स्कंदपुराण में वर्णित शिव महिमां

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*लोमश ऋषि जी कहते हैं- जो मनुष्य शिवमन्दिर के आँगनमें झाडू लगाते हैं, वे निश्चय ही भगवान् शिव के लोकमें पहुँचकर सम्पूर्ण विश्वके लिये वन्दनीय हो जाते हैं*
*जो भगवान् शिव के लिये यहाँ अत्यन्त प्रकाशमान दर्पण अर्पण करते हैं, वे आगे चलकर शिवजी के सम्मुख उपस्थित रहनेवाले पार्षद होंगे*
*जो लोग देवाधिदेव, शूलपाणि शंकर को चैवर भेंट करते हैं, वे त्रिलोकोमें जहाँ कहीं जन्म लेंगे, उन पर चैवर डुलता रहेगा। जो परमात्मा शिव की प्रसन्नता के लिये धूप निवेदन करते हैं, वे पिता और नाना दोनोंके कुलोंका उद्धार करते हैं तथा भविष्य में यशस्वी होते हैं*।

*जो लोग भगवान् हरि- हर के सम्मुख दीपदान करते हैं, वे भविष्य में तेजस्वी होते और दोनों कुलोंका उद्धार करते हैं*
*जो मनुष्य हरि-हरके आगे नैवेद्य निवेदन करते हैं, वे एक- एक (ग्रास) में सम्पूर्ण यज्ञका फल पाते हैं। जो लोग टूटे हुए शिव मन्दिर को पुनः बनवा देते हैं, वे निस्सन्देह द्विगुण फलके भागी होते हैं*
*जो ईंट अथवा पत्थर से भगवान् शिव तथा विष्णुके लिये नूतन मन्दिर निर्माण कराते हैं, वे तब तक स्वर्गलोक में आनन्द भोगते हैं, जब तक इस पृथ्वी पर उनकी वह कीर्ति स्थित रहती है*
*जो महान् बुद्धिमान् मानव भगवान् शिवके लिये अनेक मंजिलों का महल (मन्दिर) बनवाते हैं, वे उत्तम गति को प्राप्त होते हैं। जो अपने और दूसरोंके बनवाये हुए शिव मन्दिर की सफाई करते या उसमें सफेदी कराते हैं, वे भी उत्तम गतिको प्राप्त होते हैं*।

*जो पुरुष अथवा स्त्रियाँ शिव जी के आँगन में विविध रंगों के चौक पूरती हैं, वे सर्वश्रेष्ठ शिवधाम में पहुँचकर दिव्य रूप प्राप्त करेंगी। जो पुण्यात्मा मनुष्य भगवान् शिवको चॅदीवा भेंट करते हैं, वे स्वयं तो शिवलोकमें जाते ही हैं, अपने समस्त कुल को भी तार देते है*
*जो अधिक आवाज करने वाला घण्टा लेकर उसे शिव मन्दिरमें बाँधते हैं, वे भी त्रिलोकी में तेजस्वी और कीर्तिमान् होंगे*
*धनवान् हो या दरिद्र, जो एक-दो या तीनों समय भगवान् शिव का दर्शन करता है, वह सुखी होता और समस्त दुःखों छूट जाता है।*
*हे हरे! और हे हर! इस प्रकार भगवान् शिव और विष्णु के नाम लेने से परमात्मा शिव ने बहुतेरे मनुष्यों की रक्षा की है।*
*तीनों लोकों में महादेव जीसे बढ़कर दूसरा कोई देवता नहीं दिखायी देता। इसलिये सब प्रकार के प्रयत्नों से भगवान् सदाशिव की पूजा करनी चाहिये । पत्र, पुष्प, फल अथवा स्वच्छ जल तथा कनेर से भी भगवान् शिव की पूजा करके मनुष्य उन्हींके समान हो जाता है। आक (मदार) का फूल कनेर से दस गुना श्रेष्ठ माना गया है। आक के फूल से भी दसगुना श्रेष्ठ है धतूरे आदिका फल। नील कमल एक हजार कहलार (कचनार) से भी श्रेष्ठ माना गया है।*
*यह चराचर जगत् विभूतिसे प्रकट हुआ है। वह विभूति भगवान् शिवके श्री अंगोंमें भली-भाँति लगती है, इसलिये सदा उसे धारण करना चाहिये*

*जिनके मुख से ‘नमः शिवाय’ यह पंचाक्षर मन्त्र सदा उच्चारित होता रहता है, वे मनुष्य भगवान् शंकरके स्वरूप हैं। प्रात: काल, मध्याहनकाल तथा सन्ध्या के समय शंकरजी का दर्शन करना चाहिये। प्रातःकाल भगवान् शिवके दर्शनसे सम्पूर्ण पातकोंका नाश हो जाता है। दोपहरके समय शिवजी के दर्शन से मनुष्योंके सात जन्मोंके पाप नष्ट हो जाते हैं तथा रात्रि काल में शंकरजी के दर्शन से जो पुण्य होता है, उसकी तो कोई गणना ही नहीं है*
*शिव’ यह दो अक्षरों का नाम महापातकों का भी नाश करने वाला है*
*ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय* //// *🌹💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥💥*🌹आपका दिन मंगलमय हो🌹*

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