माँ भद्रकाली दरबार से मिलती है नित नई प्रेरणा : योगेश पंत, देखिये नवरात्रि की भव्य वीडियो

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माँ भद्रकाली की मंहिमा का कोई पारावार नहीं है।जिस माँ के आशीर्वाद से समस्त जगत की क्रियायें सम्पन हो रही है। उस माँ भद्रकाली की मुझ पर भी असीम कृपा है।उनकी कृपा की कोर से मैं अपना जीवन धन्य समझता हूँ माँ भद्रकाली के प्रति यह उद्गार प्रकट करते हुए मंदिर कमेटी के मुख्य संरक्षक योगेश पंत ने कहा कि वास्तव में माँ भद्रकाली की मंहिमा बड़ी निराली है।उनके निराले पन की छावं का शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता है।
उन्होनें कहा माँ भद्रकाली की मुझ पर असीम कृपा है। श्री पंत ने कहा हर बार की यात्रा में उन्हें माँ के दरबार में नई नई अनूभूतियों का अनुभव हुआ है। हर दौरे में कुछ न कुछ नयापन देखनें को मिलता है। यहां के सतत् विकास के हमारा प्रयास निरंतर जारी रहेगा

 

उन्होनें कहा सम्पूर्ण विश्व ही नहीं बल्कि अनन्तकोटी ब्रहमाण्ड़ में परम पूज्यनीय देवाधिदेव महादेव जी का आवास स्थल कैलाश पर्वत सनातन संस्कृति की सबसे अनमोल धरोहर है।यह पावन पर्वत युगों युगों से परम पूज्यनीय रहा है।कैलाश पर्वत क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाली समस्त पर्वत श्रृखंलाये व उन पर्वतों पर विराजमान देवी,देवता,नाग देवता, बहती गंगा की जलधाराये,कल कल धुन में नृत्य करती नदियां व उन नदियों से निकलनें वाले अनहाद नादों के स्वर,लता,वृक्ष,व शक्ति पीठ भी सदा से पूज्यनीय रही है।यही वह भूमि है।जो युग युगों से ऋषि,मुनियों,देवताओं की तपस्या का केन्द्र बिन्दु रही है। इन्हीं पर्वत श्रृखंलाओं में सम्पूर्ण नागों की आराध्या माँ भद्रकाली सदियों से पूज्यनीय है।

 

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उन्होनें कहा देवभूमि उत्तराखण्ड़ प्राकृतिक सौदर्य की दृष्टि से भारत का ही नही अपितु विश्व का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है यहां के पर्यटक एंव तीर्थ स्थलों का भ्रमण करते हुए जो आध्यात्मिक अनूभूति होती है वह अपने आप में अद्भुत है।पर्यटन की दृष्टि से ही नहीं बल्कि तीर्थाटन की दृष्टि से भी यह पावन भूमि महत्वपूर्ण है इसी कारण यहां का भ्रमण अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा श्रेष्ठ एंव संतोष प्रदान करने वाला है, उन्होनें कहा राज्य में पर्यटन एंव तीर्थाटन की आपार सभांवनाएं है।स्थानीय लोक कलाओं के विकास व सास्कृतिक आदान प्रदान में तीर्थाटन एंव पर्यटन का विशेष महत्व है। मानव सभ्यता के विकास में तीर्थाटन एंव पर्यटन की विशेष भूमिका होती है।तमाम स्थलों के बेहतर विकास के लिए इन स्थलों को सूचीबद्व किया जाना चाहिए साथ ही जो स्थल गुमनामी के साये में है,उन्हें भी चिन्हित करने का कार्य होना चाहिए। और नीतिबद्व तरीके से उनका विकास होना चाहिए।

 

उन्होनें कहा यह प्रदेश अपनी अलौकिक सुन्दरता व धार्मिक क्षेत्र के रुप में प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध है।कई ऐतिहासिक धार्मिक व प्राकृतिक स्थल है जो पर्यटन एंव तीर्थ के रुप में अपना विशेष स्थान रखते है।जिनका प्राकृतिक सौदर्य के अलावा आध्यात्मिक महत्व भी है उन सबका समुचित विकास किया जाना चाहिए प्रकृत्ति के अनमोल खजाने के रूप में जो गुफायें यहां विद्यमान है ।उन्हें भी प्रकाश में लानें का प्रयास होना चाहिए श्री पन्त ने अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा समस्त मंगलों का मंगल करने वाली,मंगलों को मंगलता का वैभव प्रदान करने वाली,वर देने वालों को भी वरदान देने वाली,सर्व शत्रुविनासिनी,सर्व सुखदायिनी,सर्वसौभाग्यदायिनी,लोक कल्याणकारिणी,सर्व स्वरुपा, कल्याणी माता श्रीभद्रकाली की महिमां अपरम्पार है,

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जनपद बागेश्वर की पावन भूमि पर कमस्यार घाटी में स्थित माता भद्रकाली का परम पावन दरवार सदियों से आस्था व भक्ति का अलौकिक संगम है। माता भद्रकाली के इस दरबार में मांगी गई मनौती कभी भी ब्यर्थ नही जाती है जो भी श्रद्वा व भक्ति के साथ अपनी आराधना के श्रद्वा पुष्प माँ के चरणों में अर्पित करता है,वह परम कल्याण का भागी बनता है। माता श्री महाकाली के अनन्त स्वरुपों के क्रम में माता भद्रकाली का भी बड़ा ही विराट वर्णन मिलता है।जगत जननी माँ जगदम्बा की अद्भूत लीला का स्वरुप अनेक रुपों में माता श्री भद्रकाली की महिमां को दर्शाता है। पुराणों के अनुसार माता भद्रकाली का अवतरण दैत्यों के सहांर व भक्तों के कल्याण के लिए हुआ है।कहा जाता है ,कि जब रक्तबीज नामक महादैत्य के आंतक से यह वंशुधरा त्राहिमाम हो उठी थी,तब उस राक्षस के विनाश हेतु माँ जगदम्बा ने भद्रकाली का रुप धारण किया। तथा महापराक्रमी अतुलित बलशाली दैत्य का संहार किया, यही एक अद्भूत स्थान है, जहां माता भद्रकाली की महाकाली, महालक्ष्मी व महासरस्वती तीनो रुपों में पूजा होती है। इन स्वरुपों में पूजन होने के कारण इस स्थान का महत्व सनातन काल से पूज्यनीय रहा है,

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श्री पंत ने बताया उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ मण्डल में बागेश्वर जनपद अंतर्गत बागेश्वर मुख्यालय से लगभग 30 किमी पूर्व में पहाड़ की सुरभ्य मनमोहित वादियों के बीच में स्थित इस देवी के दरवार की एक विशेषता यह है,कि प्रायः माँ जगदम्बा के मन्दिर एवं शक्ति स्थल पहाड़ की चोटी पर होते है ,लेकिन यह मन्दिर अन्य शक्ति स्थलों की अपेक्षा चारों ओर रमणीक शिखरों के मध्य बीच घाटी में स्थित है। और इन शिखरों पर नाग देवताओं के मन्दिर विराजमान हैं । जो यहां आने वाले आगन्तुकों को बरबस ही अपनी ओर खीचं लेते है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता साधना के लिए जगत माता की ओर से भक्त जनों के लिए अनुपम उपहार है।

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