ऐड़ाघौ में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा में उमड़ा भक्तों का शैलाब

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उत्तराखंड के प्रसिद्ध शक्ति स्थल ऐडाघौ महादेव मंदिर में इन दिनों श्री शिव महापुराण कथा की धूम मची हुई है दूर-दराज क्षेत्रों से भक्तजन कथा का श्रवण करने के लिए यहां पहुंच रहे हैं शिव कथा की गंगा में लोग कथा का श्रवण कर अपना जीवन संवार रहे हैं
दक्षिणी कैलाश आश्रम बिंदेश्वरी महादेव मंदिर एडाघौ की रौनक इन दिनों अध्यात्म के रंग में पूरी तरह रंगी हुई है

प्रसिद्ध कथावाचक पण्डित मोहन चन्द्र पाठक ने श्नद्वालुओं के अपार जन समूह पर श्री शिव कथा की अपनी सुधामयी वाणी की धार से अमृतवर्षा करते हुए कहा इस कथा के श्रवण से प्राणी के जन्म- जन्मान्तर के पापों का हरण हो जाता है, जो ध्यानपूर्वक शिव कथा को सुनता है वह जन्म मरण के बन्धन से मुक्त होकर अन्त में भगवान शिव के परम लोक को प्राप्त होता है उन्होने कहा शिव का अर्थ होता है कल्याण ,वे सदैव अपने भक्तों का कल्याण करते हैं श्री शिव महा पुराण भगवान शिव के लीलाओं और उनके महात्मय से भरा पड़ा है। इसमें ज्ञान का अतुलनीय भंडार है भगवान शिव कम समय में ही थोड़ी सी भक्ति से अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उन्हें मनवांछित फल प्रदान करते हैं। इस महापुराण के चौबीस हजार श्लोक शिव भक्ति का संचार करती है।

उन्होनें कहा श्री शिव महापुराण में परात्पर ब्रह्म शिव के कल्याणकारी स्वरूप का विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन है। जिसका उन्होने विस्तार के साथ वर्णन किया भगवान शिव के अनेकों पावन चरित्रों का उन्होंने सुंदर शब्दों में वर्णन किया उन्होनें कहा कि श्री शिव महापुराण परम कल्याण को देनें वाला है। उन्होनें कहा शिवजी स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता है, विश्व चेतना हैं और ब्रह्माण्डीय अस्तित्व के आधार हैं। सभी पुराणों में शिव पुराण को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होने का दर्जा प्राप्त है। जैसे क्षेत्रों में काशी वैसे ही पुराणों में शिव पुराण की कोई उपमा नहीं है।
यहां ब्रह्मलीन महंत श्री१०८ महादेव गिरी बाबा(नागा बाबा) जी की तपोस्थली का महात्म्य अद्भुत व अलौकिक है अनेक नामी संतों की यह तपो भूमि रही है

 

महंत विश्वंभर गिरी महाराज जी के दिशानिर्देशों में श्री शिव पुराण यज्ञ कथा आयोजन में भक्त अपना भरपूर सहयोग प्रदान कर रहे है महंत श्री हरीगिरी महाराज जी के सौजन्य से सभी भक्त निहाल है। यजमान श्री हरीश चंद्र जोशी एवं मोहन सिंह भण्डारी जी (सपत्नीक) यहाँ शिव सेवा को समर्पित है

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