माँ सूर्य देवी को तीर्थाटन के रूप में विकसित किया जाए : हरेंद्र बोरा

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लालकुआँ विधान सभा क्षेत्र के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं माँ सूर्या देवी के आस्थावान भक्त हरेंद्र बोरा ने कहा कि उत्तराखंड की धरती पर माता सूर्य देवी का स्थान परम आस्था का केंद्र है सरकार को इसे तीर्थाटन के रूप में विकसित करना चाहिए यदि यहां पर तीर्थाटन का विकास होता है तो यह स्थान उत्तराखंड के पवित्र पावन स्थानों में एक होगा

उन्होनें कहा कि देवभूमि उतराखण्ड में शक्तिपीठों की भरमार है,स्थान – स्थान पर स्थित देवी के शक्ति स्थल परम पूजनीय है, हल्द्वानी क्षेत्र अंतर्गत गौला पार से लगभग 17 किलोमीटर आगे सेलजाम नदी के तट पर सूर्या देवी का पावन स्थान सदियों से भक्तों को असीम व अलौकिक शान्ति प्रदान करता आ रहा है, इस स्थान पर पहुचनें पर सांसारिक मायाजाल में भटके मानव की समस्त ब्याधियां शान्ति को प्राप्त हो जाती है।
इस देवी को अनेकों नामों से पुकारा जाता है,जिनमें क्षीर वृक्ष स्वरुपिणी, दयनीये, दयाधिके, जय करुणारुपे, सूर्या देवी, मंगला, वैष्णवी, माया, कालरात्रि, महामाया, मंतगी, काली कमलवासिनी, शिवा, सर्वमंगलरुपिणी आदि प्रमुख है। अन्य अनन्त नामों से भक्तों के हदय में वास करने वाली महेश्वरी महादेवी की पूजा अर्चना से व आराधना करने पर भगवती दुर्गा कष्टप्रद नरक रुपी दुर्ग से उद्वारकर परम पद प्रदान करती है

श्री बोरा ने बताया सूर्या देवी की महिमां स्थानीय जनमानस में काफी लोकप्रिय है, दूर-दराज क्षेत्रों से भी भक्तों का आवगमन यहाँ लगा रहता है, नवरात्रि को भक्तों की खासी भीड़ यहां पर लगी रहती है, समय- समय पर आयोजित धार्मिक समारोह में लोग काफी संख्या अपनी -अपनी भागीदारी यहाँ अदा करते है,

सूर्या देवी मंदिर क्षेत्र पाण्डव कालीन गाथाओं को भी अपने आप में समेटे हुए है, माना जाता है, कि वनवास काल के दौरान पाण्डवों ने अपना काफी समय सूर्या देवी की शरण में व्यतीत किया, सूर्या देवी शक्ति क्षेत्र की सबसे बड़ी विशेषता यह है, कि यह देवी शैलजाम नदी के तट पर एक वट वृक्ष के मध्य में है, “भक्तजनों को देवी की पूजा अर्चना के लिए वृक्ष के मध्य में अपना भाव अर्पित करना पड़ता है

उन्होंने कहा सदियों से स्थित यह वृक्ष सूर्या देवी की विराट महिमा का बखान करता प्रतीत होता है, वट वृक्षों में विराजित शक्ति के बारे में देवी भागवत में आता है। उन्होने बताया वट वृक्षों के मध्य निवास करने वाले शक्तियाँ साक्षात् शिव का ही स्वरुप मानी जाती है। जगदम्बा माता की महाविराट शक्ति के रूप में ही लोग यहाँ माता सूर्या देवी की वंदना करते है, हिमालय भूमि में पूज्यनीय तमाम शक्तिपीठों की भांति ही माता सूर्या देवी पूज्यनीयां व वदनीया है, इस स्थान पर शक्ति का अवतरण कब व किस प्रकार हुआ इसका कोई उल्लेख नही है, सदियों से लोग यहाँ देवी की पूजा अर्चना बड़ी श्रद्धा व भक्ति के साथ करते आ रहे है,

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