श्री राम की लीला की भव्यता में है बी० सी० भट्ट का भव्य भाव, लालकुआँ में लीला का शुभारम्भ आज से

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लालकुआँ/आर्दश रामलीला कमेटी के अध्यक्ष श्री बी० सी० भटृ ने आज श्रीरामलीला के शुभारम्भ पर कहा जहां भावुक भक्तों की दृष्टि में श्री राम की लीला अनादि है।वही लालकुआं की रामलीला ने प्रभु श्री राम के अनादि स्वरूप का चिन्तन करते हुए जो रंग भरे उसने यहां की लीला को नई ऊंचाईया प्रदान की। गौरतलब है,कि त्रेता युग में श्री रामचंद्र के वनगमनोपरांत अयोध्यावासियों ने चौदह वर्ष की वियोगावधि राम की बाल लीलाओं का अभिनय कर बिताई थी। तभी से इसकी परंपरा का प्रचलन हुआ। एक अन्य जनश्रुति से यह प्रमाणित होता है कि इसके आदि प्रवर्तक मेघा भगत थे जो काशी के कतुआपुर महल्ले में स्थित फुटहे हनुमान के निकट के निवासी माने जाते हैं। एक बार पुरुषोत्तम रामचंद्र जी ने इन्हें स्वप्न में दर्शन देकर लीला करने का आदेश दिया ताकि भक्त जनों को भगवान के चाक्षुष दर्शन हो सकें। इससे सत्प्रेरणा पाकर इन्होंने रामलीला संपन्न कराई।
रामलीला की अभिनय परंपरा के प्रतिष्ठापक गोस्वामी तुलसीदास हैं, इन्होंने महान आध्यात्मिक बिरासत का श्री गणेश किया।हिंदी में इनकी प्रेरणा से अयोध्या और काशी के तुलसी घाट पर प्रथम बार रामलीला हुई थी।जो धीरे- धीरे समूचे विश्व की धरोहर बनी इसी धरोहर का सुन्दर स्वरुप इस बार लालकुआं के रामलीला के मंचन में देखनें को मिलेगा।
उन्होंने कहा लीला के पात्र, किशोर, युवा, प्रौढ़ वर्ग का चयन। सीता या सखियों की भूमिका का चयन पात्रों का चुनाव करते समय रावण की कायिक विराटता, सीता की प्रकृतिगत कोमलता और वाणीगत मृदुता, शूर्पणखा की शारीरिक लंबाई आदि पर विशेष ध्यान रखा जाऐगा।
रामलीला की सफलता उसका संचालन करनेवाले व्यास सूत्राघार पर निर्भर करती है, क्योंकि वह संवादों की गत्यात्मकता तथा अभिनेताओं को निर्देश देता है। साथ ही रंगमंचीय व्यवस्था पर भी पूरा ध्यान रखता है। रामलीला के प्रांरभ में एक निश्चित विधि स्वीकृत है।
स्थान-काल-भेद के कारण विधियों में अंतर लक्षित होता है। कहीं भगवान के मुकुटों के पूजन से तो कहीं अन्य विधान से होता है। इसमें एक ओर पात्रों द्वारा रूप और अवस्थाओं का प्रस्तुतीकरण होता है, दूसरी ओर समवेत स्वर में मानस का परायण नारद-बानी-शैली में होता चलता है। लीला के अंत में आरती होती है।ये सभी प्रस्तुतियां यहां आयोंजित लीला की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर है
धार्मिक, सामाजिक दृश्यों, घटनाओं की मनोरम झाकियों के भी मंचन की मोहकता पर चार चॉद लगायगे।
श्री भटृ ने कहा लोकनायक राम की लीला यहाँ की रामलीला में पात्रों की वेशभूषा इस वर्ष भी दर्शनीय रहेगी ।*रघुकुल में सूर्य समान हो तुम हे राम तुम्हारी जय होवें*

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