माँ बगलामुखी की महिमां अपरम्पार: प० मनोज शर्मा

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नलखेड़ा स्थित माँ बगलामुखी देवी की महिमां अपरंपार है जो भी प्राणी माँ बगलामुखी देवी की शरण में आता है उसके समस्त रोग शोक सहित महान संकट मिट जाते है
यह बातें विश्व प्रसिद्ध माँ बगलामुखी के दरबार नलखेड़ा से उत्तराखंड भ्रमण पर आए दरबार के पंडित मनोज शर्मा ने प्रकट किये उन्होनें कहा माँ को पीताम्बरी देवी अथवा पीताम्बरा देवी भी कहा जाता है। यह देवी सृष्टि की दश महाविद्याओं में से एक मानी जाती हैं। भक्तों के जीवन में इस देवी को विशेष महत्व दिया गया है। अपनी उत्पत्ति के समय यह देवी पीले सरोवर के ऊपर पीले वस्त्रों से सुशोभित अद्भुत कंचन आभा से युक्त थी। इसीलिए साधकों ने इस देवी को ‘पीताम्बरी’ अथवा ‘पीताम्बरा’ देवी के नाम से भी सम्बोधित किया है श्री शर्मा ने बताया
एक पौराणिक प्रसंगाानुसार जब दक्ष प्रजापति ने अपने यज्ञ में भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया तो सती अत्यधिक क्रोधित हो उठी। सती के रौद्र रूप को देख कर भगवान शिव अत्यधिक विचलित हो गये और इधर-उधर भागने लगे। तब सहसा दशों दिशाओं में सती का विराट स्वरूप प्रकट हो गया। भगवान शिव ने जब देवी से पूछा कि वे कौन हैं, तो विराट स्वरूपा देवी सती ने दश नामों के साथ अपना परिचय दिया जो दश महाविद्याओं ने रूप में जगत प्रसिद्ध हुई।
एक अन्य पौराणिक कथानुसार ‘कृत’ युग में सहसा एक महाप्रलयंकारी तूफान उत्पन्न हो गया। सारे संसार को ही नष्ट करने में सक्षम उस विनाशकारी तूफान को देख कर जगत के पालन का दायित्व संभालने वाले भगवान विष्णु चिन्तित हो उठे। श्री हरि ने सौराष्ट्र के हरिद्रा नामक सरोवर के किनारे महात्रिपुर सुन्दरी को प्रसन्न करने के लिए घोर तप आरम्भ कर दिया। भगवान के तप से प्रसन्न होकर तब उस श्री विद्या महात्रिपुर सुन्दरी ने बगलामुखी रूप में प्रकट होकर उस वातक्षोभ (विनाशकारी तूफान) को शान्त किया और इस तरह संसार की रक्षा की।इसलिए इन्हें विष्णु चिन्ताहरणी भी कहा जाता है।श्री शर्मा ने बताया माँ करुणामई व ममतामई तथा दया की अथाह सागर है

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