श्रीमद् देवी भागवत कथा का श्रवण परम सौभाग्य : दिनेश चन्द्र ओझा

ख़बर शेयर करें

 

बेरीनाग के जमुनानगर में श्रीमद् देवी भागवत कथा में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
बेरीनाग /यहाँ जमुनानगर में चिटगल ग्राम निवासी मोहन चन्द्र पन्त मथुरा दत्त पंत पूरन चन्द्र पन्त के आवास में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत कथा में इन दिनों भक्तों की भीड़ उमड़ रही है दूरदराज क्षेत्रों से श्रद्धालु भक्तजन यहां पहुंचकर कथा श्रवण का आनंद ले रहे हैं
22 मार्च से भव्य कलश यात्रा के साथ शुरु कथा के सातवें दिन व्यास कथावाचक पड़ित दिनेश चन्द्र ओझा ने कहा कि इस कलिकाल में श्रीमद् देवी भागवत कथा का श्रवण करना और कराना बहुत फलकारी होता है। उन्होनें देवी की महिमां पर विशेष रुप से प्रकाश डाला तथा कहा इस कथा में 9 देवियों की महत्ता व महिमा की व इनकी विधि विधान से पूजा अर्चना करने की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है। उन्होंने कहा देवी माँ से अपने, देश व समाज के कल्याण की कामना करनी चाहिये।
उन्होंने आगे कहा कि बड़े पुण्य कर्मों से मानव जीवन प्राप्त होता है अत: इसका अधिक से अधिक सद्पयोग करना चाहिये व पुण्य कार्य करके जीवन को सफल बनाना चाहिये। उन्होनें कहा माता, पिता और संतों की सेवा करने और आशीर्वाद लेने से आयु में वृद्धि होती है और सुख समृद्धि आती है
श्री ओझा ने कहा देवी के पावन चरित्रों से बढ़कर कुछ भी नही है।श्रीमद्देवी भागवत नामक पुराण से बढ़कर कोई पुराण नहीं है। श्रीमद् देवी भागवत कथा पढऩे व सुनने से कोई भी पदार्थ दुर्लभ नहीं रह सकता है। इनकी कृपा से सभी कष्टों का निवारण शीघ्र हो जाता है।

उन्होंने आगे कहा कि जो मनुष्य परम अमृत स्वरुप इस कथा को पढ़ता व सुनता है। संसार में भगवती की कृपा से उसके सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं
कथा वाचक व्यास पण्डित ओझा ने कहा मनुष्य को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, इसका वर्णन कई ग्रंथों और शास्त्रों में पाया जाता है। इन बातों को समझ कर, उनका पालन करने पर जीवन को सुखद बनाया जा सकता है। आस्तिकता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए श्री ओझा ने कहा आस्तिकता का अर्थ होता है- देवी-देवता में विश्वास रखना। मनुष्य को हमेशा ही देवी-देवताओं का स्मरण करते रहना चाहिए। नास्तिक व्यक्ति पशु के समान होता है। ऐसे व्यक्ति के लिए अच्छा-बुरा कुछ नहीं होता। वह बुरे कर्मों को भी बिना किसी भय के करता जाता है। जीवन में सफलता हासिल करने के लिए आस्तिकता की भावना होना बहुत ही जरूरी होता है

यह भी पढ़ें 👉  जागेश्वर धाम के प्रधान पुजारी हेमन्त भट्ट ने " सत्य साधक गुरुजी " का अपने आवास पर किया भव्य स्वागत जागेश्वर महिमा पर लिखी पुस्तक भी भेंट की

दान का महत्व समझाते हुए उन्होने कहा दान करने से पुण्य मिलता है। दान करने पर ग्रहों के दोषों का भी नाश होता है। कई बार मनुष्य को उसकी ग्रह दशाओं की वजह से कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। दान देकर या अन्य पुण्य कर्म करके ग्रह दोषों का निवारण किया जा सकता है। मनुष्य को अपने जीवन में हमेशा ही दान कर्म करते रहना चाहिए सुखी जीवन और हमेशा भगवान की कृपा अपने परिवार पर बनाए रखने के लिए पूरी श्रद्धा के साथ भगवान की पूजा करनी चाहिए

यह भी पढ़ें 👉  अनुमति मिलते ही नगर पंचायत लालकुआं करवाएगी 300 से 400 गौवंश के लिए शेड का निर्माण ,क्षेत्र को मिलेगी निराश्रित गौवंश से निजात

शास्त्रों में दिए गए सिद्धांतों से सीख के साथ-साथ पुण्य भी प्राप्त होता है। इसलिए, शास्त्रों और पुराणों का अध्यन और श्रवण करना चाहिए।
उन्होने कहा अच्छी सोच रखने वाला मनुष्य जीवन में हमेशा ही सफलता पाता है। बुरी सोच रखने वाला मनुष्य कभी उन्नति नहीं कर पाता। मनुष्य की बुद्धि उसके स्वभाव को दर्शाती है। सदबुद्धि वाला मनुष्य धर्म का पालन करने वाला होता है और उसकी बुद्धि कभी गलत कामों की ओर नहीं जाती। अतः हमेशा सदबुद्धि का पालन करना चाहिए।
पुराणों और शास्त्रों के अनुसार, जीवन में कई समस्याओं का हल केवल देवी का नाम जपने से ही पाया जा सकता है। जो मनुष्य पूरी श्रद्धा से माँ के नाम का जाप करता है, उस पर माँ की कृपा हमेशा बनी रहती है। भगवान का भजन-कीर्तन करने से मन को शांति मिलती है और पुण्य की भी प्राप्ति होती है
इस अवसर पर यजमान श्रीमती एवं श्री पूरन चन्द्र पन्त, मथुरा दत्त पन्त मोहन चन्द्र पन्त के अलावा श्रीमती सोना पन्त नवीन चन्द्र पन्त सहित सैकड़ों भक्तजन मौजूद रहे

Ad
Ad Ad Ad Ad
Ad