पाताल भुवनेश्वरी : तीनों लोकों की ईश्वरी

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दस महाविद्याओं में पंचम महा विद्या माता भुवनेश्वरी पाताल भुवनेश्वर में भुवनेश्वर की महाशक्ति के रूप में परम पूज्यनीय है यहाँ श्रद्धालु इन्हे पाताल भुवनेश्वरी के रूप में पूजकर माँ से यशस्वी मंगलमयी ऐश्वर्यमयी जीवन का आशीर्वाद लेते है पाताल भुवनेश्वरी पाताल लोक की परम पूज्यनीय शक्ति कही गयी है
पाताल भुवनेश्वरी की कृपा से भगवान भुवनेश्वर सदैव अपने भक्तों पर कृपालु रहते है समस्त ब्रह्माण्ड की ईश्वरी के रूप में इनकी स्तुति की जाती है संसार में जो-जो ऐश्वर्य व वैभव है सभी माँ की कृपा से ही प्राप्त होते है माँ भुवनेश्वरी ममता व करुणा की देवी के रूप में भी पूजनीय है
माँ भुवनेश्वरी के नाखूनों में पूरा ब्रह्मांड समाया हुआ है |
देवी भक्तों के अनुसार गुप्त नवरात्रियों में इनकी उपासना साधना करने से माँ भुवनेश्वरी शीघ्र प्रसन्न होती हैं |

दस महाविद्याओं का स्वरूप इन्ही से प्रकट हुआ हैं: काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, और कमला इन्हें मां भुवनेश्वरी के दस स्वरूपों के रूप में भी जाना जाता है जिनमें माता कालीका को
विनाश और परिवर्तन का प्रतीक माना जाता है माँ तारा देवी को ज्ञान की देवी और मुक्ति प्रदायिनी का प्रतीक माना जाता है त्रिपुर सुंदरी माता को परम सौंदर्य और का प्रतीक माना जाता है.
और माँ भुवनेश्वरी देवी को संसार की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है भैरवी देवी को शक्ति और साहस प्रदान करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है

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छिन्नमस्ता माता को एकाग्रता और समर्पण के प्रतीक रूप में पूजा है और माँ धूमावती देवी की शरणागति समस्त मंगलों को प्रदान करती है और माँ बगलामुखी जिन्हें पीताम्बरा या पीताम्बरी देवी के रूप में पूजा जाता है इनके स्मरण से शत्रुओं के समूल का नाश हो जाता है
माँ मातंगी देवी को संगीत, कला और ज्ञान का प्रतीक माना गया है.
माँ कमला देवी को समृद्धि और धन धान्य प्रदान का प्रतीक माना जाता है

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माँ के ये सभी रूप भुवनेश्वरी का ही स्वरूप है जनपद पिथौरागढ़ के गंगोलीहाट क्षेत्र में स्थित पाताल भुवनेश्वर की गुफा जहां युगों युगों के इतिहास को अपने आंचल में समेटे हुए है वही इस गुफा में परम शक्ति स्वरूपा माँ भुवनेश्वरी का पूजन भी युगों – युगों से होता आया है यहां पर माँ भुवनेश्वरी का पूजन करके राजा रितुपर्ण जो कि अयोध्या नरेश थे तथा रामचंद्र जी के पूर्वज हैं उन्हें वह उनके साथी राजा नल को परम ज्ञान की प्राप्ति माँ भुवनेश्वरी की कृपा से ही हुई

इनकी स्तुति से पूर्व त्रयम्बकम भैरव की आराधना करने से सभी मनोरथ शीघ्र सिद्ध होते है महाविद्याओं के रूप में पूजनीय माँ भुवनेश्वरी को समस्त लोकों की ईश्वरी भी माना गया है पाताल में इनके दर्शन का फल अतुलनीय कहा गया है

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पाताल भुवनेश्वर के पुजारी नीलम भण्डारी का कहना है माँ को समस्त ब्रह्माण्ड और समस्त लोकों की ईश्वरी भी इन्हें ही माना जाता है माँ को जगत माता और जगत धात्री के नाम से भी जाना जाता है ये स्वय आकाश, वायु, पृथ्वी, अग्नि और जल का निर्माण करती हैं इसलिए इन्हें मूल प्रकृत्ति भी कहते है माँ भुवनेश्वरी भगवान् शिव के वाम भाग में विराजमान रहती है

कुल मिलाकर माँ भुवनेश्वरी की महिमा अपरंपार है पाताल भुवनेश्वर में इनके दर्शन का महत्व जन्म जन्मान्तर के पापों का नाश करनें वाला कहा गया है

पाताल लोक से रमाकान्त पन्त की रिपोर्ट

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