माँ भद्रकाली के महान भक्त रहे स्वर्गीय श्री प्रयाग दत्त पंत से जुड़ी हुई यादें

ख़बर शेयर करें

 

नवरात्रियों की पावन आभा में माँ भद्रकाली के महान भक्त रहे स्वर्गीय श्री प्रयाग दत्त पंत से जुड़ी हुई यादें अक्सर ताजा हो जाती हैं एक महान देवी भक्त के रूप में समूची गंगावली नागभूमि बेरीनाग एवं कमस्यार घाटी बागेश्वर में विशेष रूप से उनकी प्रतिष्ठा आज भी लोगों के हृदय में सहज ही झलकती है लोग उन्हें आदर पूर्वक याद करते हैं

मूल रूप से बेरीनाग के निकट पभ्या गांव के निवासी स्वर्गीय श्री प्रयाग दत्त पंत माँ भद्रकाली के अनन्य उपासकों में एक थे उन्होनें अपना सम्पूर्ण जीवन माँ भद्रकाली के चरणों में अर्पित किया था बेरीनाग के निकट त्रिपुरा देवी के प्रति भी उनके हृदय में गहरी आस्था थी त्रिपुरा देवी की महिमां को भी उन्होनें आम जनमानस प्रचारित व प्रसारित किया था

सनातन धर्म में जब जब सत्य व धर्म की रक्षा के लिए माँ भद्रकाली के भक्तों के योगदान की चर्चा होती रहेगी, तब- तब महान् युग पुरुष तपोनिष्ठ आध्यात्मिक जगत के अलौकिक महापुरुष स्व० श्री प्रयाग दत्त पंत जी का परम श्रद्वा के साथ स्मरण किया जाता रहेगा। और इनका स्मरण माँ भद्रकाली भक्तों में आध्यात्मिक ऊर्जा का नया संचार करेगा।और हम सभी का मार्गदर्शन भी माँ भद्रकाली मन्दिर कमस्यार घाटी पहुंचकर श्रद्वालुजन जब माता के श्री चरणों में अपने आराधना के श्रद्वा पुष्प अर्पित करेंगे तब सहज में ही याद आऐगे प्रयाग दत्त पंत महाराज, उनका निर्मल, निष्ठामय, कर्तव्यमय, सादगी भरा जीवन, क्षमा, व दया की प्रतिमूर्ति, मर्यादा के महान् रक्षक, महान् गौ भक्त, एक आत्मनिष्ठ, निष्काम कर्मयोगी, आध्यात्म जगत की जितनी भी उपमाएं है वे सब उनमें झलकती थी, लोग उनसे मिलकर अपने सौभाग्य की सराहना करते थें, उनका दर्शन उनकी वाणी जीवन के कई अनसुलझी गुत्थियों को बरबस ही सुलझा देती थी। जो सच्चे हदय से उनके निकट आकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करता था, वह ज्ञान की नई अनुभूतियां पाकर अपने जीवन को धन्य समझता था उनकी कृपा का वर्णन शब्दों में नही किया जा सकता है, उनके भक्त कहते है उनकी कृपा निष्कंटक जीवन यात्रा के लिए बहुत बड़ा वरदान है शरीर तो सभी का जाता है चाहे अवतारी पुरुष हो या अन्य कोई एक दिन सभी काल के इस चक्र में व्यतीत हो जाते है, लेकिन महापुरुष जिस सच्चाई को लेकर चलते है, वो तीनों कालों तक रहने वाली सच्चाई है, उसका कभी अन्त नही होता स्व० श्री पंत भी ऐसी ही सच्चाई के साथ थे

यह भी पढ़ें 👉  जागेश्वर धाम के प्रधान पुजारी हेमन्त भट्ट ने " सत्य साधक गुरुजी " का अपने आवास पर किया भव्य स्वागत जागेश्वर महिमा पर लिखी पुस्तक भी भेंट की

आत्मा की अमरता व शरीर की नश्वरता से वे अपने भक्तों को सजग कर सदैव कर्तव्य पथ पर चलने की प्रेरणा दिया करते थे, आजीवन शिव व शक्ति की आराधना एवं भक्ति में तल्लीन रहकर उन्होनें सनातन धर्म की जो सेवा की उसे शब्दों में नही समेटा जा सकता है । उनके भक्त बताते है पूज्य गुरुदेव स्व० श्री प्रयाग दत्त पंत ने अपनी जीवन यात्रा के काल में भक्ति की महिमा को जो ऊंचाई प्रदान की उसका बखान भी शब्दों में नही किया जा सकता है, उन्होने वेद व वेद से भी परे आत्मा की विराटता उपनिषदों, शास्त्रों, वेदों पुराणों, गीता, महाभारत दर्शन शास्त्र तथा अनेकों धर्म ग्रन्थों में निहित दिव्य ज्ञान के भीतर छिपे तत्वमय रहस्यों से लोगों को अवगत कराकर मानवता को सही अर्थों में परिभाषित किया और मानवीय मूल्यों के संरक्षण में अविस्मरणीय योगदान दिया। यही कारण है कि आज भी उन्हें आदर पूर्वक याद किया जाता है

यह भी पढ़ें 👉  अनुमति मिलते ही नगर पंचायत लालकुआं करवाएगी 300 से 400 गौवंश के लिए शेड का निर्माण ,क्षेत्र को मिलेगी निराश्रित गौवंश से निजात

उल्लेखनीय है,कि श्रीमद् भागवत पुराण श्री शिव महापुराण श्रीमद् देवी भागवत के प्रकाण्ड विद्वान होने के कारण ही वे महान् के रुप में प्रतिष्ठित व प्रसिद्व थे हिमालय की गोद में बसे प्रकृति की अमूल्य धरोहर माँ त्रिपुरा सुन्दरी के आंचल पभ्या गाँव से उनका अलौकिक नाता था उनकी बाल्यकाल से ही धर्म एंव आध्यात्म में गहरी रुचि थी माँ भद्रकाली के स्नेहिल सानिध्य में उन्होनें वेद, पुराण, उपनिषद, धर्मशाास्त्र, दर्शन शास्त्र समेत अनेक सनातन ग्रन्थों का गहन अध्यन किया
माँ की कृपा से प्राप्त पवित्र ज्ञान को उन्होंने अपने प्रवचनों के माध्यम से लोगों तक पहुचाया। उन्हें मानने वाले भक्तों में से कोई उन्हें युग प्रवर्तक तो कोई युगपुरुष तो कोई सनातन धर्म के महान प्रहरी व ध्वज वाहक के रुप में उन्हे पूजते आये है, तो कोई उन्हें भगवान शिव का ही स्वरुप मानकर उनके दिव्य आशीष की छाव में स्वयं को उनकी कृपा का पात्र मानते थे उनके पावन सानिध्य में परम आनन्द की अनूभूति करते रहे है, प्रयाग राज की भूमि में 90 के दशक में उन्होनें इस नश्वर संसार से विदाई ली

यह भी पढ़ें 👉  कालाढूंगी का प्राचीन हनुमान मंदिर : हनुमान भक्तों के लिए प्रकृति की अद्भुत सौगात,वृक्ष पर उभरी हनुमान जी की आकृति के दर्शन से धन्य होते है श्रद्धालु

सचमुच स्व० श्री प्रयाग दत्त पंत जी उत्तराखण्ड भूमि के अलौकिक दुर्लभ माँ भद्रकाली भक्तों में से थे उनका अखण्ड आर्शीर्वाद सदैव भक्तों के साथ है, उन्होनें प्रयाग भूमि में अपनी जीवन यात्रा को विराम देकर परम धाम को प्रस्थान किया आध्यात्मिक यादों की महक में स्व० प्रयाग दत्त पंत जी सदैव हम सभी के दिलों में अमर रहेग
आपके जीवन का अतुलनीय त्याग सदैव भक्जनों के लिए एक महान् आर्दश बनकर मार्ग दर्शन करता रहेगा आजीवन लोक कल्याण में सलग्न रहें,

Ad
Ad Ad Ad Ad
Ad