महान ऐश्वर्य प्रदान करती है, माँ नन्दा

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हिमालयी भूमि में माँ नन्दा के अनेक पावन पीठ है, जिनके दर्शन मात्र से मानव पापरहित हो जाता है, ’’दर्शनमात्रेण पापहीनों भवेन्नर’’ सिद्वि की कामना रखने वाले तथा ऐश्वर्य की कामना करने वाले लोग इन्हें भाति-भाति रूपों में पूजते है। नन्दा,नन्दप्रिया,निद्रा,नृनुता,नन्दनात्मिका,नर्मदा,नलिनी,नीला,नीलकण्ठसमाश्रया,नारायणप्रिया,नित्या,निर्मला,निगुर्णा,निधिः,निराधरा,निरूपमा,नित्यषुद्वा,निरन्जना,नादबिन्दुकलात्मिका,नृसिंहरूपा,नगधरा,नृपनागविभूषिता,नरकक्लेषषमनी,निरविघा,निराकारा,नारदप्रियकारिणी,नानाज्योतिसमाख्याता,निधिदा,निर्मलात्मिका,नवसूत्रधरा,नीतिः,नन्दजा,नवनीतप्रिया,नीलग्रीवा,निषीष्वरी,निषुभ्भघ्नी,नागलोकनिवासिनी,नन्दनवन,में विहार करने वाली, माता पार्वती,पावनी,पुण्या,परमज्योति,सहित अनन्त नामों व रूपों में पूजित भगवती नन्दा के हिमालय में अनेकों देवी पीठ है, सनातन काल से इन पीठों के प्रति गहरी आस्था है, जहां भगवती प्रयागराज में ललिता देवी, गया में मंगला त्रिकूट में रूद्रसुन्दरी,विन्ध्यासिनी वैघनाथ धाम आरोग्या,महाकाल में महेष्वरी तथा विभिन्न पीठों में भाति-भाति नाम व रूपों से पूजित है, वही हिमालय में भगवती नन्दा के नाम से परम पूज्यनीय है, कहा भी गया हैःः-’’य एवं कुरूते यात्रां श्री नन्दा देव्याः प्रीतमानसः! सहस्त्रकल्प पर्यन्तं ब्रहमालोके महतरे!!
जो मानव माँ नन्दा देवी के सिद्व पीठों की प्रसन्न मन से यात्रा करता है, उसके पितर हजार कल्वों तक महतर ब्रहम लोक में निवास करते है,

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