण्य अर्जित किया इधर सत्य साधक श्री विजेंद्र पांडे गुरुजी जी ने कहा कि माँ पीतांबरी की महिमा अपरंपार जो भी प्राणी इनकी शरणागत रहता है वह समस्त संतापों से मुक्त हो जाता है उसके जीवन की जटिल बाधाएं बहुत ही सरल हो जाती है उन्होनें कहा माई पीताम्बरी स्तम्भन की देवी हैं। सारे ब्रह्माण्ड की शक्ति मिल कर भी इनका मुकाबला नहीं कर सकती मंगलयुक्त चतुर्दशी की अर्धरात्रि में इसका प्रादुर्भाव हुआ माई को ब्रह्मास्त्र के नाम से भी जाना जाता है माई पीतांबरी से की गयी कोई पुकार कभी अनसुनी नहीं होती राजा हो या रंक, माँ के नेत्र सभी पर एक समान कृपा बरसाते हैं उन्होनें कहा भगवती पीताम्बरी की उपासना करने वाले साधक के सभी कार्य बिना व्यक्त किये पूर्ण हो जाते हैं और जीवन की हर बाधा को वो हंसते हंसते पार कर जाता है
5 घंटे तक चले विराट महायज्ञ में आचार्य सुरेंद्र नारायण त्रिवेदी प्रधान चौधरी अजीत सिंह पत्रकार भानु प्रकाश तिवारी पवन दुबे अक्षत शुक्ला अखिलेश सिंह मनोज बल्ले राजकुमार राधेश्याम तिवारी पवन दुबे आदि मौजूद रहे

Ad
Ad Ad Ad Ad
Ad